गैर सरकारी संगठन ( NGO ) – क्या , भूमिका , मुद्दे , चुनौतियाँ | Non Governmental Organization (NGO) – Role . Issues , Challenges UPSC In Hindi | NGO UPSC Hindi
What is NGO | गैर सरकारी संगठन ( NGO ) क्या होता है | ( NGO kya hota hai ) NGO UPSC Hindi |
एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) एक ऐसा संगठन होता हैं जो किसी सरकार का हिस्सा नहीं होता हैं। और यह पारंपरिक लाभ के व्यवसाय से भी सम्बंधित नहीं होता हैं। गैर-सरकारी संगठन को आमतौर पर आम नागरिकों द्वारा स्थापित किया जाता हैं। NGO UPSC Hindi
गैर-सरकारी संगठन अनेक गतिविधियों से सम्बंधित होते हैं जैसे कि पर्यावरण से सम्बंधित , सामाजिक हित से संबंधित , गरीबो के हितों का संवर्द्धन करने, मानवाधिकार के कार्यो से सम्बंधित आदि।
सामाजिक विकास , नागरिक भागीदारी , सामाजिक परिवर्तन और राजनीतिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने में गैर सरकारी संगठन विशेष भूमिका निभाते हैं।
प्रावधान –
अनुच्छेद 19 1 (c) के तहत संगम या संघ बनाने का अधिकार – सभी नागरिकों को सभा संघ अथवा सहकारी समितियां गठित करने का अधिकार होगा ।
अनुच्छेद 43 भी सहकारी समितियां के स्वैच्छिक गठन संवाद संचालन लोकतांत्रिक निमंत्रण तथा व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देना समवर्ती सूची में धर्मार्थ संस्थाओं धार्मिक विन्यास एवं धार्मिक संसाधनों का उल्लेख किया गया है ।
संयुक्त राष्ट्र संघ चार्ट 1945 के अध्याय 10 के अनुच्छेद 71 में ऐसे संगठनों की चर्चा की गई थी जो समाज के हित में बिना लाभ की मनसा से लोक कल्याणकारी कार्य करें
जेनेवा कन्वेंशन के 1949 के अनुसार राज्य जनता के संपूर्ण विकास के सभी कार्य को नहीं देख सकता अतः विकास कार्य में जनता को भागीदार बनना चाहिए वही से NGO की परिकल्पना सामने आई।
भारत की स्तिथि –
सेंट्रल स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया – 2009 की रिपोर्ट है कि देश में 33 लाख एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) या सीएसओ (सामुदायिक सेवा संगठन) हैं।
या प्रत्येक 400 भारतीय नागरिकों के पर एक एनजीओ है।
2020 में, गाइडस्टार इंडिया (जीएसआई) के पोर्टल पर 10,000 से अधिक सत्यापित एनजीओ और 1,600 से अधिक प्रमाणित एनजीओ थे।
नीति आयोग के ‘एनजीओ दर्पण’ पोर्टल पर भी 143,946 एनजीओ पंजीकृत हैं।
भारत में रूस के बाद सर्वाधिक NGO.
विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 (FCRA), 2020 –
1 . एफसीआरए FCRA खाता: विदेशी योगदान अब केवल नई दिल्ली स्थित भारतीय स्टेट बैंक के खाते में ही प्राप्त किया जा सकता हैं। यह खाता बैंक द्वारा FCRA खाते के रूप में नामित होता हैं।
2 . प्रशासनिक उद्देश्यों हेतु उपयोग में कमी: अधिनियम सुझाव देता है कि प्राप्त विदेशी योगदान की कुल राशि का अधिकतम 20% का उपयोग प्रशासनिक लागतों के कार्यो में किया जा सकता है। जो कि पहली 50 % तक था।
3 . विदेशी अंशदान स्वीकार करने पर प्रतिबंध: लोक सेवकों को विदेशी अंशदान स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।
4 . विदेशी योगदान का स्थानांतरण प्रतिबन्ध : यह किसी ऐसे व्यक्ति को विदेशी योगदान के हस्तांतरण पर रोक लगाता है जो इसे स्वीकार करने के लिए पंजीकृत नहीं है।
5 . पंजीकरण के लिए आधार: सभी कार्यालय धारकों के पास आधार संख्या होनी चाहिए।
6 . प्रमाणपत्र का त्याग करना : केंद्र सरकार किसी व्यक्ति से अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र छोड़ने के लिए कह सकती है।
एफसीआरए 2020 से संबंधित मुद्दे :-
1 . एनजीओ कार्यप्रणाली में गिरावट –
- कड़े प्रतिबंधों और धन के हस्तांतरण पर प्रतिबंध ने एनजीओ को अप्रभावी बना दिया है।
विदेशी अंशदान से प्राप्त धन को अन्य संगठन को ट्रांसफर नहीं कर सकते है। मतलब कि विदेशी अंशदान के हस्तांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया हैं। - यह निर्णय छोटे जमीनी स्तर के संगठनों को प्रभावित करता है , जो विदेशी देशों से अनुदान तक पहुंच प्राप्त करने के मानदंडों को पूरा नहीं कर सकते हैं।
- 20% प्रशासनिक व्यय सीमा निर्धारित करने से भी कार्यप्रणाली की तीव्रता में भी गिरावट आयी है क्योंकि कम व्यय के कारण गैर सरकारी संगठनों के लिए कर्मचारियों को नियुक्त करना और प्रशासनिक लागत का भुगतान करना भी मुश्किल हो जाता है। NGO UPSC Hindi
2 . वित्तीय असुविधा:
इसके अंतर्गत एसबीआई, नई दिल्ली में खाता खोलना अनिवार्य बनाया गया हैं। इससे अन्य जगहों पर काम करने वाले NGO s के लिया असुविधा हो सकती है इसलिए इसे समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला और मनमाना बताया जा रहा हैं। NGO UPSC Hindi
3 . दोहरा मापदंड:
एक तरफ सरकार विदेशी फंडों को आमंत्रित करती है, लेकिन जब ऐसे फंड शैक्षिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए आते हैं, तो इसे रोका जाता है। NGO UPSC Hindi
4 . नौकरशाही उत्पीड़न को बढ़ावा :
अत्यधिक नियंत्रणकारी प्रावधानों से नौकरशाही उत्पीड़न को बढ़ावा मिलता हैं।
5 . लक्ष्यीकरण का साधन :
कानून का उपयोग राजनीतिक विरोधियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करने के लिए किया जा सकता है।
6 . मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है:
प्रतिबंधों का संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और 19(1)(सी) के तहत बोलने की स्वतंत्रता और संघ की स्वतंत्रता के अधिकारों पर भी गंभीर परिणाम होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की इस विषय में राय –
SC ने FCRA संशोधन की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है और विदेशी योगदान के प्रवाह और उपयोग को प्रभावी ढंग से विनियमित करने के लिए एक कठोर व्यवस्था प्रदान की है। NGO UPSC Hindi
फैसले की मुख्य बातें
दवा बनाम नशीला पदार्थ :
- विदेशी योगदान तब तक दवा के रूप में काम करता है जब तक इसका सेवन संयमित और विवेकपूर्ण तरीके से किया जाता है। हालाँकि, विदेशी योगदान का मुक्त और अनियंत्रित प्रवाह एक नशीले पदार्थ के रूप में कार्य कर सकता है जो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित कर सकता है।
राजनीतिक विचारधारा थोपना: सुप्रीम कोर्ट ने रेखांकित किया कि विदेशी योगदान किसी राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित कर सकता है।
वैश्विक मुद्दे : विदेशी दान प्राप्त करना पूर्ण या निहित अधिकार नहीं हो सकता है। विश्व स्तर पर देखा गया है कि विदेशी योगदान से राष्ट्रीय राजनीति के प्रभावित होने की संभावना रहती है। NGO UPSC Hindi
