Time Travel In Hindi | WarmHole In Hindi
आपने अनेक कहानियो , कथाओ और फिल्मों में समय की यात्रा ( Time Travel In Hindi ) के विषय में पढ़ा या सुना होगा। जिसमें गुजरे हुए समय या इतिहास की यात्रा करते हुए दिखाया गया होता है। ये विषय जितना रोचक है विज्ञान के लिए उतनी ही अबूझ पहेली भी। अनेक वैज्ञानिकों ने समय की यात्रा ( Time Travel In Hindi ) विषय पर बाते भी की है और इसे सुलझाने के प्रयास भी।
समय की यात्रा ( Time Travel In Hindi ) के विषय में ही एक पक्ष ओर आता है वो है टाइम मशीन, ऐसी मशीन जिसकी सहायता से समय की यात्रा की जा सकती है।
परन्तु आपको बता दे कि ये सब अभी सैद्धांतिक बाते ही मात्रा है। समय की यात्रा ( Time Travel In Hindi ) के सम्बन्ध में ही अभी एक सिद्धांत जो बड़ा ही चर्चा का विषय बना हुआ है वो है वार्महोल ( WarmHole In Hindi ) । यहाँ पर हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार वार्महोल ( WarmHole In Hindi ) को समय यात्रा में सहायक माना जा रहा है।
क्या समय की यात्रा संभव है? ( Time Travel In Hindi )
जब हम रात में आकाश को देखते हैं तो उसकी सुंदरता और विशालता में खो जाते हैं। आसामान में हमें लाखों तारे एकसाथ टिमटिमाते दिखाई देते हैं जो हमें अपनी और आकर्षित करते हैं।
पर क्या कभी आपने सोचा है कि इन सितारों तक कैसे पहुँचा जाये, आज भी ये बात हमें चौका देती है कि हम तारों तक कैसे पहुंचेंगे। ये तारे हमसे इतने दूर हैं कि साधारण यान से इन तारो तक जाने में करोड़ों वर्ष लग जायेंगे । यदि हम प्रकाश की गति से भी चलते हैं तो भी इन तारो तक पहुंचने में हमें कई प्रकाश वर्ष लग जायेंगे|
आपको बता दें कि हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक तारा proxima centauri है जो सूर्य से 4.5 प्रकाश वर्ष दुर स्थित है, इस हिसाब से हमें अपने सबसे नजदीक तारे तक जाने में भी 4.5 साल लग जायेंगे, तो फिर आकाश गंगा को पार करने के बारे में तो हम सोच भी नहीं सकते ।
सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में कोई भी चीज प्रकाश की गति से तेज नहीं चल सकती है।
वर्महोल का सिद्धांत क्या है ( WarmHole In Hindi ) –
वैज्ञानिकों ने इस स्थिति को सुलझाने के लिए Wormhole की थ्योरी दी हैं, इस सिद्धांत के अनुसर वार्महोल ( WarmHole In Hindi ) एक ऐसा छेद होता है जिसमें घुसकर हम इस अनंत ब्रह्माण्ड में देवताओं की तरह कहीं भी आ जा सकते हैं।
वर्महोल वार्महोल ( WarmHole In Hindi ) इस ब्रह्माण्ड के वो छिद्र हैं जहाँ पर आकाश (Space) और समय (Time) की सारी ज्यामितियाँ एक हो जाती हैं अर्थात यहाँ पर आकाश (Space) और समय (Time) का एक-दूसरे में रूपांतर संभव है |
आसान शब्दों में बोले तो यह अंतरिक्ष में दो पॉइंट्स के बीच में एक Tunnel (सुरंग) के समान होता है, जो स्पेस और टाइम को एक साथ जोड़ता है। जिसकी सहायता से हम अंतरिक्ष के एक छोर से दुसरे छोर तक सफ़र बहुत ही कम समय में कर सकते हैं। इस थ्योरी को आइन्सटाइन और नाथन रोजन ने साबित किया था। इसलिए इस थ्योरी को हम आइन्सटाइन रोजन ब्रिज या वर्महोल कहते हैं।
