अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस | अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस विशेष | INTERNATIONAL TIGER DAY IN HINDI | IMPORTANCE OF TIGER DAY IN HINDI

 

 

INTERNATIONAL TIGER DAY

कहा जाता है कि बाघ जंगलों की हिफाजत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हरे-भरे जंगलों से लेकर पानी की आपूर्ति और लहराते जंगलो में भी बाघों की अहम भूमिका है। लेकिन जंगलों के कटान के चलते जहां प्रकृति का तापमान बढ़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है वही बाघों को अपने अस्तित्व की लड़ाई भी लड़नी पड़ रही है।

यह शानदार जीव 100 सालों के दौरान दुनिया भर में घटकर सिर्फ 3 फ़ीसदी मात्र ही रह गए हैं। हालांकि भारत में इनकी संख्या में पिछले कुछ सालों में काफी अच्छी बढ़ोतरी हुई है और आज पूरी दुनिया के करीब 80 फ़ीसदी बाघ भारत में है। बाघों के संरक्षण के लिए प्रत्येक 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। आज इस लेख के माध्यम से हम अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस एवं बाघों के संरक्षण के विषय में विस्तार से जानेंगे। INTERNATIONAL TIGER DAY

 

 

 

 अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस विशेष | INTERNATIONAL TIGER DAY SPECIAL | INTERNATIONAL TIGER DAY ESSAY IN HINDI

 

 

देश में बाघों की संख्या में पिछले कुछ सालों में इजाफा देखने को मिला है। देश में बाघों की संख्या को लेकर ताजा आंकड़े जारी किए गए हैं। नए आंकड़ों के मुताबिक देश में बाघों की संख्या 2100 के आसपास है। पिछले 14 सालों में देश में सालों में बाघों की संख्या में दोगुने से भी ज्यादा वृद्धि हुई है।

करीब 14 साल पहले जब देश में मात्र 1411 बाघ ही रह गए थे। तब बाघों की घटती आबादी पर गंभीर चिंता जाहिर की गई थी। और सरकार ने बाघों की घटती आबादी और बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए जो प्रयास किए उसी का नतीजा है, कि आज दुनिया भर में बाघों का प्रमुख घर भारत बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर जारी आंकड़ों के अनुसार दुनिया में भारत बाघों के लिए सबसे बढ़िया आवास का क्षेत्र उभर कर सामने आया है।

पर्यावरण के संतुलन के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि मनुष्य के साथ-साथ जीव-जंतु का संतुलन भी आवश्यक रूप से बना रहे। इनमें से किसी का भी कम होना या विलुप्त होना पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। ऐसे में पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में बाघों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

बाघों की घटती संख्या पर जब साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के टाइगर शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के नेताओं ने बाघों की संख्या को दोगुना करने की प्रतिबद्धता को दोहराया था, तब शायद किसी को अंदाजा नहीं था कि भारत अपने लक्ष्य को समय से 4 साल पहले ही हासिल कर लेगा। लेकिन भारत में यह कर दिखाया। INTERNATIONAL TIGER DAY

 

 

 

भारत में बाघों की स्थिति | TIGER IN INDIA | TIGER CONSERVATION | TIGER POPULATION IN HINDI

 

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर जारी ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बाघों की संख्या 2967 पहुंच गई थी। जो 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में 7४१ की बढ़ोतरी थी। देश में बाघों की संख्या के आकलन के लिए तीन बार सर्वे हो चुके है।

भारत में बाघों की संख्या एवं संरक्षण के लिए पहला सर्वे साल 2006 में हुआ था। सन 2006 में भारत में बाघों की संख्या 1411 थी।

इसके बाद दूसरा सर्वे साल 2010 में हुआ। जिसमें देश में बाघों की संख्या बढ़कर 1706 हो गई।

साल 2014 में हुए तीसरे सर्वे के मुताबिक बाघों की संख्या 2226।

सर्वे बताता है कि देश में बाघों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। और आज दुनिया भर में मौजूद बाघों की तीन चौथाई आबादी का बसेरा भारत में है।

