5G Effects | 5G Network Safe or Not ? 5G नेटवर्क

 

5G Effects 

पिछले लेख 5G Network In Hindi | 5G नेटवर्क | में हमने 5G Network के बारे में विस्तार से चर्चा की थी | आज के लेख के माद्यम से 5G नेटवर्क के बारे में जो भ्रांतियाँ फैली है उनके बारे में संशय दूर करने का प्रयास किया गया है |  

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जब से 5G के आने की बात हो रही है तब से ये कहा जा रहा है कि इससे हमारी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी | हालांकि, इसके आने से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को लेकर एक बड़ी चिंता ज़ाहिर की जा रही है | ऐसा कहा जाता है कि सिग्नल भेजने और कैच करने के लिए जो मोबाइल टावर लगाए जाते हैं उनके नज़दीक रेडिएशन की फ्रिक्वेंसी काफी होती है जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाती है |

5G में डेटा को तेजी से ट्रांसफर करने के लिए काफी ज्यादा टावर लगाने होंगे | हालांकि, विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं उनका कहना है कि अगर भारत रेग्युलेटरी अथॉरिटी द्वारा बनाए गए सुरक्षा उपायों का पालन करता है तो ऐसा कुछ नहीं होगा |

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इसको खारिज करता है, उसका कहना है कि रेडियो फ्रिक्वेंसी की वजह से सिर्फ एक ही प्रभाव पड़ेगा और वह है शरीर का तापमान बढ़ना | शरीर का तापमान बढ़ने से स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला है | 5G Effects

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार 5G इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर से जो एक्‍सपोजर होता है, वह 3.5 GHz के बराबर होता है। यह अभी के मोबाइल बेस स्‍टेशन के बराबर ही है। WHO की वेबसाइट के अनुसार, अभी चूंकि यह तकनीक विकसित हो रही है, ऐसे में और रिसर्च होनी चाहिए।

WHO के अनुसार, अभी तक की रिसर्च में वायरलेस तकनीकों का सेहत पर कोई दुष्‍प्रभाव सामने नहीं आया है।

 

5G Effects | 5G Network Safe or Not ? 

 

5G के जरिए कनेक्टिविटी की रफ्तार बेहद तेज हो जाएगी । 10 गी‍गाबिट्स पर सेकेंड (10 Gbps) की स्‍पीड से हम कुछ भी बहुत तेज़ी से डाउनलोड कर सकेंगे। इसमें (Latency) लेटेंसी बेहद कम होगी और नेटवर्क कैपेसिटी ज्‍यादा होगी।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्‍युनिकेशंस (DoT) ने हाल ही मे भारत में 5G ट्रायल स्‍पेक्‍ट्रम अलॉट कर दिया है। इससे रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (Vi) के लिए रास्‍ता साफ हो गया है। जियो और एयरटेल के पास पहले से 5G रेडी नेटवर्क्‍स हैं।

ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट रामचंद्रन जी कहते है, ‘5जी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के उलट हमारी स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाएगा | जहां तक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने की बात है तो इस तरह की बातें उस वक्त भी उठाई जा रही थीं जब 3जी और 4जी नेटवर्क आया था | जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है वे लोग इस तरह की बातें उठाते हैं | ‘

रामचंद्रन जी ने कहा, ‘लेकिन इससे किसी तरह भी डरने की ज़रूरत नहीं है | उदाहरण के लिए अगर आप रिमोट रोबोटिक सर्जरी करना चाहते हैं तो आप एक मिलीसेकेंड में पूरी कमांड दे सकते हैं और अगर इसमें देरी होती है तो रोबोट शरीर का कोई दूसरा पार्ट काट सकता है लेकिन 5जी के आ जाने के बाद इससे पूरी तरह से बचा जा सकेगा |

 

भारत के लिए क्‍यों जरूरी है 5G टेक्‍नोलॉजी ?