NGO , नागरिकों और राज्य में सम्बन्ध ( NGO UPSC Hindi ) –
- नागरिक NGO के समक्ष अपने सुझाव , मांगे , संसाधन और फंडिंग रख सकते है।
- तो वही NGO द्वारा नागरिको को सामाजिक हित के कार्य जैसे स्वास्थ्य , शिक्षा तथा सुचना आदि उपलब्ध करायी जाती हैं।
- NGO द्वारा सरकार को विभिन्न पक्षो पर सुझाव , चर्चा की जा सकती हैं।
- सरकार इन सलाह , और चर्चा के आधार पर नागरिकों के लिए लोक कल्याण की नीतियां , योजनाएं , सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।
- नागरिकों द्वारा सरकार को प्रतिक्रिया के रूप में वोट , समर्थन तथा प्रदर्शन किया जाता हैं।
एनजीओएस की भूमिका | Role of Non-Governmental Organisations In Hindi (NGO UPSC Hindi )
1 . एक समर्थक की भूमिका: जमीनी स्तर पर कोई भी बदलाव लाने के लिए सामुदायिक स्तर के संगठन और स्वयं सहायता समूह महत्वपूर्ण हैं।
o उदाहरण के लिए, गैर सरकारी संगठन और अनुसंधान एजेंसियां जमीनी स्तर के संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
2 . दबाव समूह के रूप में कार्य करना: अनेक NGO गुणवत्ता सेवा मांग हेतु जनता को शिक्षित करना , गरीबो को संगठित करना तथा सार्वजनिक नीतियों पर दबाव बनाकर जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।
ऐसे राजनीतिक गैर सरकारी संगठन हैं जो सरकार की नीतियों और कार्यों के खिलाफ जनता की राय जुटाते हैं और जमीनी स्तर के सरकारी पदाधिकारियों के प्रदर्शन पर जवाबदेही तय करते हैं।
3. परामर्श और रणनीतिक सहयोग – अनेक समितियों , सलाहकार पैनल आदि में NGO की विशेषज्ञता के उयोग किया जाता हैं।
4 . लेखा परीक्षक या प्रहरी के रूप में
NGO सरकार और कॉर्पोरेट की नीतियों और कार्यो का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और निगरानी करके एक स्वतंत्र लेखा परीक्षक या प्रहरी की भूमिका निभाता हैं।
5 . सेवा वितरण – सामान्य और आपात दोनों ही स्तिथियों में इसके द्वारा महत्वपूर्ण सहायता , सामाजिक कल्याण की सेवाओं का संचालन किया जाता हैं।
उदाहरण के लिए-रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की गई थीं।
कोविड 19 के दौरान देश और विदेश स्तर पर अनेक NGO ने उत्तम भूमिका निभायी थी।
6 . सहभागी शासन में भूमिका – कई नागरिक समाज पहलों ने देश में कुछ अग्रणी कानूनों में योगदान दिया है।
उदाहरण के लिए – पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009, एफआरए-2006 और आरटीआई अधिनियम-2005
7 . सामाजिक जागरूकता: गैर सरकारी संगठन उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं और अंधविश्वास, लिंग, पंथ और धार्मिक भेदभाव के बारे में गहरी सोच रखने वाले लोगों के बीच जागरूकता पैदा करते हैं। ये समाज में व्याप्त आडंबरो , भेदभाव , अन्धविश्वास आदि के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम करते हैं।
उदाहरण के लिए: मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करने के लिए जागरूकता और सामुदायिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया , वंचित वर्गों के शोषण को उजागर करना आदि
8 . अंतर को पाटना: गैर सरकारी संगठन सरकार के कार्यक्रमों में अंतराल को पाटने और उन वंचित वर्गों तक पहुंचने का प्रयास करते हैं जो अक्सर राज्य परियोजनाओं से अछूते रह जाते हैं। जैसे कोविड-19 संकट में प्रवासी श्रमिकों को सहायता प्रदान करना, वैक्सीन जागरूकता के लिए लोगों तक पहुंचना आदि
9 . क्षमता निर्माण – शिक्षा, प्रशिक्षण और जानकारी प्रदान करना, उदाहरण के लिए, शिक्षा क्षेत्र में प्रथम एनजीओ के कार्य।
10 सहभागी लोकतंत्र को सक्षम करना : नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति देकर सहभागी लोकतंत्र को सक्षम बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं। NGO UPSC Hindi
एनजीओ के लिए चुनौतियाँ | Challenges with Non-Governmental Organisations In Hindi ( NGO UPSC Hindi )
1 .गैर कानूनी गतिविधि ; एनजीओ काले धन और कर चोरी के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनते जा रहे हैं। ऐसे एनजीओ दूसरों को कर चोरी में मदद करके सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं। .
