UPSC IAS (Mains) 2016 Hindi Literature (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi | यूपीएससी आईएएस 2016 (मुख्य परीक्षा) हिंदी साहित्य पेपर -2 | Hindi Literature Previous Year Question Paper-2 2016
UPSC IAS (Mains) 2016 Hindi Literature (Paper – 2 ) Exam Question Paper
Hindi Literature Previous Year Question Paper-2 2016
2016
- निम्नलिखित काव्यांशों की संदर्भ-सहित व्याख्या (लगभग 150 शब्दों में) प्रस्तुत करते हुए उनके काव्य-सौंदर्य का पिरचय: दीजिए:
(a) स्याम मुख देखे ही परतीति ।
जो तुम कोटि जतन करि सिखवत जोग ध्यान की रीति ।।
नाहिंन कछू सयान ज्ञान में यह हम कैसे मानें।
कहाँ कहा कहिए या नभ को कैसे उर में आनै ।।
यह मन एक, एक वह मूरति भृंगकीट सम माने।
सूर सपथ दै बूझत ऊधौ यह ब्रज लोग सयाने।।
(b) कहेहु तात अस मोर प्रनामा । सब प्रकार प्रभु पूरनकामा ।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
(c) चेतना का सुंदर इतिहास अखिल मानव भावों का सत्य;
विश्व के हृदय-पटल पर दिव्य अक्षरों से अंकित हो नित्य
विधाता की कल्याणी सृष्टि सफल हो इस भूतल पर पूर्ण
पटें सागर, बिखरें ग्रह-पुंज और ज्वालामुखियाँ हो चूर्ण।
(d) बालहीना माता की पुकार कभी आती, और आता आर्चनाद पितृहीन बाल का
आँख पड़ती है जहाँ, हाय वही देखता हूँ सेंदुर पुछा हुआ सुहागिनी के भाल का;
बाहर से भाग कक्ष में जो छिपता हूँ कभी, तो भी सुनता अट्टहास क्रूर काल
और सोते-जागते में चौक उठता हूँ, मानो शोणित पुकारता हो अर्जुन के लाल का।
(e) शत घूर्णावर्त, तरंग भंग, उठते पहाड़
जल राशि-राशि जल पर चढ़ता खाता पछाड़ तोड़ता बंध-प्रतिसंध धरा, हो स्फीत वक्ष दिग्विजय- अर्थ प्रतिपल समर्थ बढ़ता समक्ष
- (a) भक्ति आंदोलन का जन-साधारण पर जितना व्यापक प्रभाव हुआ, उतना किसी अन्य आंदोलन का नहीं।’ इस कथन की सार्थकता पर विचार करते हुए कबीर की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
(b) ‘पद्मावत’ काव्य में वर्णित विरह भावना विप्रलंभ शृंगार की सैद्धांतिक सीमाओं का किन-किन संदर्भों में उल्लंघन करती दिखाई देती है? विश्लेषण कीजिये।
(c) बिहारी की काव्यकला अपनी ध्वनिक्षम संभावनाओं के साथ-साथ रसाभिव्यक्ति में भी पूरी तरह से सक्षम है-तर्कसम्मत उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- (a) सिद्ध कीजिये कि ‘असाध्य वीणा’ सृजनात्मकता के रहस्य को उसकी समग्रता में अभिव्यक्त करती है। I
(b) वैश्वीकृत परिदृश्य में मुक्तिबोध की कविता का पुनर्पाठ प्रस्तुत कीजिये।
(c) नागार्जुन की लोक-दृष्टि से आधारभूत तत्त्व कौन-कौन से हैं? समीक्षा कीजिये।
- (a) भ्रमर गीत के माध्यम से सूरदास ने किस प्रकार अपनी गहन भक्ति-भावना और अप्रतिम काव्य-कला का परिचय दिया है? विवेचन कीजिये।
(b) युद्ध की विभीषिका को दिनकर ने अपने काव्य ‘कुरुक्षेत्र’ में किस प्रकार रेखांकित किया है? समीक्षा कीजिये। 15
(c) स्वतंत्रता-संग्राम के व्यापक परिप्रेक्ष्य में मैथिलीशरण गुप्त को ‘भारती-भारती’ की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिये।
खण्ड ‘B’ SECTION ‘B’
- निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ-सहित व्याख्या (लगभग 150 शब्दों में) ससंदर्भ व्याख्या कीजिए और उसका रचनात्मक-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिये:
(a) हाय! भारत को आज क्या हो गया है? क्या निस्सदेह परमेश्वर इससे ऐसा ही रूठा है? हाय, क्या अब भारत के फिर वे दिन न आवेंगे? हाय, यह वही भारत है, जो किसी समय सारी पृथ्वी का शिरोमणि गिना जाता था। 10
(b) अधिकार-सुख कितना मादक और सारहीन है। अपने को नियामक और कर्ता समझने की बलवती स्पृहा उससे बेगार कराती है। उत्सवों में परिचारक और अस्त्रों में ढाल से भी अधिकार-लोलुप मनुष्य क्या अच्छे हैं? 10
