प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का व्यक्तित्व पर प्रभाव । Importance of Competitive Exam Preparation in Hindi

क्यो करें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी । importance of competitive exam preparation in hindi


आज जहाँ अनेक युवा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) में लगे रहते हैं । कुछ को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त होती हैं तो अनेक असफल भी होते हैं। परंतु क्या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का अहम लक्ष्य केवल परीक्षा में सफलता प्राप्त करना ही हैं ?  क्या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) में असफल व्यक्ति सच में  उतना ही असफल है जितना उसे समाज की नज़रों में असफल समझा जाता हैं ? अगर वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) में असफल हो गया तो क्या तब भी उसने कुछ प्राप्त किया हैं ?  इस लेख में इन्ही कुछ प्रश्नों पर चर्चा करेंगे। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि यहाँ उन्ही व्यक्तियों के विषय मे चर्चा की जाएगी। जिन्होंने गंभीरता से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) की हैं या कर रहे हैं।


आज से कुछ दशकों पहले या एक दशक पहले तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) का रुझान केवल उच्च वर्ग या मध्यम शहरी वर्ग तक ही अधिक देखने को मिलता था। परंतु वर्तमान में ग्रामीण परिवेश में निम्न मध्यवर्ग और निम्न वर्ग में भी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति रुझान बहुत अधिक बढ़ गया हैं। इसके अनेक कारण है जैसे कि अब डिजिटल तकनीक के दौर में जहाँ आज सभी तक उत्तम पाठ्य सामग्री और उत्तम मार्गदर्शन मौजूद हैं। वही आजादी के तीसरी या चौथी पीढ़ी में  बड़े लक्ष्य प्रेरणा का विकास हुआ हैं; तथा ये पीढ़ी  अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कुछ भी दाँव पर लगाने को तैयार हैं ।


अब बात करते हैं कि यदि अभ्यर्थी  परीक्षा में किसी भी कारणवश सफलता प्राप्त नही कर पाता हैं।  तो क्या उसने जो समय तैयारी में दिया है या जो संसाधन लगाए है क्या वो सब बर्बाद गए हैं ?


अगर गहनता से इसका विश्लेषण करें तो इसका उत्तर सही से समझ सकेंगे । मुझे लगता है कि मैं इन सब प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम हूँ । क्योंकि मैं भी कुछ साल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में दे चुका हूं और अब भी उसी यात्रा में हूँ। जिस दिन मैंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने का निर्णय लिया था और आज जब मैं इसमे काफी समय दे चुका हूँ। तो उस दिन और आज के दिन में मैंने क्या प्राप्त किया ?? 

यहाँ ये ध्यान देने वाली बात है कि हम केवल उन्हीं व्यक्तियों के विषय मे विश्लेषण करेंगे जिन्होंने गंभीरता से तैयारी की हैं।

मैं अपने अनुभव से ये कह सकता हूँ कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) की अपनी एक महत्ता हैं (importance of competitive exam preparation).

 प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले  अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व  में निम्न परिवर्तन आते हैं।

1. सबसे पहले तो आप देखोगें कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व में अनेक बदलाव आतें हैं। उसके व्यक्तित्व में गहन और विशेष परिवर्तन आते हैं।

2.  ऐसे व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक विशेष परिवर्तन ये आता है कि वो समय के महत्व को अच्छे से समझने लगता हैं। वो अनावश्यक बातों में अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करेगा।

3. किसी भी मुद्दे पर चर्चा करते समय वो तथ्यों के साथ अपनी बात रखेगा । वो आधारहीन विषयो पर चर्चा करने से खुद को जितना हो सके दूर रखेगा।

4. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) करने  वाले  व्यक्ति को संविधान , कानून आदि विषय पर जानकारी होगी । ऐसा व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति सजग रहता हैं।

5. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (Competitive Exam Preparation) करने  वाले व्यक्ति समाज मे व्याप्त बुराइयों या समस्याओं पर केवल चर्चा ही नही करता बल्कि एक उचित समाधान पर भी विचार करता हैं।

 6. संवेदनशीलता का विकास । ऐसे व्यक्ति में प्रकृति को देखने , उसे समझने , उनके प्रति व्यवहार करने आदि दृष्टिकोण में विशेष बदलाव आता हैं।