2018 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाघों की संख्या 2967 थी। देखा जाए तो 2010 से बाघों की संख्या में लगातार इजाफा ही हुआ है। 2018-19 के बाघों की स्थिति के आकलन का चौथा चक्र सबसे सटीक सर्वेक्षण था। इसके लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने देशभर के टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क अभयारण्य और सामान्य वनमंडलों में 28 पैरामीटर पर बाघों की गणना की। इसके लिए पूरे देश में 20 राज्यों के लगभग 3 लाख 81 हज़ार 4 सौ किलोमीटर जंगलों में सर्वे किया गया। वन विभाग के कर्मचारी इस दौरान करीब 5लाख 22हज़ार 996 किलोमीटर पैदल चले। देशभर में 141 स्थानों पर 26हज़ार 838 कैमरा ट्रैप लगाए गए। इन कैमरों की वजह से 1लाख 21हज़ार किलोमीटर से ज्यादा का इलाका कवर हुआ। इसके साथ ही इन कैमरों से तीन करोड़ 40 लाख से ज्यादा तस्वीरें इक्कठी की गई इन तस्वीरों में से 76हज़ार 651 तस्वीरें बाघों की थी और ५1 हजार 777 तस्वीरें लेपर्ड की थी। इस प्रक्रिया को पूरी करने में लगभग 5लाख 93हज़ार 882 मानव कार्य दिवस लगे। यह अब तक दुनिया का सबसे बड़ा बर्डलाइफ सर्वे किया गया।

 

 

राज्यवार आंकड़े :

 

  • मध्य प्रदेश : 526 बाघ
  • कर्नाटक : ५२४ बाघ
  • उत्तराखंड : 442
  • महाराष्ट्र : 312
  • तमिलनाडु : 264

देश में मौजूद बाघों की पूरी आबादी से ६०.80 फ़ीसदी बाघ इन्हीं पांच राज्यों में है।

पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने के साथ-साथ बाघ भारत समेत कई देशों में आस्था का प्रतीक भी है। भारत के अलावा मलेशिया और बांग्लादेश का राष्ट्रीय पशु भी बाघ ही है। चीनी संस्कृति में तो टाइगर ईयर भी मनाया जाता है। यानी बाघ से जुड़ी कोई भी पहल कई देशों को और वहां के लोगों को कई तरह से प्रभावित करती है।

आज भी संवेदनशीलता का प्रयोग करते हुए भारत द्वारा बाघ के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। उसका नतीजा ही है कि दुनिया भर में मौजूद बाघों की कुल आबादी का लगभग 80% हिस्सा अकेले भारत में मौजूद है।

आंकड़ों के मुताबिक बीसवीं शताब्दी में सदी की शुरुआत में देश में 40,000 से ज्यादा बाघ थे। लेकिन शुरुआती 7 दशकों में अंधाधुंध शिकार और बढ़ती आबादी से कम होते जंगलों के कारण बाघों की संख्या में काफी गिरावट आई। 1972 में इनकी संख्या घटकर १९०० से भी कम रह गई। इसे विश्व स्तर पर काफी गंभीरता से लिया गया। दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ भारत में है। इस वजह से 70 के दशक में बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया।

 

 

बाघों के संरक्षण हेतु सरकार के प्रयास | IMPORTANCE OF TIGER CONSERVATION IN HINDI | IMPORTANCE OF TIGER DAY IN HINDI

 

बाघों को संरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने 1973 में 9 टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। आज देश में इनकी संख्या बढ़कर करीब 50 हो चुकी है। इसके संरक्षण के लिए सबसे पहले टास्क फोर्स का गठन किया गया था। जिसमें बाघों को अवैध शिकार से बचाने, उनके रहने की जगह का रखरखाव, फायर प्रोटेक्शन, पानी की आपूर्ति समेत तमाम पहलुओं पर विचार मंथन किया गया। यह वह समस्या थी जिससे बाघों की संख्या पर सबसे ज्यादा असर पड़ा।

टास्क फोर्स के सुझाव पर ही प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger ) शुरू किया गया।  प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व ( Project Tiger Reserve) ना केवल बाघों को संरक्षण देता है, बल्कि सभी वन्यजीवों की आजादी और सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। केंद्र सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए एनटीसीए का गठन किया गया। वहीं बाघों को बचाने के लिए कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही है। इसके तहत हर राज्य के मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संचालन समिति का गठन और बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्थापना की गई है।

