Landforms Made by Ground Water in Hindi : Erosional and Depositional

  • जब चट्टानें पारगम्य, कम सघन, अत्यधिक जोड़ों / सन्धियों व दरारों वाली हों, तो धरातलीय जल का अन्तः स्रवण आसानी से होता है।
  • लम्बवत् गहराई पर जाने के बाद जल धरातल के नीचे चट्टानों की संधियों, छिद्रों व संस्तरण तल से होकर क्षैतिज अवस्था में बहना प्रारंभ करता है।
  • जल का यह क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर प्रवाह ही चट्टानों के अपरदन का कारण है।
  • ऐसी चट्टानें जैसे- चुना पत्थर या डोलोमाइट जिनमें कैल्शियम कार्बोनेट की प्रधानता होती है, उनमें धरातलीय व भौम जल, रासायनिक प्रक्रिया द्वारा  (घोलीकरण व अवक्षेपण) अनेक स्थल रूपों को विकसित करते हैं। Landforms Made by Ground Water

कार्स्ट (Karst topography) स्थलाकृति

भौम जल द्वारा निर्मित भू - आकृतियाँ | Landforms Made by Ground Water : Erosional and Depositional
भौम जल द्वारा निर्मित भू – आकृतियाँ | Landforms Made by Ground Water in Hindi : Erosional and Depositional
  •  किसी भी चूनापत्थर (Limestone) या डोलोमाइट’ चट्टानों के क्षेत्र में भौम जल द्वारा घुलनप्रक्रिया और उसके निक्षेपण प्रक्रिया से बने ऐसे स्थलरूपों को कार्स्ट (Karst topography) स्थलाकृति का नाम दिया गया है।
  • यह नाम एड्रियाटिक सागर के साथ बालकन कार्स्ट क्षेत्र में उपस्थित लाइमस्टोन चट्टानों पर विकसित स्थलाकृतियों पर आधारित है।

अपरदनात्मक तथा निक्षेपणात्मक- दोनों प्रकार के स्थलरूप कार्स्ट स्थलाकृतियों की विशेषताएँ हैं।

अपरदित स्थलरूप ( Erosional ) Landforms Made by Ground Water

  1. कुंड (Pools),
  2. घोलरंध्र (Sinkholes),
  3. लैपीज (Lapies) और
  4. चूना पत्थर चबूतरे (Limestone pavements)

चूना पत्थर चट्टानों के तल पर घुलन क्रिया द्वारा छोटे व मध्यम आकार के छोटे घोल गर्तों का निर्माण होता है. जिनके विलय पर इन्हें विलयन रंध्र (Swallow holes) कहते हैं।

घोलरंध्र (Sinkholes),

  • घोलरंध्र कार्स्ट क्षेत्रों में बहुतायत में पाए जाते हैं।
  • घोल रंध्र एक प्रकार के छिद्र होते हैं जो ऊपर से वृत्ताकार व नीचे कीप की आकृति के होते हैं
  • इनका क्षेत्रीय विस्तार कुछ वर्ग मीटर से हैक्टेयर तक तथा गहराई आधा मीटर से 30 मीटर या उससे अधिक होती है।
  • इनमें से कुछ का निर्माण अकेले घुलन प्रक्रिया द्वारा ही होता है और कुछ अन्य पहले घुलन प्रक्रिया द्वारा बनते हैं।

ध्वस्त या निपात रंध्र (Collapse sinks)

  • अगर घोलरंध्रों के नीचे बनी कंदराओं की छत ध्वस्त हो जाए तो ये बड़े छिद्र ध्वस्त या निपात रंध्र (Collapse sinks) के नाम से जान जाते हैं।
  • अधिकतर घोलरंध्र ऊपर से अपरदित पदार्थों के जमने से ढ़क जाते हैं और उथले जल कुंड जैसे प्रतीत होते हैं।
  • ध्वस्त घोल रंध्रों को डोलाइन (Dolines) भी कहा जाता है।
  • ध्वस्त रंध्रों की अपेक्षा घोलरंध्र अधिक संख्या में पाए जाते हैं।

घाटी रंध्र (Valley sinks) या युवाला (Uvalas)

  • जब घोलरंध्र व डोलाइन इन कंदराओं की छत के गिरने से या पदार्थों के स्खलन द्वारा आपस में मिल जाते हैं, तो लंबी, तंग तथा विस्तृत खाइयाँ बनती हैं जिन्हें घाटी रंध्र (Valley sinks) या युवाला (Uvalas) कहते हैं।

लेपीस (Lapies)

  • धीरे-धीरे चूनायुक्त बढ़ानों के अधिकतर भाग इन गर्तों व खाइयों के हवाले हो जाता है और पूरे क्षेत्र में अत्यधिक अनियमित, पतले व नुकीले कटक आदि रह जाते हैं, जिन्हें लेपीस (Lapies) कहते हैं।
  • इन कटकों या लेपीस का निर्माण चट्टानों की संधियों में भिन्न घुलन प्रक्रियाओं द्वारा होता है।
  • कभी-कभी लेपीज़ के ये विस्तृत क्षेत्र समतल चूनायुक्त चबूतरों में परिवर्तित हो जाते हैं।