 7. प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों अंधविश्वास विरोधी होते हैं। जिन अंधविश्वासी कार्यो को समाज का एक बड़ा वर्ग आवश्यक समझता हैं। वही ऐसे व्यक्ति अंधविश्वास के खिलाफ एक उत्तम कारण और  पर्याप्त तर्क रखते हैं।

8. ऐसे व्यक्तियों को अपने विषय का ज्ञान तो होता ही है साथ ही साथ उन्हें दूसरे विषयों का भी ज्ञान मिल जाता हैं। जैसे एक विज्ञान वर्ग के छात्र को सामाजिक , नागरिक विषयों की भी अच्छी समझ विकसित हो जाती हैं। जो उनके और समाज के विकास में सहायक होती हैं।

9. ऐसे व्यक्ति प्रतियोगी परीक्षाओं की गंभीरता से तैयारी करते हैं । वो परीक्षा में भले ही असफल हो जाएं परंतु अनेक क्षेत्रों में वो बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं या करते भी हैं। जैसे युवा लेखक नीलोत्पल मृणाल इसका एक अच्छा उदाहरण हैं।

10 . प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों का दृष्टिकोण इतना गहन हो जाता हैं कि वो खुद को भी अच्छे से जानने लगता हैं । वो अपनी कमजोरियों अपनी ताकत को अच्छे से पहचानने लगता हैं। जिससे वो अपनी रुचि के अनुसार जीवन मे कुछ अच्छा जरूर कर सकता हैं।

11 . व्यक्ति के व्यक्तित्व में सजगता , सहजता , सवेदनशीलता का विकास होता हैं।


उपरोक्त चर्चा से ये तो सिद्ध होता है कि किसी भी सफ़र में हम जितना ध्यान मंजिल पर रखते हैं। यदि उससे अधिक ध्यान सफर से प्राप्त होने वाले अनुभवों और शिक्षाओं पर दे तो मंजिल इतनी मुश्किल नही लगती है,  जितनी हम उसे बना देते हैं।  अगर हम इस प्रकार से चलेंगे तो मंजिल तो आसान लगेगी ही साथ ही उससे हम अपने व्यक्तित्व का उत्तम विकास भी कर सकते हैं। अतः प्रत्येक सफर को व्यक्तित्व विकास के साधन के रूप में देखते हुए । उससे सहायता लेकर अपने व्यक्तित्व विकास में सकारात्मक परिवर्तन करने का प्रयास अवश्य करें।

केवल सफलता  नहीं असफलता भी  हमें बहुत कुछ दे जाती हैं –

सफलता ग्रहण करना और असफलता को संभालना भी आना चाहिए। 

जीवन में जितना महत्व साध्य का होता है , उससे कही अधिक महत्व साध्य को  प्राप्त करने के लिए  प्रयुक्त साधनों का भी होता हैं।  अतः जीवन में पवित्र लक्ष्य तो रखे ही साथ ही उन्हें प्राप्त करने के लिए साधन भी अच्छे होने चाहिए। जीवन में सफलता और असफलता सफर के दो पहलु है।  हमे जिस प्रकार सफलता को ग्रहण करना आना चाहिए।  उसी प्रकार असफलता को संभालना भी  आना चाहिए।  जीवन में  “सफलता को ग्रहण करना”  आने से कही अधिक महत्वपूर्ण होता है “असफलता को संभालना” ।  जीवन में जब भी सफलता प्राप्त हो तो ये सोचना चाहिए कि कैसे मेरी ये सफलता सामाजिक भलाई के कार्य में प्रयोग हो सकती है।  वही असफलता मिले तो ये विश्लेषण करो कि कहाँ अभी कमी रही गयी हैं  और कैसे उसे दूर करके अपने व्यक्तित्व का विकास किया जाए।  हम असफल होने में पड़े ही लक्ष्य तक नहीं पहुंचे हो परन्तु  अनुभव प्राप्त करने में बहुत आगे पहुँच चुके होते हैं।  इसी अनुभव के आधार पर अन्य लोगो का मार्गदर्शन करके उन्हें सफलता दिलाने में मदद कर सकते हैं । 

जैसा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने  कहाँ  भी है कि –

प्रयास करो सफल हुए तो नेतृत्व करोगे और असफल हुए तो मार्गदर्शन करोगे। 

 

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