अमीर खुसरो की  पहेलियाँ | Amir Khusro ki Paheliyan in Hindi

अमीर खुसरो का वास्तविक नाम अबुल हसन था। इनका समय 13  वी और 14  वी सदी के बीच का है। खुसरो को कड़ी बोली हिंदी के पहले कवी माना जाता हैं। माना जाता है कि इन्होंने लगभग १०० ग्रंथों  की रचना की थी।  जिनमें से अभी तक सिर्फ २० – २२ ही मिल सके हैं।

Amir Khusro ki Paheliyan in Hindi

  1. लोहे के चने, दांत तले पाते है उसको।

खाया वह नहीं जाता, पर खाते है उसको।।

उत्तर- रूपया

2. इधर को आवे उधर को जावे। हर हर फेर काट वह खावे।।

ठहर रहे जिस दम वह नारी। खुसरो कहें वारे को आरी।।

  उत्तर- आरी

3. एक नार वह दांत दंतीली। पतली दुबली छैल छबीली।।

जब वा तिरियहिं लागै भूख। सूखे हरे चबावे रुख।।

जो बताय वाही बलिहारी। खुसरो कहें वारे को आरी।।

  उत्तर- आरी

4. श्याम बरन और दांत अनेक। लचकत जैसी नारी।।

दोनों हाथ से खुसरो खींचे। और कहें तू आरी।।

   उत्तर- आरी

5. एक कन्या ने बालक जाय, वा बालक ने जगत सताया।

मारा मरे न काटा जाय, वा बालक को नारी खाए॥

उत्तर- जाड़ा

6. टूटी टाट के धूप में पड़ी। जों जों सुखी हुई बड़ी।।

उत्तर- बड़ी

7. फ़ारसी बोली आई ना। तुर्की ढूँढी पाई ना।।

हिन्दी बोली आरसी आए। खुसरो कहें कोई न बताए।।

  उत्तर- आरसी (दर्पण, आइना)

8. पौन चलत वह दें बढ़ावे। जल पीवत वह जीव गँवावे।।

है वह प्यारी सुंदर नार। नार नहीं पर है वह नार।।

   उत्तर- नार (आग)

9. एक नार करतार बनाई। न वह क्वारी न वह ब्याही।।

सूहा रंगहि वाको रहै। भाबी-भाबी हर कोई कहै।।

   उत्तर- बिरबहुटी

10. नर से पैदा होवे नार, हर कोई उससे रखे प्यार।

एक ज़माना उसको खावे, खुसरो पेट में वह न जावे।।

उत्तर- धूप

11. घूम घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खड़ी।

आठ हात हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी ।।

सब कोई उसकी चाह करे है, मुसलमान हिन्दू स्त्री।

खुसरो ने यह कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।

    उत्तर– छतरी

13. सावन भादों बहुत चलत है, माघ पूस में थोड़ी।

अमीर खुसरो यूँ कहें, तू बूझ पहेली मोरी।

    उत्तर- मोरी (नाली)

14. चार महीने बहुत चले हैं और महीने थोड़ी।

अमीर खुसरो यों कहें तू बूझ पहेली मोरी।।

    उत्तर- मोरी (नाली)

15. अन्दर है और बाहर बहे। जो देखे सो मोरी कहें।।

    उत्तर- मोरी (नाली)

16. गोल मटोल और छोटा-मोटा, हर दम वह तो जमीं पर लोटा।

खुसरो कहें नहीं है झूठा, जो न बूझे अकिल का खोटा।

    उत्तर- लोटा

17. खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा।

है बैठा और कहे हैं लोटा।

खुसरो कहे समझ का टोटा॥

    उत्तर- लोटा

18. नारी से तू नर भई और श्याम बरन भई सोय।

गली-गली कूकत फिरे कोइलो-कोइलो लोय।।

    उत्तर- कोयल।

19. सरकंडो के ठटट बंधे, और बद लगे हैं भारी।

देखी है पर चाखी नाहीं, लोग कहें हैं खारी।।

    उत्तर- टोकरी

20. पान फूल वाके सर माँ है, लड़ें-कटें जब मद पर आहैं।

चिट्टे काले वाके बाल, बुझ पहेली मेरे लाल।

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