नशा (Nasha) – युवा और देश पर दुष्प्रभाव , कारण और बचाव पर निबंध  | Nasha ka prabhav  

नशा (Nasha ka yuva par prabhav, nasha ka samaj par prabhav ) Intoxication in Hindi  – नशा का युवा पर प्रभाव ,नशा का समाज पर प्रभाव। 

समाज अनेक इकाइयों से बनी एक व्यवस्था होती हैं। जिसमें प्रत्येक संस्था या इकाई का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। परिवार भी समाज की एक महत्वपूर्ण संस्था हैं। हमारा समाज हमारे देश की विशेषता, देश की शक्ति आदि को इंगित करता हैं। अगर हमारे समाज की कोई संस्था कमजोर होगी तो हमारा देश कमजोर होगा। अनेक बुराइयों की वजह से आज हमारा समाज लड़ रहा हैं। नशा (Nasha) Intoxication in Hindi 

ऐसी ही एक बुराई समाज मे व्याप्त जो समाज को धीरे धीरे खोखला कर रही हैं – वह हैं नशाखोरी । नशा (Nasha ) एक ऐसी बुराई है जो परिवारों को जड़ से खत्म कर दे रही हैं। बड़े बड़े घराने नशे की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं।

आज समाज मे अनेक ऐसे प्रश्न है कि आखिर क्या कारण है जो युवा वर्ग इतने बड़े स्तर पर नशे (Nasha ) की लत में फसता जा रहा हैं। आज गाँव से लेकर बड़े बड़े महानगरों तक नशे ने अपने पैर पसार लिए हैं। Intoxication in Hindi

नशा (Nasha )
Intoxication

नशा (Nasha ka prabhav ) – युवा और देश पर दुष्प्रभाव , कारण और बचाव पर निबंध । Nasha Ka Yuva Or Samaj Par Prabhav, karan , bachav Eassy in Hindi

भारत मे युवाओ की जनसंख्या अन्य किसी देश से अधिक हैं। जिस कारण भारत को अभी युवाओ का देश कहा जा रहा हैं। आज अनेक मंचो पर भारत को विश्व गुरु बनाने की बात सरलता से सुनाई दे जाती हैं। परंतु सच्चाई ये है कि भारत के युवा आज दिनप्रतिदिन नशे के चंगुल में फसते जा रहे हैं।

पंजाब से अनेक ऐसी खबरे आती है कि कुछ घरों के पुरुष नशे की लत में खत्म हो चुके हैं, उन घरों में बची हैं तो सिर्फ अंधकारमय भविष्य लिए हुए महिलाएं।

नशे का समाज और देश पर प्रभाव लेख के अंतर्गत हम नशा खोरी बढ़ने के कारणों, उसके दुष्प्रभाव , उसके समाधान आदि पर चर्चा करेंगे।

नशे  [ नशा(Nasha ka prabhav )] की बढ़ती लत के कारण –

 

1. जागरूकता का अभाव –

हमारे देश में जागरूकता का बड़े स्तर पर अभाव नज़र आता हैं। जगरूकता के अभाव के कारण समाज मे कोई भी बुराई ज्यादा गति से फैलती हैं।

समाज का वैज्ञानिक दृष्टिकोण होना अत्यंत आवश्यक हैं। समाज मे अंधविश्वास की तरह ही नशे की लत अधिक होने का एक कारण जागरूकता का अभाव भी हैं।

समाज में अनेक ऐसी कहानियां या कथाएं प्रचलित होती है जिनका संबंध सीधे तौर पर नशे से होता हैं। जागरूकता के अभाव के कारण समाज का एक बड़ा वर्ग नशे के बचाव में इन कहानियों या कथाओं का सहारा लेता हैं। अतः सामाजिक जागरूकता का होना अत्यंत जरूरी हैं।