 

दुनिया में 40 से ज्‍यादा टेलिकॉम ऑपरेट्स 5G लॉन्‍च कर चुके हैं। 4G को भारत में धमाकेदार सफलता मिली। 5G से भारत की टेलिकॉम कंपनियों को कनेक्टिविटी से आगे बढ़कर कंज्‍यूमर्स, इंडस्‍ट्रीज और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए हल निकालने का मौका मिलेगा। डिजिटल दुनिया में अपनी धाक जमाने का जो सपना भारत 90 के दशक से देख रहा है, उसके साकार होने के लिए 5G बेहद जरूरी है।

कोविड-19 महामारी के दौर ने भी हमें सिखाया है कि डिजिटिल को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें 5G जैसी लो लेटेंसी वाली तकनीक चाहिए जिनकी मदद से रिमोटली मेडिकल ऑपरेशन किए जा सकें। मोबाइल बैंकिंग, ई-क्‍लासरूम्‍स, रिमोट वर्किंग, टेलीमेडिसिन… इन सभी के लिए अच्‍छी-खासी बैंडविड्थ की जरूरत पड़ती है।

 

 

हेल्‍थ से जुड़ी वैज्ञानिकों की चिंताएं क्‍या हैं? 5G Effects | 

 

भारत के कई नामी वैज्ञानिकों ने 5G को लेकर जल्‍दबाजी न करने को कहा है। दो साल पहले, कई वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था जिसमें उन्‍होंने कहा था कि 5G से इंसानी सेहत और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना था कि 5G में पहले विस्‍तार से रिसर्च की जरूरत है क्‍योंकि रेडिएशन का असर अक्‍सर देर से दिखता है। उन्‍होंने कहा था कि अगर इसे इंसानों के लिए सुरक्षित मान भी  लिया जाए तो भी पेड़-पौधों, पक्षियों पर इसके असर पर रिसर्च होनी चाहिए।

भारत के मशहूर टेक एक्‍सपर्ट्स में से एक, IIT कानपुर के डायरेक्‍टर अभय करंदीकर के अनुसार, RF रेडिएशंस से स्‍वास्‍थ्‍य पर किसी तरह के दुष्‍प्रभाव की बात किसी रिसर्च में सामने नहीं आए हैं। उनके मुताबिक, 5G को अलग-अलग स्‍पेक्‍ट्रम बैंड्स में डिप्‍लॉय किया जाएगा। मशहूर बैंड्स कम फ्रीक्‍वेंसी वाले होंगे। हाई फ्रीक्‍वेंसी रेंज वाले बैंड्स की कवरेज छोटी होगी है और उनकी रेडिएशन पावर भी सीमा के भीतर होगी। करंदीकर के मुताबिक, 5G से सेहत को लेकर ज्‍यादा चिंता की जरूरत नहीं है।

 

5G को लेकर अफवाह :

सोशल मीडिया से लेकर गांव-कस्‍बों में पिछले दिनों एक अफवाह खूब फैली। 5G टावरों की टेस्टिंग के चलते कोरोना वायरस की दूसरी लहर आई, यह मेसेज खूब वायरल हुआ। कहा गया कि 5G से इंसान और जानवर खत्‍म हो जाएंगे। जबकि इस दावे में कोई दम नहीं था। WHO और केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने ऐसी किसी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। दोनों ने साफ कहा कि 5G का कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है।

 

5G से पर्यावरण पर असर? 5G Effects | 

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन पर छपे एक लेख के अनुसार, 5G से निश्चित तौर पर दुनियाभर में ऊर्जा का इस्‍तेमाल बढ़ेगा। लेख में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के लिए उर्जा का बढ़ता इस्‍तेमाल भी एक प्रमुख वजह है। हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ ज्‍यूरिख की एक स्‍टडी कहती है कि 2030 तक 5G नेटवर्क के जरिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्‍सर्जन 4G नेटवर्क से कम हो जाएगा।

 

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