10 दिन का विपश्यना मैडिटेशन क्या हैं | Vipassana Meditation in Hindi
Vipassana Meditation in Hindi
विपश्यना मैडिटेशन की माँग क्यों बढ़ रही हैं ?
वर्तमान में विपश्यना मैडिटेशन ( Vipassana Meditation) बहुत लोकप्रिय हो रहा हैं। इसके अनेक कारण हैं; जैसे कि इस भौतिकवादी युग में कहीं न कहीं अनेक कारणों से इंसान की मानसिक शांति से सम्बंधित अनेक समस्याएं अवश्य उत्पन्न हुई हैं। जिसके कारण लोगों का रुझान प्राचीन योग , ध्यान विधियों की तरफ आकर्षित हुआ हैं। इस लेख में विपश्यना मैडिटेशन ( Vipassana Meditation) से सम्बंधित निम्न सवालों के जवाब ढूँढ़ने का प्रयास करेंगे –
विपश्यना मैडिटेशन क्या हैं ( Vipassana Meditation kya hai)
विपश्यना मैडिटेशन कोर्स कैसे करें ( Vipassana Meditation kaise kare)
विपश्यना मैडिटेशन सेण्टर ( Vipassana Meditation center)
विपश्यना मैडिटेशन फ़ीस ( Vipassana Meditation fees)
विपश्यना मैडिटेशन क्या हैं ( Vipassana Meditation kya hai)
विपश्यना मैडिटेशन के फ़ायदे ( Vipassana Meditation ke fayde )
विपश्यना मैडिटेशन क्या हैं ( Vipassana Meditation kya hai)
विपश्यना / 10 दिन का विपश्यना मैडिटेशन / Vipassana Meditation in Hindi आत्म विश्लेषण, आत्म निरीक्षण, आत्म संयम की एक उत्तम विधि है। वर्तमान उपभोक्तावादी और भौतिकतावादी युग में इंसान ने अपने सुखीं रहने से ज़्यादा दुखी रहने के साधनों को जाने अनजाने में अपने चारों ओर फैला लिया हैं।
क्रोध, ईर्ष्या, भय, द्वेष आदि दोषों के कारण हम अपने जीवन को अंधकारमय बनाते जाते है, और एक ऐसे कुचक्र में चले जाते हैं; जहाँ से निकलना तो सब चाहते है पर निकलने का उपयुक्त या पर्याप्त मार्ग मालूम नही कर पाते। ऐसे कुचक्र से निकलने या ऐसी स्थिति आने से पहले ही संभलने के लिए विपश्यना साधना एक उत्तम साधना हैं ; क्योंकि इसमें आप आत्म निरीक्षण , आत्म विश्लेषण करके आत्म संयम भी सीखते हैं।
भारत में प्राचीनकाल से ही अनेक साधनाएँ मौजूद रही हैं जिन्होंने मानव जीवन को एक नई राह दिखाकर मानव कल्याण को सुनिश्चित करने में योगदान दिया हैं। ऐसी ही एक साधना मौजूद थी जिसे विपश्यना नाम से जाना जाता था। जिसका अर्थ है – ” जो जैसा है उसे वैसा ही देखना ” । विपश्यना पाली भाषा के शब्द ‘पस्सना’ से बना है, जिसका अर्थ है “देखना” ; जो चीज़ जैसी है उसे वैसे ही देखना।
यह आत्म विश्लेषण , आत्म निरीक्षण , आत्म संयम की एक उत्तम विधि है । इसके द्वारा हम खुद का विश्लेषण करके अनेक दोषों से मुक्त तो हो ही सकते हैं ; साथ ही जीवन की अनेक अनजानी राहों जो अभी तक मालूम नही थी को भी पहचान सकते है, और अपने जीवन मे अनेक अवसरों का निर्माण या खोज कर सकते हैं।
लगभग 2600 वर्ष पूर्व इस विद्या को महात्मा बुद्ध ने दुबारा खोजा और प्रचलित कर जन जन तक पहुँचाया ।
विपश्यना मैडिटेशन (Vipassana Meditation in Hindi) कहाँ और कैसे सीखे / आवेदन :–
आज विपश्यना साधना के पूरे विश्व में संस्थान मौजूद है जिसकी जानकारी आप इनकी ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर ले सकते हैं। भारत मे भी कई शहरों में इनके केंद्र मौजूद है; जहाँ पर साधना को सीखने के लिए उत्तम वातावरण और संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं।
