UPSC IAS (Mains) 2015 Hindi Literature  (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi |  यूपीएससी आईएएस 2015 (मुख्य परीक्षा) हिंदी साहित्य पेपर -2   | Hindi Literature Previous Year Question Paper -2  2015

UPSC IAS (Mains) 2015 Hindi Literature (Paper – 2 ) Exam Question Paper

Hindi Literature Previous Year Question Paper -2 2015

UPSC IAS (Mains) 2015 Hindi Literature  (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi
UPSC IAS (Mains) 2015 Hindi Literature  (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi

 

2015

  1. निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ऐसी व्याख्या कीजिए कि इसमें निहित काव्य-मर्म भी उद्घाटित हो सके: 5 = 50

(a) निर्गुन कौन देस को वासी? मधुकर! हंसि समुझाय, सौंह दै बूझति साँच, न हांसी। को है जनक, जननि को कहियत, कौन नारि को दासी? कैसो वरन घेस है कैसो, केहि रस के अभिलासी। पावैगो पुनि कियो आपनो जो रे कहैगो गांसी। सुनत मौन है रह्यौ ठग्यौ सो सूर सबै मति नासी।।

(b) तात राम नहि नर भूपाला। भुवनेश्वर कालहूँ कर काला ॥ ब्रह्म अनामय अज भगवंता। व्यापक अजित अनादि अनंता ।। -गो द्विज धेनु देव हितकारी। कृपासिंधु मानुष तनुधारी ॥ जन रंजन भंजन खल व्राता। वेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता ।। ताहि वयर तजि नाइए माथा, प्रनतारति भंजन रघु नाथा।। देहु नाथ प्रभु कहुँ वैदेही, भजहु राम विनु हेतु सनेहीं । सरन गये प्रभु ताहु न त्यागा, बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा। जासु नाम भय ताप नसावन, सोइ प्रभु प्रकट समुझु जियँ रावन ।।

(c) मेरी भववाधा हरौं, राधा नागरि सोइ। जा तन की झाई पर स्यामु हरित दुति हो ।कहत नूटत रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात । भरै भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात ।।

(d) विश्व की दुर्बलता बल बने

पराजय का बढ़ता व्यापार

हंसाता रहे उसे सविलास

शक्ति का क्रीडामय संचार

शक्ति के विद्युतकण जो व्यस्त

विकल बिखरे हैं हो निरुपाय

समन्वय उसको करे समस्त

विजयिनी मानवता हो जाय।

 

(e) सबने भी अलग-अलग संगीत सुना

इसको

वह कृपा वाक्य था प्रभुओं का

उसको

आतंक मुक्ति का आश्वासन

इसको

वह भरी तिजोरी में सोने की खनक ।

उसे

बटुली में बहुत दिनों के बाद अन्न को सांधी खुशबू ।

किसी एक को नई वधु की सहमी सी पायल ध्वनि

किसी दूसरे को शिशु की किलकारी

एक किसी को जाल फंसी मछली की तड़पन – एक अपर को चहक मुक्त नभ में उड़ती चिड़िया की।

एक तीसरे को मंडी की ठेलमठेल ग्राहकों की आस्पर्धा भली बोलियाँ,

चौथे को मंदिर की ताल युक्त घंटा ध्वनि ।

और पाँचवें को लोहे पर सधे हथौड़े की सम चोटें

और छठें को लंगर पर कसमसा रही नौका पर लहरों की अविराम थपक

बटिया पर चमरौधे की रुंधी चाम सातवें के लिए

और आठवें को कुलिया की कटी मेड़ से बहते जल की छुलछुल ।

इसे गमक नट्टिन की ऐड़ी के घुँघरू की।

उसे युद्ध का ढोल।

इसे संझा-गोधूली की लघु टुन टुन

उसे प्रलय का डमरू नाद।

इसको जीवन की पहली अंगड़ाई

पर उसको महाजृंभ विकराल काल

सब डूबे, तिरे, झिपे जागे

हो रहे वशंवद स्तब्ध

इयत्ता सबकी अलग-अलग जागी।

(2. (a) मुक्तिबोध की कविता में आधुनिकताबोध नए  आयाम के साथ आत्मबोध के स्वर भी है। विचार प्रस्तुत कीजिए।  20

(b) अवधी भाषा में रचित ‘पद्मावत’ प्रेम और दर्शन का अद्भुत महाकाव्य है। संवेदनशील उत्तर दीजिए।

(c) बिहारी के दोहों में नीति, भक्ति शृंगार की त्रिवेणी प्रवाहित है। स्पष्ट कीजिए।

