शहादत पर हंसने वालो को ज़वाब देना बहुत जरुरी हैं | First CDS Gen Bipin Rawat & other Martyrs

 

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First CDS General Bipin Rawat & other Martyrs

देश के पहले सीडीएस (CDS) जनरल बिपिन रावत की शहादत पर मज़ाक उड़ाने या हंसने वाले चंद जाहिलों को जवाब देना अत्यंत आवश्यक हैं। क्योंकि किसी भी मुद्दे पर हमेशा चुप रहकर सहने के कारण ही इस देश ने अत्यंत प्रतिकूल समय देखे हैं। चाहे महाभारत काल में भीष्म और द्रोणाचार्य जैसे महारथियों का मौन हो या अन्य किसी मुद्दे पर बुद्धिजीवियों का मौन, सभी काल में मौन की वजह से भारत ने भारी क़ीमत चुकाई हैं। चुप रहने वालों से वो लोग बहुत हद तक इनसे सही है जो कुछ तो बोलते हैं। चाहे वो पक्ष में हो या विपक्ष में क्योंकि वो अपनी एक मानसिकता के अनुसार कुछ तो बोलते हैं।

यहाँ बात किसी विशेष संप्रदाय , वर्ग या समूह को लेकर नहीं हैं ऐसे लोग सब जगह होते है बस अंतर होता हैं अनुपात का।

यहाँ महात्मा गांधी की पुस्तक हिंदी स्वराज में भारत में अंग्रेजो के शासन के विषय मे उनके द्वारा कही गयी बात कि

 

हिन्दुस्तान गया ऐसा कहने के बजाए ज्यादा सच ये कहना होगा कि हमने हिंदुस्तान अंग्रेजो को दिया ।

यहाँ ये सीखने वाली बात है कि अगर हम शुरू से स्वाधीनता का सम्मान करते तो हमें कभी भी परतंत्रता न देखनी पड़ती। आगे भी स्वाधीनता का सम्मान करना सीखना होगा।

सबसे पहले तो इन जाहिलों को महान विचारक सुकरात की मृत्यु पर किसी के द्वारा कही एक पंक्ति के माध्यम से कुछ समझना होगा –

अगर उस पियाले मे ज़हर होता तो उस दिन सुकरात मर गए होते।

 

मतलब तुम समझ गए होंगे महान विचारक सुकरात को जहर देकर मारा गया था। उस समय उन्हें नहीं पता था कि हम सुकरात के शरीर का अंत कर सकते है , विचारो का नहीं।  जैसे आज भी सुकरात अपने विचारों के माध्यम से हमारे बीच में जीवित हैं। ऐसे ही हमारे योद्धा जनरल बिपिन रावत अपनी बहादुरी और युवाओं को हस्तांतरित की गई देश भक्ति की अपनी विरासत से हमेशा हमारे बीच रहेंगे। देश को समर्पित उनके जीवन की लौ इतनी भी कमजोर नहीं कि चंद जाहिलों की हरकत से मंद पड़ जाएं।

कुछ युवा जनरल बिपिन रावत की अंतिम यात्रा में भारत माता की जय और जनरल बिपिन रावत अमर रहे का नारा लगाते हुए बिना रुके भागते रहे । वही देश का अन्य युवा ये  भी अफ़सोस कर रहा था कि हम इस अवसर पर वहाँ मौजूद नहीं हो पाए। फिर भी युवाओं ने जहाँ भी थे वही से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सपनो को आगे बढ़ाने की सौगंध ली।  यह जवाब है उन जाहिलों को कि हमारे युवाओ के दिलो से जनरल को मिटाना किसी के बस में नही हैं।

जनरल विपिन रावत ने हर मुद्दे पर खुल कर अपनी बात रखी है। चाहे डिफेन्स क्षेत्र में जाने के लिए होनी वाली परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विधार्थियो को प्रोत्साहित करना हो या उन्हें मार्गदर्शन देना हो।इसीलिए हर आयु वर्ग का व्यक्ति उनसे भावनात्मक तौर पर उनसे जुड़ाव महसूस करताहैं। जनरल साहब का देश के प्रति समर्पण यहाँ तक था कि उन्होंने देश से कहा था की अनावश्यक खर्चे कम करें।  जिससे देश ज्यादा हथियार खरीद सके।

First CDS General Bipin Rawat & other Martyrs
First CDS General Bipin Rawat & other Martyrs

First CDS General Bipin Rawat & other Martyrs

 

