KAINCHI DHAM : NEEM KAROLI BABA IN HINDI | विश्वास की आस्था का धाम नीम करौली बाबा ” कैंची धाम ” | 

KAINCHI DHAM

कैंची धाम भारत का एक पवित्र एवं विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। कैंची धाम आस्था के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है।  KAINCHI DHAM : NEEM KAROLI BABA IN HINDI, लेख में कैंची धाम से सम्बंधित अनेक प्रश्नो के उत्तर देने का प्रयास किया गया है।KAINCHI DHAM1

हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड राज्य प्रकृति की अमूल्य अलौकिक धरोहर है। यहां की पावन रमणीक वादियों में पहुचते ही सांसारिक मायाजाल में भटके मानव की समस्त व्याधिया यूं शांत हो जाती है, जैसे की लौ पाते ही तिनका भस्म हो जाता है। यहां के ऐतिहासिक धरोहर रुपी रमणीय गुफाएं मनभावन मंदिर यहां आने वाले हर आगन्तुक को अपनी ओर आकर्षित करने में पूर्णतया सक्षम हैं। इसलिए उत्तराखंड को देवों की भूमि देवभूमि कहा गया है। यहाँ की रमणीक वादियां धरती में स्वर्ग की अनुभूति का आभास कराती है।

KAINCHI DHAM : NEEM KAROLI BABA IN HINDI

ऋषि-मुनियों की आराधना व तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध इस पावन भूमि के पग-पग पर देवालयों की भरमार हैं। सुंदर निर्झर झरने कल-कल धुन में नृत्य करती नदियाँ अनायास ही पर्यटकों व श्रद्धालुओ को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।KAINCHI DHAM

 

स्थान – KAINCHI DHAM

देवभूमि उत्तराखंड की अलौकिक वादियों में से एक दिव्य रमणीक लुभावना स्थल है “कैंची धाम” जिसे “नीम करौली महाराज धाम” भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कैंची धाम कुमाऊँ का मुख्य द्वार कहे जाने वाले हल्द्वानी शहर नैनीताल जनपद से मात्र 45 कि•मी• की दूरी पर स्थित है। लाखों की संख्या में भक्तजन व श्रद्धालु यहां पहुँचकर अराधना व श्रद्धा पुष्प श्री नीम करौली महाराज जी के चरणों में अर्पित करते है। प्रत्येक वर्ष 15 जून को यहां एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। भक्तजन यहां पधारकर अपनी श्रद्धा व आस्था को व्यक्त करते है, कहते है कि यहां पर श्रद्धा एवं विनयपूर्वक की गई पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। यहां पर मांगी गयी मनौती या मन्नत पूर्णतया फलदायी कही गयी है। बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के अवतार थे।

 

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जनमानस में प्रचलित कथाएं

इस मंदिर की स्थापना को लेकर कई रोचक कथाएँ जनमानस में खासी प्रसिद्ध है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। प्रत्येक वर्ष  इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। कहते है कि 1961 के आस-पास श्री महाराज जी ने यहां की भूमि पर कदम रखा तथा उनके चरणों की आभा पाकर यह भूमि धन्य हुई। जब वे सन् 1961 के लगभग यहाँ पहुचे तो उन्होंने अनेक चमत्कारिक लीलाएँ रचकर जनमानस को हतप्रभ कर दिया।KAINCHI DHAM2

नीम करौली महाराज की अनुपम कृपा से ही इस स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। बाबा नीम  करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी।