  1. (A) सूर के काव्य में है उतनी ही वाग्विदग्धता भी स्पष्ट कीजिए।

(b) ‘रामचरितमानस’ के बाद ‘कामायनी’ एक ऐसा प्रबंध काव्य है जो मनुष्य के सम्पूर्ण प्रश्नों का अपने ढंग से कोई न कोई सम्पूर्ण उत्तर देता है। विचार कीजिए।

(c) मैथिलीशरण गुप्त को आधुनिक हिन्दी कविता के विकास में जो भूमिका है उसे स्पष्ट कीजिए।

  1. (a) ‘राम की पूजा का आज के समय में नया पाठ क्या हो सकता है, स्पष्ट कीजिए।

(b) नये काव्य में किन अर्थों में महत्त्वपूर्ण है, स्पष्ट कीजिए।

(c) दिन रचनाओं के संदेश अपनी भाषा में लिखिए।

खण्ड ‘B’ SECTION ‘B’

  1. निम्नलिखित गद्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ससंदर्भ व्याख्या कीजिए और उसका सौंदर्य भी स्पष्ट कीजिए: 10 x 5 = 50

(1) स्थाविर चिबुक की चामत्कारिक औषधि और कांधारी फलों के रस से शरीर में शीघ्र ही रसवृद्धि होकर पृथुसेन की प्राणशक्ति सामर्थ्य अनुभव करने लगी। उसी अनुपात में दिव्या की स्मृति और उसके लिए व्या लगा। जीवन का पांसा फेंक कर प्राप्त की हुई सफलता दिव्या के अभाव में उसे निस्सार जान पड़ने लगी।

(b) होरी प्रमन्त था। जीवन के सारे संकट, सारी निराशाएँ मानो उसके चरणों पर लोट रही थीं। कौन कहता है जीवन-संग्राम में वह हारा है? यह उल्लास, यह गर्व, यह पुलक क्या हार के लक्षण हैं? इन्हीं हारों में उसकी विजय है। उसके टूटे-फूटे अस्त्र उसकी विजय-पताकाएँ हैं। उसकी छाती फूल उठी है। मुख पर तेज आ गया हैं।

(c) कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ संबंधों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोक सामान्य भूमि पर ले जाती है, जहाँ जगत् की नाना गतियों के मार्मिक स्वरूप का साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है, इस भूमि पर पहुँचे हुए मनुष्य को कुछ काल के लिए अपना पता नहीं रहता। वह अपनी सत्ता को लोक-सत्ता में लीन किए रहता है। उसकी अनुभूति सबकी अनुभूति होती है या हो सकती है।

(d) मैं मानती हूँ माँ, अपवाद होता है। तुम्हारे दुःख की बात भी जानती हूँ। फिर भी मुझे अपराध का अनुभव नहीं होता। मैंने भावना में एक भावना का वरण किया है। मेरे लिए यह संबंध और सब संबंधों से बड़ा है। मैं वास्तव में अपनी भावना से प्रेम करती हूँ जो पवित्र है, कोमल है, अनश्वर है…।

(e) राष्ट्रनीति, दार्शनिकता और कल्पना का लोक नहीं है। इस कठोर प्रत्यक्षवाद की समस्या बड़ी कठिन होती है। गुप्त साम्राज्य की उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ इसका दायित्व भी बढ़ गया है। पर उस बोझ को उठाने के लिए गुप्तकुल के शासक प्रस्तुत नहीं, क्योंकि साम्राज्य-लक्ष्मी को अब अनायास और अवश्य अपनी में आने वाली वस्तु समझने लगे हैं।

  1. (a) “भारतेन्दु के कुछ नाटकों में गदर की साहित्यिक प्रतिक्रिया प्रकट हुई है।’ भारत दुर्दशा’ के विशेष संदर्भ में तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

(b) राजेन्द्र यादव की कहानियों में समकालीनता का स्वर है, प्रतिपादित कीजिए।

(c) कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों की भावनात्मक और विचारात्मक पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।

  1. (a) ‘स्कन्दगुप्त’ नाटक प्रसाद के जीवन-मूल्यों का कौन-कौन संदर्भ उद्घाटित करता है?

(b) राजेन्द्र यादव की कहानियों की विशेषताएँ बताइए । (c) ‘ईदगाह’ या ‘पूस की रात’ कहानियों में से किसी की समीक्षात्मक विवेचना कीजिए ।

  1. (a) ‘दिव्या’ उपन्यास देश की गौरवगाथा मात्र । अपितु आगे की दिशा भी तलाशती है। इस पर विचार प्रस्तुत कीजिए।

 

(b) आंचलिक उपन्यास के रूप में ‘मैला आँचल’ का मूल्यांकन कीजिए।

(c) एक राजनैतिक उपन्यास के रूप में ‘महाभोज’ का विवेचन कीजिए।

Hindi Literature Previous Year Question Paper -2  2015

 

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