2 .रणनीतिक योजना का अभाव: इससे उनके लिए अपने लक्ष्यों और गतिविधियों को सफलतापूर्वक पूरा करना मुश्किल हो जाता है। परिणामस्वरूप, वे वित्तीय सहायता मांगने और उसका सफलतापूर्वक उपयोग करने में असमर्थ हैं।
3 .अप्रभावी शासन और नेटवर्किंग: गैर सरकारी संगठनों में प्रभावी शासन का अभाव होना बहुत आम बात है।
युवा स्वयंसेवा और सामाजिक कार्य की कमी: कम आकर्षक वेतनमान और कैरियर के अवसरों के कारण, माता-पिता भी अपने बच्चों को सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने से हतोत्साहित करते हैं।
4 .शहरी क्षेत्रों में केंद्रीकृत : अधिकांश गैर सरकारी संगठन महानगरीय और शहरी क्षेत्रों में केंद्रीकृत हैं।
5 . प्रदर्शन करने वाले एनजीओ की कमी: ऐसा माना जाता है कि केवल 1.5% एनजीओ ही विकासशील देशों में काम करते हैं।
6 . राजनीतिक सक्रियता: कई गैर सरकारी संगठनों ने राजनीतिक अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, कभी-कभी राजनीतिक दलों के लिए प्रॉक्सी के रूप में कार्य करते हैं। इसके लिए उन्हें विदेशी संस्थानों से फंड भी मिलता है। ये संगठन कथित तौर पर अलगाववादी समूहों के पक्षधर हैं
7 .शक्ति की विषमता: कुछ गैर सरकारी संगठनों ने बड़े पैमाने पर प्राप्त वित्तपोषण के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों की क्षमता हासिल कर ली है। दूसरी ओर, कई गैर सरकारी संगठनों के पास परिचालन वित्तपोषण की भी कमी है। NGO UPSC Hindi
गैर सरकारी संगठनों से सम्बंधित मुद्दे | Issues with Non-Governmental Organisations ( NGOs ) In Hindi ( NGO UPSC Hindi )
1 . राष्ट्रों के हितों से समझौता
उदारीकरण के बाद NGO से संबंधित चिंता में व्याप्त वृद्धि हुई है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अनेक NGO जनहित के कार्य में संलग्न होने के नाम पर नव उदारवाद हेतु संरक्षण के पक्ष में कार्य करते हैं।
2 . धार्मिक और सांस्कृतिक अतिक्रमण
एनजीओ को अक्सर लोगों की सदियों पुरानी परंपरा और संस्कृति का अतिक्रमण करने के रूप में भी देखा जाता हैं। कई बार NGO परंपरा और संस्कृति के पक्षो पर प्रहार करके बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को जन्म देते हैं। पूर्व। जैसे पेटा की जनहित याचिका के बाद जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध
3 . प्रत्यायन / पहचानना मुश्किल
एनजीओ के वास्तविक उद्देश्य को जानना कठिन है कि क्या कोई संगठन इस उद्देश्य के लिए काम करना चाहता है या इसकी स्थापना केवल सरकारी अनुदान प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई है।
4 . विश्वसनीयता का अभाव
एनजीओ होने की आड़ में, ये एनजीओ अक्सर दानदाताओं से पैसा कमाते हैं। और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में भी शामिल हैं।
5 . फण्ड का दुरुयोग – अनेक ऐसे उदाहरण है कि दानदाताओ की फंडिंग को गैर कानूनी कामो में प्रयोग किया गया हैं। जैसे अलगाववाद फ़ैलाने में, मनी लॉन्ड्रिंग में आदि।
भारत में रूस के बाद सर्वाधिक Ngo है परंतु सभी जन कल्याण में शामिल नहीं हैं।
अनेक NGO संगठित अपराध के लिए संरक्षक का कार्य भी करते हैं।
6 . पारदर्शिता की कमी
भारत में अनेक NGO आय व्यय के विवरण को छुपाते हैं।
पारदर्शिता की कमी के कारण जवाबदेही का अभाव जैसी समस्याएं होने लगती हैं। जिससे धन का दुरूपयोग और अन्य भ्रष्ट आचरणों में ये NGO संलिप्त रहते हैं।
7 .विकासात्मक गतिविधियाँ को प्रभावित करते हैं –
भारत के इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट में ग्रीनपीस, कॉर्डेड, एमनेस्टी और एक्शन एड जैसे गैर सरकारी संगठनों पर भारत की जीडीपी को प्रति वर्ष 2-3% कम करने का आरोप लगाया गया।
अनेक ऐसी आरोप लगे हैं कि कुछ देश भारत में विकास कार्य को बाधित करने के लिए गो खुलवाते हैं। अनेक गो पर जल जंगल जमीन के नाम पर आदिवासियों एवं स्थानीय समुदाय को भड़काकर विकास कार्य में बाधा उत्पन्न करने के आप भी लगे हैं। NGO UPSC Hindi
एनजीओ के कामकाज में सुधार की सिफ़ारिश