कंदराएँ (Caves)

  • ऐसे प्रदेश जहाँ चट्टानों के एकांतर संस्तर हों (शैल, बालू पत्थर व क्वटजाइट) और इनके बीच में अगर चूनापत्थर व डोलोमाइट चट्टानें हों या जहाँ सघन चूना पत्थर चट्टानों के संस्तर हों, वहाँ प्रमुखतया कंदराओं का निर्माण होता है।
  • पानी दरारों व संधियों से रिसकर शैल संस्तरण के साथ क्षैतिज अवस्था में बहता है। इसी तल संस्तरण के सहारे चूना चट्टानें घुलती हैं और लंबे एवं तंग विस्तृत रिक्त स्थान बनते हैं जिन्हें कंदराएँ कहा जाता है।

सुरंग (Tunnels)

कभी-कभी विभिन्न स्तरों पर कंदराओं का एक जाल सा बन जाता है जो चूना पत्थर चट्टानों के तल व उनके बीच संस्तरित चट्टानों पर निर्भर है। प्रायः कंदराओं का एक खुला मुख होता है जिससे कंदरा सरिताएँ बाहर निकलती हैं। ऐसी कंदराएँ जिनके दोनों सिरे खुले हों उन्हें सुरंग (Tunnels) कहते हैं।

निक्षेपित स्थलरूप ( Depositional )  Landforms Made by Ground Water

  • अधिकतर निक्षेपित स्थलरूप कंदराओं के भीतर ही निर्मित होते हैं। चूना पत्थर चट्टानों में मुख्य रसायन कैल्शियम कार्बोनेट है जो कार्बनयुक्त जल (वर्षा जल में घुला हुआ कार्बन) में शीघ्रता से घुल जाता है।
  • जब इस जल का वाष्पीकरण होता है तो घुले हुए कैल्शियम कार्बोनेट का निक्षेपण हो जाता है या जब चट्टानों की छत से जल वाष्पीकरण के साथ कार्बन डाईआक्साइड गैस मुक्त हो जाती है तो कैल्शियम कार्बोनेट के चट्टानी धरातल पर टपकने से निक्षेपण हो जाता है।
  1. स्टैलेक्टाइट,
  2. स्टैलेग्माइट और
  3. स्तंभ

स्टैलेक्टाइट

  • ‘स्टैलेक्टाइट विभिन्न मोटाइयों के लटकते हुए हिमस्तंभ जैसे होते हैं। प्रायः ये आधार पर या कंदरा की छत के पास मोटे होते हैं और अंत के छोर पर पतले होते जाते हैं।
  • ये अनेक आकारों में दिखाई देते हैं।

स्टैलेग्माइट

  • स्टैलेग्माइट कंदराओं के फर्श से ऊपर की तरफ बढ़ते हैं। वास्तव में स्टैलेग्माइट कंदराओं की छत से धरातल पर टपकने वाले चूनामिश्रित जल से बनते हैं या स्टेलेक्टाइट के ठीक नीचे पतले पाइप की आकृति में बनते हैं ।

स्तंभ और कंदरा स्तंभ

स्टैलेग्माइट एक स्तंभ के एक चपटी तश्तरीनुमा आकार में या समतल अथवा क्रेटरनुमा गड्ढे के आकार में विकसित हो जाते हैं। विभिन्न मोटाई के स्टैलेग्माइट तथा स्टैलेक्टाइट के मिलने से स्तंभ और कंदरा स्तंभ बनते हैं।

Source – Class 11 NCERT

Glacial Landforms: Erosional And Depositional

भारत के गवर्नर जनरल तथा वायसराय | List of Governor-General of India | List of Viceroys in India (1858 to 1947) in Hindi

 

Biography of Netaji Subhas Chandra Bose in Hindi | नेताजी सुभाष चंद्र बोस : जीवनी | पराक्रम दिवस

महात्मा गाँधी जी के रचनात्मक कार्य क्या थे ? रचनात्मक कार्यो का उद्देश्य व महत्व | Mahatma Gandhi’s Constructive Programs in Hindi

उधम सिंह : जीवनी | Biography of Sardar Udham Singh in Hindi

 

जीवनी : अरबिन्दो घोष | Biography of Shri Aurobindo Ghosh in Hindi | Aurobindo Ghosh ki Jeewani in Hindi | Biography of Shri Aurobind in Hindi

 

स्वतंत्रता आंदोलन से सम्बंधित कुछ मुख्य तथ्य या घटनाएँ एवं उनके वर्ष | List of Important Events During The Indian Freedom Struggle [1857-1947]

 

कश्मीर के महान सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड |  Kashmir Ruler Lalitaditya Muktapida , the Alexander of India in Hindi

Read Also –