अभयारण्य आधारित संख्या मानकों पर ध्यान रखने के साथ-साथ संरक्षण की मजबूती के लिए सितंबर 2006 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया गया। वन्यजीवों के अवैध व्यापार को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने के लिए पुलिस, वन, सीमा शुल्क और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों को मिलाकर अपराध नियंत्रण ब्यूरो बनाया गया। यह ब्यूरो अपराध पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ बाघ से जुड़े कई मसलों का ध्यान रखता है। इसकी स्थापना जून 2007 में हुई।

इसके अलावा सुरक्षा के मद्देनजर विशेष बाघ संरक्षण दल (SDPF) का गठन किया गया। बाघों की सुरक्षा का मसला बीच-बीच में उठता रहा है और पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने इस पर संजीदगी दिखाई है। बाघ परियोजना में संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी ग्राम पुनर्वास पैकेज दिया जाता है। इसके तहत बाघ की आबादी एवं आवाजाही वाले इलाकों से हटाकर दूसरी जगह बसने के एवज में 10 लाख रुपए  प्रति परिवार को मदद दी जा रही है। साथ ही इन इलाकों में बाघ अगर पालतू पशु को मार देता है, तो उसके लिए भी मुआवजे का प्रावधान है।

शिकार और तस्करी पर रोक लगाने के लिए रणनीति बनाई गई है। इसमें अब अभयारण्य से बाहर के जंगलों में रहने वाले चीता को भी शामिल किया गया है। ताकि उसके साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ ना हो सके। इसके लिए बाघ कॉरिडोर संरक्षण का सहारा लिया जा रहा है। और पुनर्वास संबंधी दिशा निर्देश राज्य सरकारों को जारी किए गए हैं।

हालांकि पुनर्वास की इस तरीके से कई लोग अब भी असंतुष्ट हैं। इसका एक कारण तो मुआवजे पर असंतोष है दूसरा कई दफा बसावट के लिए जगह पर रजामंदी नहीं बन पाना भी है। बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत ने कई कदम उठाए हैं।

 

 

बाघों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल | TIGER DAY KA MAHATVA

 

भारत ने चीन से बाघ संरक्षण संबंधी समझौता किया है। इसके अलावा अवैध व्यापार रोकने के लिए सीमा पार नेपाल से समझौता किया गया है। इसके साथ ही वर्ड बंगाल टाइगर के संरक्षण के लिए बांग्लादेश से समझौता हो चुका है। बाघ और तेंदुए के संरक्षण के लिए रूस से मदद के लिए एक दल भी बनाया गया है। बाघ संरक्षण संबंधी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए बाघ पाए जाने वाले देशों के बीच एक ग्लोबल टाइगर फोरम का गठन किया गया है।

भारत के अलावा दुनिया के करीब 12 देशों में बाघ पाए जाते हैं। यह देश है बांग्लादेश, भूटान, चीन, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम। बाघों के कुल आबादी का करीब 80 फ़ीसदी भारत में ही है, इसलिए पूरी दुनिया की निगाह भी भारत की रणनीति और कोशिश पर लगी रहती है।

बाघों की घटती तादाद हमेशा से ही दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए चिंता का विषय रही है। ऐसे में बाघों के संरक्षण के लिए और जागरूकता बढ़ाने के मकसद से 29 जुलाई 2010 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस ( International Tiger Day) के तौर पर मनाने का ऐलान किया गया। इसके बाद से बाघ को लेकर जागरूकता बढ़ी और इसका असर बाघों की संख्या पर साफ-साफ देखने को मिल रहा है।

 

 

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस विशेष | बाघ संरक्षण पर जोर | INTERNATIONAL TIGER DAY UPSC IN HINDI

 

कहा जाता है कि अगर बाघ  बचेंगे तो जंगल भी बचेंगे। बाघ को जंगल की हिफाजत करने वाला सबसे अच्छा गार्ड माना जाता है। लेकिन आज बाघ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। नतीजतन जंगलों पर भी खतरा खतरा मंडरा रहा है।