नशा – युवा और देश पर दुष्प्रभाव निबंध । Nasha Ka Yuva Or Samaj Par Prabhav Eassy in Hindi

2. संगति का प्रभाव –

युवा वर्ग की पहली सीढ़ी अत्यंत आवश्यक होती हैं। इस समय में घरवालों को बच्चो की संगति पर नज़र रखना अत्यंत जरूरी हैं। इस उम्र में बच्चों का एक समूह होता है । और प्रत्येक बच्चा उस समूह में खुद को स्थापित करने या बनाये रखने के लिए अन्य सदस्यों के दबाव में उनके अनुसार व्यवहार करने के लिए तैयार हो जाता हैं।

अतः बच्चे का जैसा समूह होगा उसका प्रभाव बच्चे की सोच, बच्चें के खान पान आदि पर भी पड़ता हैं। संगति नशाखोरी के कारणों में एक मुख्य कारण कहा जा सकता हैं।

संगती का महत्त्व इस लेख को पढ़ कर समझ सकते है –

संगति का प्रभाव कैसे पड़ता हैं | SANGATI KA PRABHAV IN HINDI

3.  नशे के पदार्थो तक सहज पहुँच –

आज नशे के पदार्थो तक पहुँच सरलता से हो जाती है। प्रत्येक गांव में या अधिकतर गाँवो में शराब की दुकान जरूर मिल जाती हैं। और अनेक पुलिस कार्रवाही की  ऐसी खबरें मिलती है कि गाँवो में अन्य प्रकार के नशे के पदार्थ के तस्कर भी मौजूद रहते हैं।

जिनपर समय समय पर कार्रवाही भी की जाती हैं।अनेक ऐसे आंकड़े है कि स्कूल स्तर पर ही बच्चें सिगरेट और तंबाकू के आदि हो जाते हैं।

4. विकास के साधनों की कमी –

आज बेरोजगारी बहुत बड़े स्तर पर पहुँच गयी हैं। जिससे युवाओ में हताशा बहुत ज्यादा बढ़ गयी हैं। इस हताशा के कारण भी युवा ग़लत माध्यमों से पैसे कमाने लगते हैं। आज समाज को मिलकर इस मुद्दे पर प्रयास करने की जरूरत हैं।

5. बड़ो के व्यवहार में लापरवाही –

आज से कुछ ही सालों की बात हैं घर में बच्चे तम्बाकू का पैकेट लाते हुए भी डरते थे। उन्हें डर रहता था कि अगर ये किसी ने देख लिया तो इसके लिए उन्हें सज़ा मिलेगी। परंतु आज अनेक ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है कि घर में लोग अपने बच्चों के सामने ही शराब या तंबाकू का प्रयोग सहजता से करते हैं।

इससे बच्चो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे का व्यवहार अपने बड़ो के व्यवहार को देख कर विकसित होता हैं। आज घरों में बियर की बोतलें रखी जाती हैं। अतः बड़ो की लापरवाही के कारण भी बच्चों में इसकी लत बढ़ी हैं ।

6. सिनेमा का प्रभाव ( युवा वर्ग के रोल मॉडल )-

हमारे समाज एवं युवाओं में साहित्य , सिनेमा का व्यापक प्रभाव पड़ता हैं।  आज अनेक गाने , फिल्मों , नाटकों में नशे के सेवन को दिखाया जाता हैं। जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव समाज पर पड़ता हैं।

सिनेमा दुनिया के सितारे आज युवाओ के एक बड़े वर्ग के रोल मॉडल हैं। युवा अपने रोल मॉडल के व्यवहार के अनुसार ही व्यवहार करने का प्रयास करते हैं।

उनको उस तड़क भड़क के पीछे की काली दुनिया का ज्ञान नहीं होता हैं। अभी पिछले ही साल एक मुद्दे की वजह से  इन रोल मॉडल की असलियत समाज के सामने आयी हैं। युवा नशे को तनाव से बचाने वाले माध्यम के रुप में सेवन करते है।

