Difference between Covishield and Covaxin

 

Difference between Covishield and Covaxin

कोरोना महामारी के बचाव के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें पहले 45 साल से ज्यादा के व्यक्तियों को टीका लगाया गया। परंतु अब 18 साल से अधिक उम्र के लोग भी टीका लगाने के लिए मान्य कर दिए गए हैं।

सरकार द्वारा अभी बड़े स्तर पर कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है| जहां अनेक वैक्सीन बनकर तैयार हो चुकी है। वही कुछ अभी बनने को तैयार हैं।
वहीं जनता के बीच में यह संशय अभी बना हुआ है कि इन सभी वैक्सीन में क्या अंतर है।
हम इस लेख में कोविशिल्ड और कोवैक्सीन में अंतर को बताने का प्रयास करेंगे।

इन दोनों वैक्सीन में यह अंतर केवल एक जानकारी के आधार पर प्रस्तुत किया जा रहा है ना कि जनता को यह बताने के लिए कि वह कौन सी वैक्सीन लगवाएं। जनता को वैक्सीन विशेषज्ञों की सलाह पर ही लेनी होगी।

 

को-वैक्सीन और कोविशिल्ड में मुख्य अंतर -: Difference between Covishield and Covaxin

 

को-वैक्सीन और कोवीशिल्ड (Covishield and Covaxin)

 

निर्माणकर्ता:-

कोवैक्सीन को हैदराबाद में स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च तथा नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी के सहयोग से विकसित किया है। वही कोविशिल्ड को ऑक्सफोर्ड एस्ट्रेजनेका द्वारा विकसित किया गया है और भारत में इसका निर्माण सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है।

 

वैक्सीन का प्रकार / निर्माण में प्रयोग की गई तकनीक

 

कोवैक्सीन एक निष्क्रिय वायरल टीका हैं। इसे Whole-virion Inactivated vero cell derived Technology द्वारा विकसित किया गया हैं।
इसमें निष्क्रिय वायरस का प्रयोग किया जाता है। जो किसी व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकते हैं। परंतु फिर भी यह निष्क्रिय वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय वायरस के खिलाफ रक्षा तंत्र तैयार करना सीखा देते हैं या रक्षा तंत्र तैयार करने में सहायक होते हैं।

इस तकनीक से प्रयोग करके बनाए गए कुछ अन्य टीके इस प्रकार हैं:-
* पोलियो
* रेबीज
* मौसमी इनफ्लुएंजा आदि

कोविशिल्ड को इस तकनीक से भिन्न तकनीक के माध्यम से विकसित किया गया है । जो पूरी तरह से एक अलग तकनीक है।

इबोला वायरस के टीके विकसित करने में भी उसी तकनीक का प्रयोग किया जाता है जिस तकनीक से कोविशिल्ड वैक्सीन को विकसित किया गया है|

इस तकनीक में एक चिंपैंजी एंडिनोवायरस ChAdOx1 संशोधित किया गया हैं। इस वायरस को संशोधित इसलिए किया गया हैं जिससे ये मानव कोशिकाओं में कोविड-19 स्पाइक प्रोटीन ले जाने में सक्षम हो सकें। यह वायरस संक्रमित नहीं कर सकता परंतु यह वायरस प्रतिरक्षा तंत्र को किसी वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होता है।

 

भंडारण व्यवस्था -:

 

दोनों वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रखा जा सकता हैं।

 

परिणाम -:

 

अनेक रिपोर्ट के अनुसार कोविशिल्ड की प्रभाव शीलता लगभग 90% हैं और कोवैक्सिन कि प्रभावशीलता 81% हैं।

 

दुष्प्रभाव ( side effects)-:

 

टीका लगवाने के बाद , जहाँ पर टीका लगवाया गया है उस जगह या उस हिस्से में थोड़ा दर्द का अनुभव हो सकता हैं। वही इससे कुछ लोगो को सर दर्द, बुखार भी हो सकता हैं। ये ज्यादा समय तक नही रहते हैं। कुछ व्यक्तियों में ये भी दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिले हैं।

निष्कर्ष के रूप में कह सकते है कि इस महामारी के दौर में अभी वर्तमान में जो सबसे उपयुक्त बचाव हैं वो वैक्सीन ही है। अतः बिना किसी डर या संशय के सरकार के निर्देशानुसार वैक्सीन अवश्य लगवाएं।

आज समाज में वैक्सीन को लेकर अनेक अफवाहें फैली हुई हैं। जिससे अनेक ग्रामीण क्षेत्रो में अभी भी वैक्सीनशन की दर बहुत कम बनी हुई हैं। कुछ जगह तो देखने मे आया हैं कि लोग वैक्सीन के डर से भागने लगते हैं।

ऐसे में जागरूक वर्ग का दायित्व है कि वो सरकार और विशेषज्ञों की बात को जनता तक ले जाएं। क्योकि अभी इस समय कोरोना महामारी का कोई अन्य उचित इलाज़ नहीं बन पाया हैं। अभी केवल यही है कि वैक्सीन के द्वारा कोरोना महामारी के खिलाफ़ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत किया जाए।

 

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