पूरी दुनिया में लगभग 1913 में १ लाख बाघ थे। 2013 में यह तादाद घटकर 3274 रह गई। यानी 100 साल में दुनिया से 97 फ़ीसदी बाघ गायब हो गए। 2014 में बाघों की तादाद 3200 रह गई लेकिन 2015 का साल में  बाघों की संख्या 3890 हो गई। हालांकि पिछले कुछ सालों में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन दशकों से इनकी संख्या में जो गिरावट देखने को मिली है वह हमारे सामने चिंता की नई लकीर खींच रही है।

एक अनुमान के मुताबिक अगर बाघों की तादाद में कमी आती रही तो आने वाले 1 दशक में बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। बाघों के अस्तित्व में मडराते ऐसे खतरे के बीच 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में टाइगर सम्मिट का आयोजन किया गया। इसमें 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का ऐलान हुआ। इसे ग्लोबल टाइगर डे ( Global Tiger Day) के नाम से भी जाना जाता है।

 

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बनाने का मकसद लोगों को बाघों के संरक्षण के लिए जागरूक करना था बाघों की तादाद बढ़ाने और सदियों तक बाघ धरती पर रह सके इसकी कोशिश करना इसके लिए बाघों का प्राकृतिक परिवेश में संरक्षण बेहद जरूरी है

जानकारों के मुताबिक बाघों की घटती संख्या के पीछे मानवीय हस्तक्षेप ही सबसे बड़ी समस्या है। इसके अलावा बाघों के रहने योग्य जंगलों की घटती संख्या, पर्यावरण में बढ़ता असंतुलन, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे कारणों के चलते भी बाघ तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी के संतुलन के लिए भी बाघों को बचाना बेहद जरूरी है। जानकारों का कहना है कि बाघों के संरक्षण के लिए एक परिपक्व सोच की जरूरत है। भारत में 1972 में बाघों के संरक्षण के लिए टारगेट टाइगर प्रोजेक्ट (Target Tiger Project) शुरू किया गया था। इसके अलावा कई पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमी और संस्थान बाघ संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।

 

परंपरागत रूप से बाघों की आठ उप-प्रजातियों को मान्यता दी गई है, जिनमें से तीन विलुप्त हो चुकी हैं।

* बंगाल टाइगर्स : भारतीय उपमहाद्वीप
* कैस्पियन बाघ : मध्य और पश्चिम एशिया के माध्यम से तुर्की (वलुप्त)
* अमूर बाघ : रूस और चीन के अमूर नदी क्षेत्र और उत्तर कोरिया
* जावन बाघ : जावा, इंडोनेशिया (विलुप्त)
* दक्षिण चीन बाघ : दक्षिण मध्य चीन
* बाली बाघ : बाली, इंडोनेशिया (विलुप्त)
* सुमात्रन बाघ : सुमात्रा, इंडोनेशिया
* भारत-चीनी बाघ : महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्व एशिया।

खतरा:-

आवास क्षेत्र का विनाश, आवास विखंडन और अवैध शिकार।

संरक्षण की स्थिति:-

  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) लाल सूची: लुप्तप्राय।

भारत में टाइगर रिज़र्व

कुल गणना : 53
सबसे बड़ा : नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व, आंध्र प्रदेश
सबसे छोटा : महाराष्ट्र में बोर टाइगर रिज़र्व

 

READ ALSO (यह भी पढ़े) :

 

प्रकृति का दोहन | EXPLOITATION OF NATURE IN HINDI

हम किसके घर मे प्रवेश कर रहे हैं ? | ENVIRONMENTAL POLLUTION

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष “बुरांश” | “BURANSH” STATE TREE OF UTTARAKHAND| FLOWERS OF BURANSH

 

 

HKT BHARAT के सोशल मीडिया ( social media ) माध्यमों को like करके निरंतर ऐसे और लेख पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे |

FACEBOOK PAGE

KOO APP

INSTAGRAM 

PINTEREST

TWITTER 

SEARCH TERMS : अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस | अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस विशेष | INTERNATIONAL TIGER DAY IN HINDI | टाइगर डे | TIGER’S DAY | TIGER DAY KA MAHATVA IN HINDI | INTERNATIONAL TIGER DAY ESSAY IN HINDI | IMPORTANCE OF TIGER CONSERVATION IN HINDI | INTERNATIONAL TIGER DAY UPSC IN HINDI | IMPORTANCE OF TIGER DAY IN HINDI