7. वैश्वीकरण-

वैश्वीकरण ने पूरे विश्व को एक गाँव की तरह बना दिया हैं। जिस प्रकार गाँव मे सभी लोग अपने विचारों का आदान प्रदान सरलता से कर सकते हैं। उसी प्रकार वैश्वीकरण से जहां वस्तुओं का आदान प्रदान तो संभव हुआ ही है साथ ही विचारों का आदान प्रदान भी संभव हुआ हैं।

ये सत्य है कि जब किसी देश से व्यापार किया जाता है तो उसके सांस्कृतिक मूल्यों का आदान प्रदान भी अवश्य होता हैं। 90 के दशक के बाद हमारी संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव भी बढ़ने लगा।

जहाँ हमारी संस्कृति त्याग , संयम , साधा जीवन उच्च विचारों को प्रसारित करती हैं । वही पश्चिमी संस्कृति उपभोक्तावाद , मौज मस्ती आदि मूल्यों को बढ़ावा दिया जाता हैं।

आज अधिकतर भारत के युवा के दिमाग मे ये है कि आधुनिकता का सीधा संबंध पश्चिमी विचारों को ग्रहण करने से है। जिससे उनकी संकुचित सोच भी उन्हें नशे की ओर आकर्षित करती हैं।

8. सरकार के अपने हित-

राज्य सरकारों की कमाई का एक बड़ा साधन शराब पर प्राप्त होने वाला कर हैं। आज सरकार ने गांव तक भी शराब के ठेके के लाइसेन्स दिए हैं। जिससे युवाओ में इसकी सहज पहुँच सुनिश्चित हुई हैं। किसी चीज़ की सरलता से उप्लब्धता भी उसके उपभोग को बढ़ावा देती हैं। सरकार हर साल एक मोटा पैसा राजसव के रुप में शराब की बिक्री से प्राप्त करती है।

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9. एकल  परिवार में बढ़ोत्तरी –

औधोगिक विकास के कारण रोजगार के लिए गाँव से शहर की ओर प्रवास हुआ। जिससे लोग हर समय जागने वाले शहरों के संपर्क में आए। वहाँ वो अपनी जड़ों से दूर हुए तो उनमें अकेलेपन की भावना का विकास हुआ। जीवन मे अनेक बार ऐसे क्षण आते है जब इंसान को अपनो की बहुत जरूरत होती हैं।

ऐसे में व्यक्ति तनाव में नशे के ओर बढ़ जाता हैं। और शहरों में एकल परिवार में विकास हुआ हैं। जिससे घर में बहुत माँ- बाप कार्य की भाग दौड़ के कारण बच्चों पर ध्यान नही दे पाते। जिससे उनके गलत संगति में पड़ने के बहुत ज़्यादा अवसर मौजूद होते हैं।

नशे [नशा(Nasha ka prabhav ]के दुष्प्रभाव –

1.   परिवार में विघटन।

2.   घरेलू हिंसा में वृद्धि।

अनेक ऐसे उदाहरण दिन प्रतिदिन सामने आते रहते है जब व्यक्ति नशे में घर मे मार पीट करता हैं। नशा एक तरह से महिला उत्पीड़न को बढ़ाता हैं।

3. स्वास्थ्य पर नकारत्मक प्रभाव ।

4. प्रतिभा का ह्रास ।

नशे में पड़कर अनेक ऐसे युवा बर्बाद हो चुके है और भविष्य में अनेक तैयार हैं, जिनके पास अच्छी बुद्धिमत्ता थी। उन्होंने नशे में पड़कर अपनी प्रतिभा को नष्ट कर लिया हैं।

5. गरीबी को बढ़ावा-

अनेक मजदूर, कामगार अपनी कमाई का कुछ हिस्सा नशे में लगा देते है। यहाँ तक कि प्रतिदिन के हिसाब से कमाने वाले भी दिन की कमाई का कुछ न कुछ हिस्सा नशे में लगाते हैं। जिससे गरीबी में वृद्धि होती हैं।

