विवेकानन्द इण्टर कॉलेज अल्मोड़ा

वर्तमान समय में जहाँ शिक्षा के स्तर में दिन प्रतिदिन कमी आ रही है वहीं अल्मोडा़ जिले में स्थित विवेकानन्द इण्टर कॉलेज अल्मोड़ा शिक्षा की असली परिकल्पना को सुदृढ़ एवं एक नव आयाम दे रहा है।

विवेकानन्द इण्टर कॉलेज अल्मोड़ा शिक्षा के क्षेत्र में अपना एक अलग एवं विशिष्ट स्थान रखता है, इस विद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाता है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व विकास में सहायक अन्य आधारभूत तत्व जैसे अनुशासन , सांस्कृतिक कार्यक्रमो में भागीदारी , सामाजिक जागरूकता आदि की भी जानकारी दी जाती हैं।

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विद्यालय अल्मोडा़ जिले में पिछले 43 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में अपना अमूल्य एवं वृहद् योगदान देकर यहाँ के छात्रों को निपुण एवं पारंगत कर रहा है।
इस विद्यालय की स्थापना 1978 ई• में हुई थी, 1997 ई• में विद्यालय परिवार को हाईस्कूल की मान्यता मिली एवं 2005 ई• में इण्टर की मान्यता मिली। विद्यालय में वर्तमान में 1150 विद्यार्थी अध्ययनरत है।

विवेकानन्द इण्टर कॉलेज अल्मोड़ा परिवार में 42 पारंगत शिक्षक-शिक्षिकाएं है, जो शिक्षा के क्षेत्र में विद्यालय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। प्रत्येक वर्ष विद्यालय का परीक्षाफल शत् प्रतिशत रहता है, प्रदेश स्तर पर मेरिट में विद्यालय उत्कृष्ट प्रदर्शन कर आगे बढ़ता जा रहा है। विद्यालय सीमित संसाधनों में भी विद्यार्थियों के भविष्य को संवार रहा है।
समय के साथ-साथ परिवर्तन भी होता है अतः विद्यालय परिवार हिन्दी माध्यम के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम में भी शिक्षा दे रहा है।

प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल जी का परिचय :-

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वर्तमान में प्रतिस्पर्धा रूपी वातावरण में और साधारण संसाधनों के साथ निरंतर अच्छी शिक्षा प्रदान करना और विद्यालय का निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन करना इतना आसान नही होता हैं, इसके पीछे दृढ़ निश्चय एवं संकल्प के साथ आगे बढ़ना विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मोहन सिंह रावल जी का ध्येय है।
जिन्होनें विद्यालय की पूरे प्रदेश में एक अलग पहचान बना रखी है। मोहन सिंह रावल जी ने इतिहास विषय में परास्नातक एवं बी• एड• किया है। 1 जुलाई 1991 से विद्यालय के प्रधानाचार्य का दायित्व मिला जिसके बाद से निरंतर अपनी लगन एवं मेहनत से विद्यालय एवं विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत हैं|

प्रधानाचार्य जी के विचार अच्छी शिक्षा हेतु :- IMPORTANCE OF GOOD EDUCATION

शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और परिस्थितियों के बारे में जानने के लिए हमनें (HKTभारत टीम) प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल जी से बात की और उनके विचार हम आपसे साझा कर रहे हैं -:

सबसे पहले HKTभारत टीम की तरफ से श्री मोहन सिंह रावल जी का धन्यवाद, जिन्होनें हमें अपने बहुमूल्य समय मे से कुछ समय दिया, जिसके हम आभारी है।

दीपक तिवारी (HKTभारत): आपने जब अध्यापन का कार्य शुरू किया था, तब में और आज में शिक्षा में क्या बदलाव देखते हैं।

प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल जी: देखिए आज प्रतिस्पर्धा पहले से बहुत अधिक हो गयी हैं । जिसका सीधा प्रभाव शिक्षा पर भी नज़र आता हैं। आज विद्यार्थियों पर पहले की अपेक्षा ज्यादा दबाव नज़र आता हैं।
दूसरी तरफ वही बच्चों को आज सुविधाएं भी पहले से अधिक मिली है जैसे तकनीक के माध्यम से जानकारी घर तक आ गयी है। तकनीक की सहायता से हर कोई अपनी प्रतिभा को समाज तक ले जा सकता हैं। मतलब दोनों तरह के बदलाव हुए है जहाँ बच्चों पर प्रतिस्पर्धा का दबाव है तो साधनों का साथ भी है।
आज बच्चों को अपने लक्ष्य से भटकने के साधन भी बहुत हो गए हैं । अतः आज विद्यार्थियों को अनुशासन में ज्यादा ध्यान देने की भी जरूरत हैं।

दीपक तिवारी (HKTभारत): अभी कोरोना महामारी का शिक्षा पर प्रभाव किस प्रकार देखते हैं।

प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल जी : महामारी ने पूरे विश्व को एक व्यापक तौर पर प्रभावित किया हैं, तो शिक्षा पर भी प्रभाव हुआ हैं। इससे एक तो बच्चों को ज्यादा दिन घर रहना पड़ा जिससे उनकी मानसिकता पर कुछ प्रभाव अवश्य ही पड़ा है। जिसका ध्यान रखते हुए अभिभावकों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह भी अच्छे से किया हैं। बच्चो की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान अच्छे से रखा हैं।
दूसरा इस महामारी की वजह से शिक्षा में तकनीक का योगदान एक बड़े स्तर पर हुआ हैं। और बच्चों को भी ये सीखने को मिला है कि हमे हमेशा किसी भी चुनौती से सामना करने के लिए तैयार रहना होगा ।

दीपक तिवारी (HKTभारत): जब बच्चे इतने समय बाद दोबारा स्कूल आये तो उनका व्यवहार कैसा था।

प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल जी : बच्चे बहुत ही उत्साहित नज़र आ रहे थे जैसे मानो वो कब से इस इंतज़ार में थे कि कब स्कूल खुले। सभी अपने दोस्तों , गुरुजनों से मिलकर बहुत खुश हैं।

दीपक तिवारी (HKTभारत): जैसा आपने कहा कि तकनीक का शिक्षा में योगदान बढ़ा हैं। तकनीक के प्रभाव को आप किस प्रकार देखते हैं।

प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल जी: तकनीक ने जहाँ शिक्षा पर अनेक सकारात्मक परिवर्तन किए है वही कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा हैं। आज प्रत्येक जानकारी आप अल्प समय मे प्राप्त कर सकते हैं परंतु अगर इसे सही से प्रयोग न किया जाए तो ये विद्यार्थियों के ध्यान को भंग करने वाली भी हो सकती हैं। अतः विद्यार्थियों को इसे अनुशासित तरीके से प्रयोग करना होगा।

दीपक तिवारी (HKTभारत): अब कुछ ही समय बाद बोर्ड के एग्जाम होने वाले है । आप विद्यार्थियों को क्या संदेश देना चाहेंगे।

प्रधानाचार्य मोहन सिंह रावल: सबसे पहले खुद पर विश्वास रखे । और तनाव बिल्कुल न ले। अब थोड़ा ज्यादा ध्यान पढ़ाई पर लगाये। साथ मे स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी हैं। थोड़ा खेले भी जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सही रहे। पूरे विश्वास और मेहनत से परीक्षा दे।

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