5 बड़ी बाते बाबा साहेब आंबेडकर के जीवन से जरूर सीखें। 5 Life Lessons Everyone Can Learn From Dr. B.R. Ambedkar In Hindi | Baba Saheb Ambedkar se kya sikhe 

Learn From Dr. B.R. Ambedkar In Hindi | Baba Saheb Ambedkar se kya sikhe 

बाबा साहेब आंबेडकर स्वतंत्रता आंदोलन में 1930 के दशक में गाँधी जी से अपने तर्क वितर्कों को लेकर देश के शीर्षतम व्यक्तियों में मौजूद थे।  बाबा साहेब एक ऐसे महान व्यक्तित्व है जिनके जीवन से युवा अनेक शिक्षाए ले सकते है।  हम यहाँ पर ऐसे ही 5 बातो ( Learn From Dr. B.R. Ambedkar In Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे कि यदि कोई व्यक्ति उनको अपने जीवन में धारण करले तो वह अपने जीवन में अपने लिए तो कुछ कर ही लेगा साथ ही साथ समाज और राष्ट्र के लिए भी बहुत कुछ कर जाएगा।

अतः हम यहाँ पर बाबा साहेब के जीवन से ग्रहण करने वाली अनेक शिक्षाओं में से मात्र 5 शिक्षाओं की चर्चा करेंगे  (5 Life Lessons Everyone Can Learn From Dr. B.R. Ambedkar In Hindi | Baba Saheb Ambedkar se kya sikhe  )

  1. सबसे पहली शिक्षा जो हम बाबा साहेब से ले सकते है वो है शिक्षा का महत्व जाने-

बाबा साहब अंबेडकर के अनुयायी नामदेव नीमगड़े अपनी पुस्तक – In the Tigers Shadow : The Autobiography of an Ambedkarit’s में लिखते हैं कि-  बाबा साहब अंबेडकर रात में पढ़ाई में खो जाते थे। उन्हें बाहर का कुछ भी मालूम नहीं रहता था। एक बार जब वह अचानक उनके स्टडी रूम में गए और उन्होंने उनके पैर छुए तो बाबा साहेब किताबों में डूबे हुए थे। उन्होंने कहा टॉमी यह मत करो। मैं थोड़ा अचंभित हुआ। उन्होंने इंसान के स्पर्श को कुत्ते का स्पर्श समझा क्योंकि वह पढ़ाई में बिल्कुल ही डूबे हुए थे । जब बाबा साहब ने देखा तो वह झेंप गए।

कोर्ट जाने के बाद बाबासाहेब शाम को किताबों के बाजार के चक्कर लगाया करते थे और घर आते समय उनके हाथों में किताबों का एक बंडल होता था। बाबासाहेब ज्ञान प्राप्त करने को अत्यंत महत्व देते थे ।

मशहूर लेखक जान गुंथेर ने लिखा है –

1938 में जब उन्होंने राजगृह में बाबासाहेब से मुलाकात की थी। तो उनकी लाइब्रेरी में 8000 किताबे थी और कहा जाता है कि मृत्यु तक उनकी लाइब्रेरी में 50000 तक किताबी हो गई थी ।

बाबा साहेब कहा करते थे –

ज्ञान शेरनी का दूध है जो पियेगा वही दहाडेगा।

कहा भी जाता है कि

विद्या को कोई नहीं चुरा सकता । विदेश में विद्या ही मित्र होता है।

वही अगर विदेश की बात करें तो जब बाबासाहेब विदेश में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। तो वह लाइब्रेरी में वहां के चपरासी से भी पहले आ जाते थे । और चपरासी के बाद तक वहीं पर रुकते थे कहा जाता है कि बाबासाहेब 14 से 15 घंटे से भी ज्यादा पढ़ते थे।

यहां सभी को सीखना चाहिए कि जीवन मे ज्ञान प्राप्ति को अत्यंत महत्व देना चाहिए। अपने जीवन में हमको ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा अर्चित करना चाहिए।

2.  अपने समय की कीमत जाने –

वही आगे बढ़े तो बाबासाहेब को यदि कोई अपने यहां पार्टी में खाने पर बुलाता था तो बाबासाहेब साफ इनकार कर देते थे। आमतौर पर वह किसी के यहां पर पार्टी में नही जाते थे। आपको लगता होगा कि शायद वह अहंकार में ऐसा करते थे परंतु ऐसा नहीं बाबा साहेब अपने क़ानूनी कार्य से अलग जितना भी समय बचता था ।

उस समय को ज्ञान अर्जित या पढ़ाई में देना चाहते थे।वह कहते थे कि मैं बाहर जाऊंगा मेरा समय व्यर्थ होगा इसलिए आप घर पर ही भोजन पैक करके भेज देना। दूसरी बात यहां पर हम बाबासाहेब से सीख सकते हैं अपने समय की कीमत। सभी को अपने समय की कीमत पता होनी चाहिए और व्यर्थ बातों में ना पढ़कर अपने ज्यादा से ज्यादा समय को ज्ञान अर्जन में लगाना चाहिए। बाबासाहेब अपने समय का बहुत ध्यान रखते थे । वह काम से आते ही सीधा अपनी स्टडी टेबल की ओर बढ़ जाते थे और पढ़ने लग जाते थे। कहा जाता है कि बाबा साहेब देर रात तक पढ़ते थे और फिर जब वह कोर्ट में सुबह काम पर जाते थे। वहां पर भी दोपहर को जब भी समय लगता था। डाक से आयी नई पुस्तके पलट रहे होते थे।

