क्या भारतीय संविधान अन्य देशो के संविधान का कॉपी पेस्ट हैं ? Is Indian Constitution copy-paste of other country’s constitution? | Interesting facts about the constitution.

Indian Constitution

आमतौर पर कहा जाता है कि हमारा संविधान दूसरे देशों के संविधानों की copy paste हैं।
परंतु इस प्रकार की आलोचना करने से पहले आपको कुछ मौलिक तथ्यों पर विचार करना चाहिए। जिससे हम इस मुद्दे को सही से समझ सके।
इस विषय पर सबसे पहले आपको डॉ भीम राव अम्बेडकर के संविधान सभा में रखे विचारों को जानना चाहिए।
” कोई पूछ सकता है कि इस घड़ी दुनिया के इतिहास में बनाए गए संविधान में नया कुछ हो सकता है । सौ साल से अधिक हो गए जबकि दुनिया का पहला लिखित संविधान बना । इसका अनुसरण अनेक देशों ने किया अपने देश के संविधान को लिखित बनाकर उसे छोटा बना दिया । किसी संविधान का विषय क्षेत्र क्या होना चाहिए ; यह पहले ही तय हो चुका है उसी प्रकार किसी संविधान के मूलभूत तत्वों की जानकारी और मान्यता आज पूरी दुनिया में है।  इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सभी संविधान में मुख्य प्रावधानों में समानता दिख सकती है केवल एक नई चीज यह हो सकती है । किसी संविधान में जिसका निर्माण इतने विलंब से हुआ है कि उसमें गलतियों को दूर करने और देश की जरूरतों के अनुरूप उसको ढालने की विविधता उसमें मौजूद रहे। यह दोषारोपण कि यह संविधान अन्य देशों के संविधानों  की हू-ब-हू नकल है, मैं समझता हूं,  संविधान के यथेष्ट अध्ययन पर आधारित नहीं है।”
 इस विषय को ओर अच्छे से समझने के लिए थोड़ी ओर चर्चा करते हैं।
दोस्तों भारत में प्राचीन काल में ही मनु स्मृति और चाणक्य के अर्थशास्त्र में राजा और जनता के कर्तव्य को बताया गया है। यहां तक कि आचार्य चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र  में एक आदर्श जनता और आदर्श राजा के लक्षणों को भी बताया है तथा उन्होंने राज्य चलाने के अनेक नियमों और कानूनों को भी बताया हैं।
अगर हम अपने प्राचीन लिखित दस्तावेजों से कुछ नियम कानून या अन्य कुछ सीख लेकर उन्हें वर्तमान में लागू करना चाहे,
तो क्या हम उन्हें हु ब हु लागू करंगे ?
नहीं।
बल्कि हम उन नियमों क़ानूनों का वर्तमान परिस्तिथि के आधार पर विश्लेषण करके उन्हें आज के समाज पर लागू करेंगे। प्राचीन या आज से पहले लिखित दस्तावेजों से शिक्षा लेकर उनको वर्तमान स्थिति के अनुरूप प्रयोग किया जाता हैं। और मानलो अगर हम वर्तमान में किसी भी विषय के लिए नए सिद्धान्त का अविष्कार करना चाहे तो हमको उस विषय में पहले से उपलब्ध सिद्धान्तों का अध्ययन या विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता हैं क्योंकि बहुत से सिद्धान्त उस विषय से संबंधित पहले ही खोजे जा चुके हैं।
उसी प्रकार संविधान से संबंधित लगभग सभी विषय पहले ही लिखे जा चुके थे मतलब भारतीय संविधान लिखे जाने से पहले ही।
इसी प्रकार हमारी संविधान सभा ने अनेक देशों के  संविधानों के अध्ययन के बाद उनका विश्लेषण भारतीय सामाजिक, आर्थिक , राजनीतिक , अन्य दशाओं के आधार पर करके एक नए संविधान का निर्माण किया।
भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ 
इस आलोचना का जवाब देने के लिए एक अहम मुद्दे को ओर रख सकते हैं । भारतीय संविधान को जीवंत दस्तावेज कहा जाता है अर्थात संविधान में वर्तमान संदर्भ के आधार पर कुछ नया जोड़ा भी जा सकता है और पुराने कानूनों को हटाया भी जा सकता हैं। संविधान में समय के अनुसार और आवश्यकता को देखते हुए संशोधन भी किये जा सकते हैं ; जो कि समय समय पर किये भी गए हैं। जो भारतीय भूमि के अनुरूप था।
यह आलोचना कि हमारा संविधान केवल अन्य संविधानों का कॉपी पेस्ट  मात्र है । इसको कहीं से भी  सही नहीं ठहराया जा सकता हैं।

संविधान (Indian Constitution) के  स्रोत : –

हमारे संविधान में कौन से सिद्धान्त कहाँ से लिये गए हैं-

1.  भारत शासन अधिनियम 1935 –
संघीय तंत्र,   राज्यपाल का कार्यालय , न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन उपबंध,  प्रशासनिक विवरण.
2.  ब्रिटेन का संविधान-
 संसदीय शासन, विधि का शासन , विधायी प्रक्रिया,  एकल नागरिकता,  मंत्रिमंडल प्रणाली,  संसदीय विशेषाधिकार,  चुनाव में सर्वाधिक मत के आधार पर जीत की प्रक्रिया, द्विसदनवाद।
3. अमेरिकी संविधान-
न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक  पुनरावलोकन का सिद्धांत , मूल अधिकार , उपराष्ट्रपति का पद, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का पद से हटाए जाने की प्रक्रिया और राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया।
4 . आयरलैंड का संविधान-
नीति निदेशक तत्व राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति राज्यसभा के सदस्यों का का नामांकन
5 . कनाडा का संविधान-
 उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन,  शक्ति विभाजन,  सशक्त केंद्र के साथ अर्द्ध संघीय व्यवस्था,  अवशिष्ट शक्तियां केंद्र में निहित केंद्र में निहित , केंद्र और राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति।
6., ऑस्ट्रेलिया का संविधान-
समवर्ती सूची , व्यापार और समागम की स्वतंत्रता , संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
 6. जर्मनी का वाईमर  सविधान-
 आपातकाल के समय मौलिक अधिकारों का निलंबन
 7. फ्रांसीसी संविधान-
गणराज्य और प्रस्तावना में स्वतंत्रता क्षमता और बंधुत्व के आदर्श
8. सोवियत संघ का संविधान-
मूल कर्तव्य और प्रस्तावना में न्याय का आदर्श  सामाजिक न्याय,  आर्थिक न्याय,  एवं राजनीतिक न्याय
9 . दक्षिण अफ्रीका का संविधान-
 संविधान में संशोधन की प्रक्रिया और राज्यसभा के सदस्यों का के सदस्यों का निर्वाचन।
 10 .जापान का संविधान-
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
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