शुल्क -:
विपश्यना केंद्रों पर या इसके आवेदन करने पर कोई निश्चित शुल्क नही लिया जाता हैं । बल्कि ये सभी शिविर आप से पहले आए साधकों के द्वारा दिए गए डोनेशन पर चलती हैं। आपकों अगर लगता है कि आपकों इस साधना से कुछ प्राप्त हुआ है तो आप आगे आने वालों साधकों के लिए अपनी इच्छा अनुसार अपनी श्रद्धा से डोनेशन दे सकते हैं।
अवधि :-
विपश्यना साधना की अवधि 10 दिन रखी गई हैं । साधना में प्रगति प्रतिदिन के अभ्यास से जीवनपर्यंत की जाती हैं । इन 10 दिनों में साधना की क्रिया विधि या कहे कि तकनीक की आवश्यक जानकारी प्रदान की जाती हैं। किसी भी साधना को जानने या सीखने के लिए उसे अनुभूति के स्तर तक जानना आवश्यक होता हैं। अतः 10 दिन से कम समय मे ये संभव नही हो पाता हैं । प्राचीन काल मे तो सात सप्ताह के शिविरों को आयोजन किया जाता था परंतु वर्तमान में जीवन की भाग दौड़ को देखते हुए इसकी अवधि न्यूनतम 10 दिन की गई हैं।
नियम अनुशासन :-
शिविरों में कुछ निर्धारित नियमों का पालन करके उचित अनुशासन की अपेक्षा की जाती हैं । पहले दिन ही शिविर स्थान में पहुँचने पर सभी नियमों से अवगत करा दिया जाता हैं । और साधक की पूर्ण सहमति के साथ ही साधक को साधना में आगे बढ़ने की अनुमति दी जाती हैं। कुछ महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार है –
* वहाँ पर कुछ स्थानों पर नोटिस बोर्ड पर प्रतिदिन की दिनचर्या का विवरण लगा रहता हैं । जिसमे खाने का समय, साधना का समय , विश्राम का समय सभी विषय की पूर्ण जानकारी दी जाती है।
* शिविर में आर्य मौन रखना अत्यंत आवश्यक होता हैं । आर्य मौन मतलब सभी को शरीर , वाणी , मन का मौन रखना होता हैं । साधकों को अपनी आवश्यकता या समस्या के विषय मे बताने के लिए वहाँ मौजूद सेवकों से बात करने की अनुमति होती है । और इसी प्रकार साधक, साधना के विषय मे आचार्य से बात कर सकते हैं । परंतु साधको को एक दूसरे साधक से बात करने को अनुमति नही होती हैं ।
* साधक को फ़ोन , पर्स , पेन , पुस्तक आदि ले जाने की अनुमति नही होती , ये सब वस्तुएं पहले दिन ही आपसे जमा कर ली जाती हैं।
लाभ :-
विपश्यना हमें जीवन के प्रति सजग , सहज बनाती हैं । यह जीवन जीने की सही राह बताती है तथा जीवन यात्रा को आनंदपूर्ण बनाती हैं। विपश्यना को किसी रोग को दूर करने के उद्देश्य के लिए नही करें तो ही बेहतर होगा जैसा कि उनकी वेबसाइट पर भी बताया गया है कि इसका आयोजन कोई रोग के निदान के लिए नही किया जाता हैं। क्योंकि अगर साधक केवल एक इसी लक्ष्य से आता है तो हो सकता है वो इसमे अपनी हानि ही कर ले।
वैसे आमतौर पर अधिकतर रोगों का कारण मानसिक ही माना जाता हैं ; और अगर आपकी मानसिक स्थिति आपके नियन्त्रण में है तो आप अनेक रोगों से मुक्ति भी पा सकते हैं और उन्हें जीवन मे आने से भी रोक सकते हैं। जो व्यक्ति विपश्यना को जीवन का भाग बनाता है उसे स्वयं ही अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
विपश्यना साधना में जाने से पहले कोई भी मानसिक स्थिति को छिपाना नही चाहिए । अगर कोई गंभीर मानसिक तनाव या अन्य कोई समस्या है तो उसे छिपाए नहीं क्योंकि ऐसे करके वो साधना का सही से लाभ प्राप्त नही कर पाएंगे।
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