(c) ठाकुर ठीक ही तो कहते हैं, जब हाथ में रुपए आ जाएँ, गाय ले लेना। तीस रुपए का कागद लिखने पर कहीं पचीस रुपए मिलेंगे और तीन-चार साल तक न दिये जाएँ, तो पूरे सौ हो जाएंगे। पहले का अनुभव यही बता रहा था कि कर्ज वह मेहमान है, जो एक बार आकर जाने का नाम नहीं लेता। 10
(d) दारुण व्यथा और आघात से उसके जड़ मस्तिष्क में केवल एक ही बात स्पष्ट थी- वेश्या स्वतंत्र नारी है। परतंत्र होने के कारण उसके लिये कहीं शरण और स्थान नहीं। दासी होकर वह परतंत्र हो गई?… वह स्वतंत्र थी ही कब?. अपनी संतान को पा सकने की स्वतंत्रता के लिये ही उसने दासत्व स्वीकार किया। अपना शरीर बेचकर उसने इच्छा को स्वतंत्र रखना चाहा। परंतु स्वतंत्रता मिली कहाँ? कुल-नारी के लिये स्वतंत्रता कहाँ है? 10
(e) मैं अनुभव करता हूँ कि यह ग्राम-प्रांतर मेरी वास्तविक भूमि है। मैं कई सूत्रों से इस भूमि के साथ जुड़ा हूँ। उन सूत्रों में तुम हो, यह आकाश और ये मेघ है, यहाँ हरियाली, हरिणों के बच्चे, पशुपालन हैं।… यहाँ से जाकर मैं अपनी भूमि से उखड़ जाऊँगा।
- (a) ‘कविता क्या है’ के आधार पर रामचंद्र शुक्ल की कविता संबंधी मूलभूत दृष्टि और उसकी सार्थकता पर विचार कीजिये।
(b) प्रेमचंद ने हिंदी में पहली बार गाँव और कृषक जीवन को अपने उपन्यास-लेखन का केंद्रीय विषय बनाया। ‘गोदान’ के माध्यम से प्रेमचंद की उक्त औपन्यासिक-दृष्टि की सांस्कृतिक समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
(c) हिंदी निबंध साहित्य का विषयगत वैविध्य भारतीय संस्कृति की बहुविध विशेषताओं को कैसे शब्दबद्ध कर रहा है? विवेचन कीजिये।
- (a) प्रवृत्तिगत दृष्टि से क्या नई कहानी पूर्ववर्ती कहानी की मात्र निरंतरता है या विच्छेदद्य तक सम्मत उत्तर दीजिए। 20
(b) आषाढ़ का दिन दिन’ नाटक के त्रासदीय तत्त्वों का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
(c) ‘महाभोज’ उपन्यास को क्या एक सशक्त राजनीतिक उपन्यास का दर्जा दिया जा सकता है? उपन्यास में चित्रित पात्रों के आधार पर समीक्षा कीजिए।
- (a) ‘मैला आँचल’ में निहित सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संक्रमण पर प्रकाश डालिए।
(b) ‘जयशंकर प्रसाद के नाटकों के स्त्री-पात्र सदैव श्रेष्ट रहे हैं।’ इस कथन के आलोक में स्कंदगुप्त’ में स्त्री- पात्र – परिकल्पना की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। I
(c) ‘भारत दुर्दशा’ का इच्छित आदर्श क्या है? समीक्षात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
Hindi Literature Previous Year Question Paper-2 2016
ALSO READ -:
वैदिक काल में नारी शिक्षा की स्थिति। Women education status in Vedic Period in Hindi |
ऑनलाइन शिक्षा : फायदे और नुकसान । ONLINE EDUCATION : Advantages & Disadvantages ।
शिक्षा का महत्व | IMPORTANCE OF EDUCATION |
बुल्ली बाई एप क्या है? बुल्ली बाई एप। Bulli Bai App। Bulli Bai App in Hindi। Bulli Bai App Kya Hai?
BHITOLI (भिटौली) : एक परंपरा अपने परिवारजनों के इंतज़ार की | BHITOLI : A TRADITION OF UTTARAKHAND
उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश | BURANSH ; STATE TREE OF UTTARAKHAND| FLOWERS OF BURANSH
चार धाम यात्रा | उत्तराखंड चार धाम | Char Dham Yatra in Hindi | Uttarakhand Char Dham Yatra in Hindi
UTTARAKHAND LAND LAW | उत्तराखंड भू कानून | LAND LAW OF UTTARAKHAND
Kaafal (काफल) : उत्तराखंड का दैवीय गुणों वाला फल।
उत्तराखंड का पारंपरिक लोकपर्व फूलदेई | PHOOL DEI ; A TRADITIONAL FESTIVAL OF UTTARAKHAND IN HINDI