एक चमत्कारिक कथा के अनुसार माता सिद्धि व तुलाराम साह के साथ बाबा नीम किरौली महाराज किसी वाहन से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत नामक स्थान से नैनीताल को आ रहे थे तो अचानक वे कैंची धाम के पास उतर गए। इस बीच उन्होंने तुलाराम जी को बताया कि श्यामलाल अच्छा आदमी था, उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी, क्योंकि श्यामलाल जी उनके समधी थे। भाषा में ‘था’ शब्द के उपयोग से वे बेरुखे हो गए। किसी तरह मन को काबू में रखकर वे अपने गंतव्य स्थल को चल दिए। बाद में उन्हें जानकारी मिली कि उनके समधी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। कितना अलौकिक दिव्य चमत्कार था बाबा नीम करौली महाराज का कि उन्होंने दूर घटित घटना को बैठे-बैठे जान लिया इस तरह की अनेक चमत्कारिक घटनाएं बाबा नीम करौली महाराज जी से जुड़ी हुई है।

इसी तरह 15 जून को घटी एक चमत्कारिक घटना के अनुसार कैंची धाम में आयोजित भक्तजनों की विशाल भीड़ में बाबा ने बैठे-बैठे इसी तरह निदान करवाया कि जिसे यातायात पुलिसकर्मी घंटो से नहीं करवा पाए। थक-हार कर उन्होंने बाबा जी की शरण ली। आख़िरकार उनकी समस्याओ का निदान हुआ। यह घटना आज भी खास चर्चाओ में रहती है। इसके अलावा मंदिर में आयोजित भंडारे में ‘घी’ की कमी पड़ गई थी, बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो, वह जल घी में परिवर्तित हो गया। इस चमत्कार से आस्थावान भक्तजन नतमस्तक हो उठे।

एक अन्य चमत्कार के अनुसार बाबा नीम करौली महाराज जी ने गर्मी की तपती धूप में एक भक्त को बादल की छतरी बनवाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुचवायाँ। इस तरह एक नहीं अनेक किवंदतिया जुड़ी हुई है बाबा नीम करौली महाराज से। नीम करौली बाबा को यह स्थान बहुत प्रिय था। प्राय: हर गर्मियों में वे यहीं आकर निवास करते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान जी का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। अब तो यहाँ पर बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित कर दी गयी है, जिसके समपक्ष बैठ कर प्रतीत होता है कि बाबा साक्षात विराजमान होकर सब देख रहे है। बाबा जिस पठखाट (खटिया) में बैठे रहते थे भक्तजन उस खटिया पर नतमस्तक होकर शीष झुकाते है।

मान्यता है कि बाबा नीम करौली जी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।

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भक्तों में बड़ी बड़ी हस्तियां भी मौजूद

बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खींचे चले आते हैं। मिरेकल ऑफ लव (Miracle of Love) नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी गयी है, इस पुस्तक में बाबा नीम  करौली के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।

यहाँ की वादियाँ, हरियाली, शांत वातावरण, नदी की मधुर आवाज सभी बाबजी की मधुरता एवं आशीर्वाद का सोपान करती है।

यहाँ पर यात्रियों के ठहरने के लिए एक सुन्दर धर्मशाला भी है। यहाँ पर देश-विदेश के आये लोग प्रकृति का आनन्द लेते हैं।

पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण विश्वास की आस्था का धाम नीम करौली बाबा ” कैंची धाम ” में १५ जून  को लगने वाले भव्य मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है। आशा करते है की बाबाजी के आशीर्वाद से जल्द ही पूरा विश्व इस कोरोना महामारी पर विजय पाकर आस्था एवं श्रद्धा के साथ सभी पावन धामों के दर्शन करेगा।

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कैसे पहुंचे कैंची धाम मंदिर! How to Reach KAINCHI DHAM | 

कैंची धाम मंदिर (KAINCHI DHAM) उत्तराखंड राज्य के नैनीताल (NAINITAL) जिले के कैंची नामक स्थान पर स्थित है। नैनीताल जिला अन्य शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है| बस, टैक्सियां एवं अन्य यातायात के स्थानीय साधन उपलब्ध है |

निकटतम रेलवे स्टेशन – काठगोदाम (45 किमी )

निकटतम हवाई अड्डा – पंतनगर (75 किमी )

 

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