इन जाहिलों को जवाब देना क्यों जरूरी ( First CDS Gen Bipin Rawat & other Martyrs ) :-

 

जैसे ऊपर महात्मा गांधी की बात आपने पढ़ी ही है कि हिंदुस्तान हमने अंग्रेजो को दे दिया। गांधी जी के अनुसार अंग्रेज व्यापारियों को हमने बढ़ावा दिया तभी वे हिंदुस्तान में पैर फैला सके।

इसी प्रकार देश की राष्ट्रीय क्षति और राष्ट्रीय शोक के समय देश का मज़ाक बनाने वालों को जवाब देना इसलिये जरूरी है क्योंकि इनकी ऐसी हरकतों से देश के बाहर के दुश्मनों को हौसला मिलता हैं। ये देख कर की देश के अंदर ही आम सहमति एवं एकजुटता नहीं हैं।

इन चंद लोगो का जब पूरा देश जवाब देगा तब उन दुश्मनो को ये भी एहसास होगा कि इन चंद जाहिलों की वजह से देश कमजोर नही होने वाला है। कुत्तो के भोकने से हाथी अपनी गति मंद नहीं किया।  यहाँ ये भी बात ध्यान दने वाली हैं कि कुत्तो को भोकने की इजाजत दी जा सकती है परन्तु काटने की नहीं।

इस विषय मे मुंशी प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाड़ी से कुछ सीख सकते हैं।  कहानी का सार यह है कि दो नवाब शतरंज खेलने की लत रखते थे।  उनकी हर समय शतरंज खेलने की लत से घर वाले उन्हें घर में शतरंज नहीं खेलने देते है । उनको घर से निकाल देने के बाद वह एक खंडहर में जाकर खेलने लगते हैं। उसी समय ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना लखनऊ में प्रवेश करती है और वहाँ के बादशाह को पकड़ ले जाती है। दोनों इस दृश्य को देखते रहते हैं किंतु कुछ नहीं करते। थोड़ी देर बाद दोनों में खेल को लेकर लड़ाई होती है और खेल में हुई कहासुनी को लेकर दूसरे की जान तक ले लेते हैं।

अपने बादशाह के लिए जिनकी आंखों से एक बूंद आंसू ना निकला उन्हीं दोनों प्राणियों ने शतरंज के वजीर की रक्षा में प्राण दे दिए।

यहाँ यही सीखने वाली बात है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर जहा जनता को बोलना चाहिए वहाँ बोलती नहीं। बल्कि छोटे और तुच्छ मुद्दों जैसे कि जातिवाद, धर्मवाद , क्षेत्रवाद आदि में एक दूसरे को इस तरह देखते है जैसे ये एक दूसरे के जानी दुश्मन हो।

हंसनें वाले जाहिलों को जब ये बात समझ में आए कि इस देश मे रहकर ही स्वतंत्रता से दो वक्त की रोटी सम्मान से मिल सकती हैं। नहीं तो पड़ोसी अफगानिस्तान की हालत सभी देख ही रहे है। खबरों में दिन प्रतिदिन आता रहता है कि लोगो को अपनी लड़कियों तक बेचनी पड़ रही हैं। इसलिए ये मातृभूमि सभी की हैं और  सभी का कर्त्तव्य हैं कि इस देश को मिलकर मजबूती से आगे बढ़ाया जाए।

मलयालम फ़िल्म इन्डस्ट्री के डायरेक्टर अली अकबर ने जनरल बिपिन रावत की शहादत को लेकर अपने फेसबुक पर श्रद्धांजलि का एक वीडियो बनाया था। जिसमे कट्टरपंथी लोगो ने उनको इतना ट्रोल किया और इतना ही नहीं उनको गालियां तक दी। जिससे उन्हें अपना धर्म तक छोड़ने का एलान करना पड़ा।

यहाँ ये समझा जा सकता है कि इन जाहिलों की हरकतें किसी इंसान को कितना मजबूर बना सकती हैं। अगर यहीं इन जाहिलों के बढ़ते हौसलो को न दबाया गया तो भविष्य में इनकी हरकते ज्यादा बढ़ती जाएगी। जो समाज और देश के लिए सही नहीं होगा जिसका फायदा बाहर बैठा दुश्मन उठाना चाहेगा।

अंत में इन्हे यही कहना चाहेंगे कि तुफानो से पहाड़ नहीं हिला करते हैं।  ये लोग जितना देश के शहीदों का मजाक बनाएंगे। उतना ही उनके समर्थकों में उनके विचारो पर चलने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति मजबूत होती जाएगी।

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