1 .विदेशी फंडिंगइ पारदर्शिता लाना : वैश्वीकरण के युग में, एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर नज़र रखने से यह सुनिश्चित होगा कि वे पारदर्शिता से काम करते हैं और गैरकानूनी आचरण को रोकते हैं। इसलिए उन्हें अपनी विदेशी फंडिंग की घोषणा खुद करनी चाहिए।
2 .स्वयंसेवा का मूल्य स्थापित करें: एनएसएस और एनसीसी को छात्रों को कम उम्र से ही स्वयंसेवी कार्य में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।स्वयंसेवा में रुचि रखने वाले युवा स्नातकों के लिए, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों को गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करना चाहिए और कैंपस साक्षात्कार आयोजित करना चाहिए।
3 .क्षमता निर्माण: एनजीओ को सदस्यों को प्रशिक्षित कर क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता हैं। ऐसा ये अपने संसाधनों , अनुभव और क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता के प्रयोग से आसानी से कर सकते हैं ।
जिससे भविष्य में आने वाली अनेक चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक संगठनात्मक क्षमताओं का विकास कर सकते हैं।
4 .विशेषज्ञों की सलाह:
किसी परियोजना के दौरान या एनजीओ संचालन में सुधार के लिए जब भी आवश्यकता हो तो क्षेत्र विशेष के अनुभवी लोगों से सलाह मूल्यवान सिद्ध हो सकती हैं। योग्य विशेषज्ञों तक पहुंच से और उनके जुड़ने से NGO की विश्वसनीयता में बढ़ोतरी होती है और दाताओं या निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और परियोजना को सफल होने में मदद मिलेगी।
5 .प्रौद्योगिकी और संचार: सभी गैर सरकारी संगठनों को इंटरनेट, ईमेल, एक वेबसाइट और उपयुक्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए
6 .वित्तीय शिकायतें: वार्षिक आय और व्यय रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने से एनजीओ के प्रशासन के प्रति विश्वसनीयता में बढ़ोतरी होगी तथा एनजीओ की धारणा में वृद्धि होगी।
लोकतांत्रिक नेतृत्व: एनजीओ को सफलता की राह में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लोकतान्त्रिक नेतृत्व के माध्यम से इन बाधाओं को दूर किया जा सकता हैं। NGO UPSC Hindi
आगे का रास्ता
- NGO को विनियमन की आवश्यकता न कि इनके दमन की क्योंकि अनेक गतिविधियों के माध्यम से ये जन-समुदाय की सबलता में योगदान देते हैं।
- NGO की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य किया जाए और सभी कार्यो का विवरण ऑनलाइन रखना भी अनिवार्य किया जाए।
- प्रत्यायन में सुधार: शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं और सेवानिवृत्त नौकरशाहों से युक्त गतिशील और विविध राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद की स्थापना की जाए, ताकि गैर सरकारी संगठनों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
- बेहतर समन्वय: अवैध और बेहिसाब धन की निगरानी और विनियमन के मामले में गृह और वित्त मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए।
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नियामक तंत्र: भ्रष्ट आचरण को खत्म करने के लिए गैर सरकारी संगठनों की वित्तीय गतिविधियों को एक नियामक तंत्र द्वारा विनियमित किया जाना है।
आम लोगों की भागीदारी: यह गैर सरकारी संगठनों के कामकाज को लोकतांत्रिक बनाएगा और क्षमता में सुधार करने में मदद करेगा। - ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी भूमिका: भारत में, ग्रामीण क्षेत्रों में 65% आबादी रहती है। इसलिए, गैर सरकारी संगठनों को ग्रामीण क्षेत्रों में उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए अधिक व्यापक रूप से काम करना चाहिए। NGO UPSC Hindi
निष्कर्ष
गैर सरकारी संगठन जन समुदाय को सबल करने का कार्य करते हैं। गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया गया कार्य राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण सहायता करता है। गैर सरकारी संगठनों में अपने काम के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता है ।
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