3. दृढ़ इच्छाशक्ति या Mental Toughness

9 साल के बच्चे को क्लास में अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता था । बाबासाहेब अपने बैठने के लिए घर से बोरी लेकर जाते थे। और उस बोरी को स्कूल का चपरासी भी हाथ नहीं लगाता था इसलिए बाबा साहेब उस बोरी को रोज लेकर जाते थे और रोज लेकर आते थे। वही बाबासाहेब को स्कूल में उपलब्ध सामान्य जल स्रोत से पानी पीने की भी अनुमति नहीं थी। उनको चपरासी पानी दूर से देता था । जिस दिन चपरासी नहीं आता था तो उनको पानी भी नहीं मिलता था और उनको अनेक बार भेदभाव का सामना करना पड़ा ।

एक बार तो उनको बैल गाड़ी वाले ने केवल इसलिए अपनी बैलगाड़ी से उतार दिया था ( baba saheb ambedkar bailgadi waali kahani )  क्योंकि वह महार जाति से आते थे। जिसको उस समय महाराष्ट्र में अछूत समझा जाता था। एक बार बारिश आने पर बाबा साहेब एक घर की दीवार का सहारा लेकर खड़े हो गए जिसको देखकर उस घर की मालकिन ने बाबा साहेब को धक्का देकर पानी मे गिरा दिया और जोर जोर से उनपर चिल्ला कर कहने लगी कि तूने मेरा घर अपवित्र कर दिया हैं। जिस बालक ने बचपन में ही इतना भेदभाव और तिरस्कार सहा हो उस बालक ने बाद में जाकर 9 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया और 32 डिग्रियां प्राप्त की।अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले पहले भारतीय थे । और कॉलेज शिक्षा ग्रहण करने वाले अपनी जाति के प्रथम व्यक्ति थे। हम यहां पर सीख सकते हैं कि बाबा साहेब की दृढ़ इच्छाशक्ति कितनी मजबूती थी। अनेक बार तिरस्कार सहने के बाद भी उन्होंने कभी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा और उस पर आगे बढ़ते रहें। आज के युवा छोटी-छोटी बातों में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। अनेक ऐसी खबरें आती हैं कि कहीं स्पोर्ट्स में हारने पर या कहीं किसी के कुछ कहने से बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। हमे यहाँ बाबा साहेब से सीखना है कि हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति या mental strength इतनी मजबूत होनी चाहिए कि किसी नकारात्मक व्यक्ति की बाते या अन्य समस्याएं भी हमे अपना लक्ष्य प्राप्त करने से न रोक पाए।

4. लोभ लालच से ऊपर अपने सिद्धान्त रखे –

जब बाबासाहेब आंबेडकर ऊँचे सार्वजनिक पद पर थे। तब एक व्यापारी ने उनके बेटे को कहा यदि वह अपने पिता को कह कर मुझे कॉन्ट्रैक्ट दिला दे तो मैं अपने व्यापार में उन्हें आधी हिस्सेदारी दे दूंगा। जब बाबासाहेब के लड़के ने यह बात अपने पिता से कहीं तो बाबासाहेब ने उन्हें कहा कि मैं यहां पर अपने बच्चों को पालने के लिए नहीं बैठा हूं । समाज के हित के लिए बैठा हूं । वहीं उन्होंने अपने लड़के को कहा कि तुम मेरे पास यह प्रस्ताव लेकर आए हो तुमने एक अपराध किया है और उन्होंने अपने लड़के से बात तक नहीं की । उन्होंने अपने बेटे को वापिस लौटा दिया। वही आजाद भारत में बाबासाहेब को मंत्रिमंडल में कानून मंत्री का पद दिया गया था । जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे तो बाबा साहेब का एक कानून को लेकर नेहरू से और अन्य मंत्रियों से कुछ मतभेद हुआ । जिस पर बाबासाहेब ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।

हम यहां पर बाबासाहेब से सीख सकते हैं कि बाबा साहेब का जीवन एक सामान्य तौर पर शुरू हुआ था और वह अपने जीवन के अंत में उच्चतम पदों तक पहुंचे परंतु उन्होंने अपने जीवन में कभी भी लोभ या लालच को बिल्कुल अपने पास नहीं आने दिया । उन्होंने अपने सिद्धांतों पर हमेशा जीवन व्यतीत किया ।

जहाँ आज के नेता छोटी-छोटी बातों पर बिक जाते हैं। वही बाबा साहेब बचपन मे अभावो और भेदभाव का दंश सहकार भी कभी अपने व्यक्तित्व पर दाग नही लगने दिया। आज के युवा बाबा साहेब से सच्चाई के रास्ते पर चलने का मूल्य सीख सकते है।

5.  जीवन बड़ा होना चाहिए लंबा नहीं-

बाबासाहब खुद कहा करते थे कि जीवन लंबा नहीं बड़ा होना चाहिए । उनके कहने का तात्पर्य था कि हमें इस प्रकार जीवन व्यतीत करना चाहिए कि हम अपने समाज और राष्ट्र को कुछ दे सके ना कि इस प्रकार की हम अपने समाज और राष्ट्र पर बोझ बन कर जीए।

बाबासाहेब आंबेडकर भी ज्ञान प्राप्त करने के बाद चाहते तो वह एक आलीशान और वैभव पूर्ण जीवन जी सकते थे परंतु उन्होंने भारत में आकर अपने समाज के लोगों के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया और अपने समाज के हित के लिए गांधी से आंखों में आंखें मिलाकर तर्क वितर्क किए हैं ।

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