आदि शंकराचार्य जी की 5 महत्वपूर्ण शिक्षाएं। 5 Important lessons of Adi Shankaracharya

आदि शंकराचार्य जी का जन्म 11 मई, 788 ईस्वी को केरल के पास कलाडी नामक स्थान पर हुआ था। आदि शंकराचार्य शिव के भक्त थे। आदि शंकराचार्य ने केदार तीर्थ में समाधि ली थी। जब उन्होंने समाधि ली थी तो वो 33 वर्ष की आयु के थे । 5 Important lessons of Adi Shankaracharya

 

आदि शंकराचार्य जी ने जिस सिद्धान्त को प्रतिपादित किया था उसको अद्वैतवाद सिद्धांत के नाम से जाना जाता हैं।
उन्होंने उपनिषद , ब्रह्म सूत्र , और भागवत गीता पर कई टिप्पणियाँ भी की थी।
सनातन धर्म के प्रचार के लिये उन्होंने भारत के चारों कोनों पर चार मठों की स्थापना की थी। जो शिंगेरी, पुरी, द्वारका और बद्रीनाथ में स्थित हैं ।

आदि शंकराचार्य जी की अनेक शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं ।

आदि शंकराचार्य जी की 5 महत्वपूर्ण शिक्षाएं | 5 Important lessons of Adi Shankaracharya

5 Important lessons of Adi Shankaracharya
5 Important lessons of Adi Shankaracharya

आदि शंकराचार्य से सीखने वाली पांच शिक्षाएं जिन्हें जीवन में उतार कर हम लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।

1. अज्ञान पर विजय प्राप्त करना :

आदि शंकराचार्य के जीवन से जो जीवन में उतारने वाली मुख्य शिक्षा है । वह है अज्ञान पर विजय प्राप्त करना; उनके अनुसार कर्म अज्ञान को नष्ट नहीं कर सकता क्योंकि यह अज्ञानता के साथ संघर्ष या विरोध में नहीं है , ज्ञान वास्तव में अज्ञान को नष्ट कर देता है। जिस प्रकार प्रकाश गहरे अंधकार को नष्ट कर देता है।
उनके अनुसार हम निम्न साधनों से ज्ञान प्राप्त कर अज्ञानता पर विजय प्राप्त कर सकते हैं-
a. विद्या मतलब की ज्ञान
b. श्रमण मतलब की ज्ञान को ध्यान से सुनना
c. मनन अर्थात ज्ञान पर विचार करना
d. निधि- ध्यासन अर्थात ज्ञान की साधना करना

इस प्रकार हमें जीवन में ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा दृढ़ संकल्पित रहना चाहिए।
वेदों में भी कहा गया है कि
चारों दिशाओं से मुझे ज्ञान प्राप्त हो।
हमें अपने जीवन में ज्ञान प्राप्ति को सर्वोपरि रखना चाहिए ।

2. सार्थक जीवन जीना :

आज प्रत्येक व्यक्ति अपने चारों ओर के भौतिकवाद से प्रभावित है तथा उपभोक्तावाद के चंगुल में फंसकर सार्थक जीवन नहीं जी रहा है।

उसे लगता है कि वह जो जीवन जी रहा है , वही उसके द्वारा चयनित जीवन है ,परंतु उसको मालूम नहीं है कि जो जीवन वह जी रहा है , वह भौतिकवाद और उपभोक्तावाद का उन पर थोपा हुआ जीवन है ।
ऐसे में हम आदि शंकराचार्य जी की शिक्षा सार्थक जीवन जीने से अपने आप को इस अंधकारमय संसार में एक सार्थक जीवन जीने के लिए अग्रसर कर सकते हैं ।

आदि शंकराचार्य जी के बताए गए मार्ग पर चलकर सच्चा ज्ञान प्राप्त कर सांसारिक उलझन हो या भौतिकवाद से मुक्त होकर हम अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर हो सकते हैं तथा ईमानदारी सत्य निष्ठा और जवाबदेय के मूल्य को अपने जीवन में उतारकर एक सार्थक जीवन जी सकते हैं।

 

3. भौतिकवाद की तुलना में आध्यात्मवाद को महत्व देना : ( 5 Important lessons of Adi Shankaracharya ) 

आज हमने भौतिकवाद को ही असल सत्य मान लिया है हम अपने जीवन में विलासिता की वस्तुओं को लाना या उन्हें प्राप्त करना ही जीवन का लक्ष्य मान बैठे हैं। जिससे होता यह है कि एक समय के बाद आज प्रत्येक व्यक्ति या अधिकतर व्यक्ति मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने आध्यात्मिकता के स्थान पर भौतिकवाद को जीवन में ज्यादा महत्व दे दिया है।

जिस कारण जब जीवन में उनका बुरा समय आता है तो वह भौतिकवाद उनको संभाल नहीं पता है। ऐसे में यदि व्यक्ति आध्यात्मिक शक्ति से प्रेरित होता है। तो वह अपने आप को संभाल सकता है। हम आदि शंकराचार्य जी की शिक्षा से अपने जीवन में आध्यात्मिकता को विशेष स्थान दे सकते हैं। जिससे हम मानसिक शांति को प्राप्त करते ही हैं साथ ही जीवन में आए उतार-चढ़ाव के समय में भी खुद को संतुलित रख सकते हैं।

 

4. सामाजिक सद्भाव :

आदि शंकराचार्य जी ने षणमत परंपरा को लागू किया था। इस परंपरा के अनुसार आदि शंकराचार्य जी ने अनेक संप्रदायों में सामंजस्य लाने का काम किया था।

वर्तमान में हम देख सकते हैं कि समाज में अनेक भेदभाव और कट्टरता मौजूद है। जिससे एक धर्म – दूसरे धर्म का विरोधी बन रहा है। वहीं अगर देखे तो वर्गों और जातियों में भी आपस में सामंजस्य का अभाव नजर आता है। ऐसे में हम आदि शंकराचार्य जी की शिक्षा पर चलकर सभी धर्म और सभी संप्रदायों में आपसी सामंजस्य का प्रयास कर सकते हैं ।

जिससे हमारा राष्ट्र और हमारा समाज शांतिपूर्वक अपनी उन्नति की ओर बढ़ सके। अगर किसी भी राष्ट्र और समाज को उन्नति करनी है तो यह आवश्यक है कि उसमें सामंजस्य होना ही चाहिए।
भारत जहां अनेक धर्म को लेकर चलता है और वही एक धर्म में भी अनेक जातियों को समाहित किए हैं। ऐसे समाज में सामंजस्य की अत्यंत आवश्यकता है ।

 

5. मिथ्या धारणा या झूठी धारणा बदलना :

आदि शंकराचार्य जी कहते हैं कि जब हमारी मिथ्या धारणा सही हो जाती है तो कष्ट भी समाप्त हो जाता है । यह सत्य भी है कि आज हमारे अधिकतर दुःखो का कारण हमारी मिथ्या धारणा या गलत सोच ही है।

वह गलत और संकुचित धारणा ही है जिस वजह से हम अनावश्यक कारणों में उलझे रहते हैं।
यदि हमारी धारणा सुधर जाए इसकी जगह हम उत्तम विचारों और सही सोच को ग्रहण करें तो आप देखोगे कि हमारे जीवन के आधे से अधिक कष्ट खुद ही दूर हो जाएंगे ।
आज प्रत्येक व्यक्ति अपनी झूठी या नीच धारणा के कारण अज्ञानता में उलझा हुआ है।

5 Important lessons of Adi Shankaracharya

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5 Important lessons of Adi Shankaracharya

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