वार्महोल ( WarmHole In Hindi ) को एक उदाहरण से समझने के लिए एक सादे पेपर पर दो बिंदू बनाइए। अब इन दोनों बिंदुओं को एक सीधी रेखा से मिला दीजिए, ये सीधी रेखा दोनों बिंदुओं के बीच की सबसे कम दूरी होगी। लेकिन पेपर को मोड़ने पर हम देखते हैं कि दोनों बिंदू के बीच की दूरी और भी कम हो जाएगी। यह भी हो सकता है कि ये दोनो बिंदु एक दूसरे के ठीक पीछे आ जाये| जिससे एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने में लगने वाला समय बहुत ही कम हो जाएगा।
वर्महोल क्या होते हैं? ( WarmHole In Hindi )
वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैकहोल्स के बारे में कई सिद्धांत हैं जिनमें से एक सिद्धांत यह भी है कि ये ब्लैकहोल्स हमारे ब्रह्मांड में एक जगह से दूसरी जगह जाने का शॉर्टकट (wormhole) हो सकते हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत (theory of general relativity) में वर्महोल के अस्तित्व में होने की संभावना जताई थी लेकिन इसे अभी तक साबित नहीं किया जा सका। हालांकि, खगोल भौतिकशास्त्री का आज भी मानना है कि वर्महोल की मदद से स्पेस या टाइम में एक जगह से दूसरी पर जाया जा सकता है।
केंद्रीय खगोलीय वेधशाला (Central Astronomical Observatory) के एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि गैलेक्सी के बीच में मौजूद ब्लैकहोल (Active Galactic Nuclei, AGN) इन वर्महोल में जाने एक का रास्ता हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि स्पेसक्राफ्ट इनसे गुजर सकते हैं लेकिन इंसानों का जाना नामुमकिन है। क्योंकि इनके आसपास रेडिएशन बहुत होता है। वर्महोल और ब्लैकहोल, दोनों का गुरुत्वाकर्षण बहुत ज्यादा होता है। और दोनों बेहद सघन होते हैं| दोनों में बस यह फर्क है कि ब्लैकहोल में जाने वाली चीज वापस नहीं आ सकती, लेकिन वर्महोल में जाने वाली चीज एक सिरे से दाखिल हो कर ब्रह्मांड के किसी और हिस्से में बाहर निकलती है।
रिसर्चर्स ने दावा किया है कि यदि वर्महोल के एक सिरे से अंदर जाने वाला मैटर, उसी समय दूसरे सिरे से अंदर जाने वाले मैटर से टकरा जाए। तो इसकी वजह से दोनों सिरों से प्लाज्मा लाइट की स्पीड से बाहर निकलेगा और इसका तापमान लगभग 18 ट्रिलियन F तक होगा । इतने अधिक तापमान पर प्लाज्मा से गामा किरण निकलेंगी जिनकी ऊर्जा 6.8 करोड़ इलेक्ट्रॉनवोल्ट होगी।
अभी तक सिद्धांत में इसे संभव माना जाता है| लेकिन हमारा सबसे नजदिकी और संभावित वर्महोल 1.3 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर है। यानी इंसानों को न सिर्फ ऐसे तकनीक विकसित करनी होगी जो वर्महोल के रेडिएशन से बचा सके, बल्कि ऐसा स्पेसक्राफ्ट भी बनाना होगा जो बहुत कम समय में इतनी दूरी तय कर सके।
परन्तु आपको बता दे कि ये सब बाते अभी मात्रा सिद्धांत ही है अभी इनपर ऐसा कोई प्रैक्टिकल हुआ नहीं है जो इन्हे सिद्ध कर पाया हो। अभी समय की यात्रा पर अनेक और काम होना बाक़ी है। ये तो अभी भविष्य के गर्त में ही है कि इस विषय में अभी ओर क्या क्या होना बाकी है।
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