ढोलक बस्ती हल्द्वानी

हल्द्वानी शहर को कुमाऊं का मुख्य द्वार कहा जाता है| इस होली की धूम एवं हर्सोल्लास में हम सभी एक दूसरे के प्रति भाईचारा एवं सौहार्दपूर्ण तरीके से खुशियों से लबरेज़ रहते है| सभी के लिए होली का त्यौहार अलग-अलग रंगों में खुशियाँ समेटे आता है| कुछ लोगो के लिए होली का ये त्यौहार आजीविका का प्रमुख साधन भी हैं| इन्हीं लोगों में प्रमुख है हल्द्वानी रेलवे स्टेशन में बसी ढोलक बस्ती हल्द्वानी उत्तराखंड के लोग जिनके लिए होली महज रंग, उमंग और उल्लास का त्यौहार ही नहीं बल्कि ज़िन्दगी जीने का एक जरिया भी है, ज़िससे वह अपनी आजीविका चलाते हैं|

होली का त्यौहार ढोलक बस्ती हल्द्वानी उत्तराखंड के लोगो की आय एवं आजीविका का प्रमुख स्रोत है| होली शुरू होने से कुछ महीने पहले से ही ये लोग हर जगह, देश के कोने-कोने में घूमते है ढोलकी की आवाज़ सुनाई पड़ती है तो नज़र आता है की ढोलक बस्ती से ही कोई है, इनकी मेहनत एवं लगन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए, ये वहीं लोग है जिनकी बनाई ढोलक या ढोलकी सिर्फ होली में ही नहीं बल्कि हमारे सभी शुभ संस्कारों, शुभ कार्यों में शोभा बढ़ाती है|

होली से पहले का एक महीना ठीक-ठाक गुजर जाए तो ढ़ोलक बस्ती वालों के चेहरे पर अबीर गुलाल सी रंगत बिखर आती है| चेहरों में अलग सी चमक दिखने को मिलती है इनके घर में खुशी होती है|

होली के त्यौहार से पहले हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी ढ़ोलक बस्ती के नजारे बदले-बदले से होते हैं| हल्द्वानी रेलवे स्टेशन में बस्ती के बाहर हज़ारों की तादाद में कच्चे ढ़ोलक रखे जाते हैं| कोई पेड़ो के नीचे ढोलको में मसाला लगा रहा होता है, कोई पेंट करने में व्यस्त, तो कोई खाल और रस्सी लगाने में जुटा रहता है| होली के लिये रात-दिन एक कर ढ़ोलक तैयार की जाती है| जो कि देश के कोने-कोने तक इनके द्वारा बिकने के लिए पहुँचती है| विदेशों में भी ढोलकी बेचने लिए तैयार की जाती है|

DHOLAK BASTI1

ढोलक : आजीविका का प्रमुख स्रोत

ढ़ोलक यहां बस्ती में रहने वालों की आजीविका का मुख्य साधन है| बस्ती निवासी बताते हैं कि उनका 75 फीसदी काम होली में ही होता है| ढ़ोलक के कारीगर होली आने से पहले काफी व्यस्त हो जाते हैं, क्योंकी ढ़ोलकों की देशभर में आपूर्ति एवं डिमांड होती है| हल्द्वानी की ढ़ोलक बस्ती में ढ़ोलक तैयार करने का काम तेजी से चल रहा होता है|ढ़ोलक का खांचा अमरोहा और गोंडा (उत्तर प्रदेश) से मंगाया जाता है| इसमें पापुलर की लकड़ी का इस्तेमाल होता है|

ढोलक बस्ती का इतिहास| HISTORY OF DHOLAK BASTI

ढ़ोलक बनाने वाले कुछ कारीगर कई दशक पहले हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास आकर बसे थे| धीरे-धीरे इनका कुनबा बढ़ता गया और इस जगह का नाम ढ़ोलक बस्ती पड़ गया| इनकी बस्ती और ढ़ोलक प्रसिद्ध होती चली गई| आज यह बस्ती हल्द्वानी शहर की पहचान बन गयी है|

यह लोग होली से पहले करीब एक माह के अंदर लगभग 10,000 से ज्यादा ढ़ोलक बना चुके होते हैं ज़िन्हे ढ़ोलक बस्ती के अन्य लोग अपनी आजीविका जुटाने के लिये ढ़ोलक बेचने, देश के हर एक कोने तक ले जाते हैं| हम सभी के लिये भले ही होली हर्सोल्लास एवं खुशी का त्यौहार हो लेकिन ढ़ोलक बस्ती में रहने वाले करीब 2500 लोगों के लिए होली का त्यौहार आजीविका एवं रोजगार का मुख्य साधन है| इनका मुख्य आजीविका का स्रोत ही यही है|

यह भी पढ़े :-

BOARD EXAM SPECIAL : 12 वीं कक्षा के विद्यार्थी अध्यापकों से जाने सभी विषयो को तैयार करने की रणनीति।

सफलता पाने के 10 टिप्स । HOW TO BE SUCCESSFUL IN LIFE IN HINDI

लोगों को आकर्षित करने के 9 तरीके । 9 TRICKS TO INFLUENCE OTHERS IN HINDI

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष “बुरांश” | “BURANSH” STATE TREE OF UTTARAKHAND| FLOWERS OF BURANSH