6.  सामाजिक तनाव में वृद्धि –

नशे के प्रभाव में व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती हैं। ऐसे में व्यक्ति अनेक ऐसे असामाजिक कार्य कर देता है, जिससे समाज मे तनाव उत्पन्न होता हैं।

7. देश की सुरक्षा को खतरा –

भारत में सीमा पार से भी नशे का कारोबार फलफूल रहा रहा है। पैसे के लालच में अनेक लोग इसमे लिप्त रहते है। जिससे देश की सुरक्षा को ख़तरा उत्पन्न होता हैं।  नशे का आदि व्यक्ति कुछ ऐसे गैर कानूनी कार्य करने के लिए भी तैयार हो जाता हैं।

जिससे देश को बहुत बड़ी हानि भी उठानी पड़ती हैं। नशा हमारे समाज , हमारे देश की जड़ो को कमजोर करने का काम कर रहा है। इसके नशे के नुकसान व्यक्तिगत तो होते है है साथ ही ये पूरे समाज, पूरे देश के लिए अत्यंत जोख़िम उत्पन्न करता है।

नशा (Nasha) से कैसे बचाव करें-

1. परिवार की प्राथमिकता है कि वो अपने बच्चो की संगति पर नजर रखें। वो उनके व्यवहार में आने वाले बदलावों को नज़र अंदाज़ न करें।

2.  युवाओ को अपने रोल मॉडल्स सोच समझ कर बनाने होंगे। और सिनेमा के प्रभाव से बचने के लिए अन्य मनोरंजन के साधनों को ज्यादा अपनाना होगा।

3. युवाओ को खेलकूद में ज्यादा से ज्यादा भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। जिससे उनमें तनाव से लड़ने की इच्छा शक्ति प्रबल हो सके।

4. समाज को भी अपने कर्तव्य को अच्छे से समझना होगा। अगर समाज मे कोई ऐसी गैरकानूनी गतिविधि होती हैं। तो पूरे समाज को उसके खिलाफ मिलकर लड़ना होगा। अकेले सरकार या प्रशासन इससे निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

5. परिवार में बड़ो को भी थोड़ा जागरूकता का परिचय देना चाहिए। वो ध्यान रखे कि घर मे बच्चो के सामने नशे से संबंधित कोई गतिविधि न करें।

6. सरकार को समाज मे सामान्य जागरूकता के विकास के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इसके लिए समाज के बीच मे जागरूकता कैम्प लगाए जा सकते है। सरकारी अधिकारियों को समय समय पर स्कूल , कॉलेज में जाकर युवाओ को प्रोत्साहित करना चाहिए। टीवी , रेडियो आदि संचार के माध्यमो पर जागरूकता कार्यक्रमो का आयोजन होना चाहिए।

7. जगह जगह नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन करना चाहिए।

8. शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करके रोजगारपरक शिक्षा को अपनाना होगा और रोजगार के साधनों के विकास पर गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता हैं।

9. जीवन में युवाओ को बड़े और अच्छे लक्ष्य रखने के लिए प्रोत्साहित करे  । ऐसा तभी होगा जब समाज की सभी संस्थाए जैसे परिवार , स्कूल, कॉलेज बच्चो को उनके जीवन की उपयोगिता समय समय पर समझते रहे।

10 . कुछ अच्छा पढ़ने की आदत डाले।

बच्चो में पढ़ने की आदत का विकास करना चाहिए।  बाल अवस्था से ही उन्हें स्कूल पाठ्यक्रम से अलग कुछ अच्छी किताबे जरूर पढ़ने के लिए कहे। और युवाओ को भी दिन का कुछ न कुछ समय पढ़ने में अवश्य देना चाहिए।

 

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