वैश्विक भुखमरी सूचकांक, 2022 | Global Hunger Index- 2022 In Hindi

Global Hunger Index- 2022 In Hindi

भारत 121 देशों की श्रेणी में 6 स्थान और फिसलकर 107वें स्थान पर आ गया है। इस पर पहली प्रतिक्रिया में भारत सरकार ने सूचकांक की कार्यविधि को ही प्रश्नगत किया है।

GHI चार आधारों पर विचार करता है:-

  • अल्पपोषण (Undernourishment):                                                                                                                    इसमें  जनसंख्या का वह हिस्सा आता हैं जिसका कैलोरी सेवन अपर्याप्त है। अल्पपोषण (Undernourishment) GHI स्कोर के 1/3 भाग का निर्माण करता है।

 

  • चाइल्ड स्टंटिंग (Child Stunting): 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का वह हिस्सा जिनका कद उनकी आयु के अनुरूप कम है, जो गंभीर अल्पपोषण (chronic undernutrition) को दर्शाता है। चाइल्ड स्टंटिंग (Child Stunting) GHI स्कोर के 1/6 भाग का निर्माण करता है।

 

  • चाइल्ड वेस्टिंग (Child Wasting): 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का वह हिस्सा जिनका वजन उनके कद के अनुरूप कम है, जो तीव्र अल्पपोषण (acute undernutrition) को दर्शाता है।चाइल्ड वेस्टिंग (Child Wasting) भी GHI स्कोर के 1/6 भाग का निर्माण करता है।

 

  • बाल मृत्यु दर (Child Mortality): पाँच वर्ष की आयु से पूर्व मृत्यु का शिकार हो जाने वाले बच्चों का हिस्सा, जो अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण के घातक मिश्रण को प्रकट करता है। बाल मृत्यु दर (Child Mortality)  GHI स्कोर के 1/3 भाग का निर्माण करता है।

पॉइंट स्केल और भारत का स्कोर 

कुल स्कोर को 100-पॉइंट स्केल पर रखा गया है और कम स्कोर बेहतर प्रदर्शन को परिलक्षित करता है।

    • 20 से 34.9 के बीच के स्कोर को ‘गंभीर’ (serious) श्रेणी में आँका जाता है और GHI (Global Hunger Index- 2022 In Hindi 2022 ) में 29.1 के कुल स्कोर के साथ भारत को इसी श्रेणी में रखा गया है।

भारत ने कौनसे बिन्दुओ के आधार पर इंडेक्स की आलोचना की –

  • भारत की पहली आपत्ति यही है कि Global Hunger Index मापन की सही विधि का उपयोग नहीं करता है,  इसमें उपयोग किये गए 4 चरों में से 3 बच्चों से संबंधित हैं और ये पूरी आबादी के प्रतिनिधि नहीं हो सकते हैं।
  • दूसरा, GHI का चौथा संकेतक, यानी अल्पपोषित आबादी का अनुपात ‘3000 लोगों के एक बहुत छोटे नमूने के जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है’, जो वैश्विक आबादी के पाँचवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत जैसे देश के आकलन के लिये उपयुक्त नहीं है।
  • तीसरा भारत का कहना है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मिड डे मील जैसी योजनओं के बाद भी ये आँकड़े स्वीकारने  योग्य नहीं हैं।

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