कश्मीर के महान सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड |  Kashmir Ruler Lalitaditya Muktapida , the Alexander of India in Hindi | Kashmir Ruler Lalitaditya Muktapida in Hindi 

 

सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड

भारत का इतिहास अनेक शूरवीरो की तलवारों के नीचे संरक्षित हुआ है; तो वही अनेक साधु-संतों, ऋषियों, ज्ञानियों के ज्ञान के द्वारा संचित हुआ है। भारत में अनेक महान सम्राट में हैं। जिन्होंने अपने बाहुबल के दम पर इस भारत भूमि और संस्कृति का संरक्षण भी किया हैं। Kashmir Ruler Lalitaditya Muktapida in Hindi

ऐसे ही एक सम्राट हुए हैं कश्मीर के सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड। आप मे से अधिकतर पाठक ऐसे हो सकते हैं। जिन्होंने सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड का नाम पहली बार सुना हो। इसमें आपका कहीं से भी कोई दोष नहीं है बल्कि दोष तो हमारी सरकारों का हैं । हमारी शासन व्यवस्था का जिन्होंने एक सुनियोजित साजिश के तहत भारतीय इतिहास को बहुत हद तक हमसे दूर रखने का प्रयास किया गया है । और उसी प्रयास में हमें सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड के विषय में भी नहीं पढ़ाया गया है , हो सकता है कि इनकी इस सुनियोजित षड्यंत्र के पीछे यह चाल हो कि कश्मीर के इतिहास को कुछ ही काल तक सीमित करके कश्मीर को भारत के एक अंग के रूप में न दर्शित करना हो।

हम यहां पर अपने महान सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड के विषय में ज्यादा से ज्यादा बताने का प्रयास करेंगे । जिससे हम अपनी भारतीय जनता तक भारत के सही इतिहास को पहुंचा सके और उनमें एक स्वाभिमान की भावना को जागृत कर सके।

 

कश्मीर के शासन या इतिहास से संबंधित स्रोत :-

 

कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी – 

कश्मीर पर शासन करने वाले राज्यों के विषय में सबसे उपयुक्त जानकारी कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी से प्राप्त होती है । राजतरंगिणी कश्मीर के इतिहास में विशेष महत्व रखती है । राजतरंगिणी में आदिकाल से लेकर 1151 ईस्वी के आरंभ तक कश्मीर के प्रत्येक शासक के काल की घटनाओं का वर्णन क्रमानुसार  किया गया है।

कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी में 8 तरंग तथा लगभग 8000 श्लोक हैं।
राज तरंगिणी के पहले तीन तरंगों में कश्मीर के प्राचीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है। तो वही राज तरंगिणी के चौथे से लेकर छठे तरंग तक कार्कोट वंश और उत्पल वंश का उल्लेख मिलता है। राजतरंगिणी के सातवें एवं आठवीं तरंग में लोहार वंश का इतिहास मिलता है।

राजतरंगिणी का महत्व , इस बात से और अधिक बढ़ जाता है कि इस ग्रंथ में कल्हण द्वारा बिना किसी भेदभाव या कहें कि बिना किसी पक्षपात के राजाओं के गुण दोषों को उल्लेखित किया गया है। जिस कारण अनेक इतिहासकारों ने राजतरंगिणी को आधार बनाकर ही इसके साक्ष्यों के आधार पर ही लेखन कार्य किया है।

 

कश्मीर पर शासन करने वाले शासक वंश का क्रम निम्न प्रकार है :-

१. कार्कोट वंश
२. उत्पल वंश
३. लोहार वंश

सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड इनमें से कार्कोट वंश से संबंधित थे।

 

कार्कोट वंश और सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड ( Kashmir Ruler Lalitaditya Muktapida in Hindi )

 

Karkota Empire India derived

सातवीं शताब्दी ईस्वी में कार्कोट वंश की स्थापना दुर्लभवर्धन द्वारा कश्मीर में की गई थी। अनेक ऐतिहासिक साक्ष्य यह प्रमाणित करते हैं कि ह्वेनसांग उनके शासनकाल में कश्मीर की यात्रा पर आया था।

दुर्लभक

कालकूट शासन वंशावली में दुर्लभवर्धन के पश्चात उनके पुत्र दुर्लभक (632 – 682 ईसवी) अगले शासक हुए ।

चन्द्रापीड

दुर्लभक के पश्चात चन्द्रापीड कश्मीर के राजा बने इनको न्याय प्रिय शासक की उपाधि दी गई है।

तारापीड़

चन्द्रापीड के पश्चात तारापीठ कश्मीर के अगले शासक बने । कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी में कल्हण द्वारा इनको एक क्रूर और निर्दयी शासक बताया गया है।

 

सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड ( 724 – 760 ईसवी )

इस वंश के सबसे शक्तिशाली राजा ललित आदित्य मुक्तापीठ थे।
आठवीं सदी में जिस समय सम्राट ललितादित्य मुक्तापीठ गद्दी पर बैठे थे। उस समय उत्तर की ओर से अनेक मुस्लिम आक्रांताओ द्वारा लगातार भारत पर हमले कर घुसपैठ का प्रयास किया जा रहा था। सम्राट ने इन आक्रांताओ और उनके हमलों को अपनी बहादुरी के दम पर मुंह तोड़ जवाब दिया और अपने साम्राज्य का विस्तार उत्तर की ओर मध्य एशिया तक किया ।

जिस समय कश्मीर की गद्दी पर सम्राट ललितादित्य विराजमान थे। उसी काल में चीन पर टेंग वंश का शासन था। वहीं दूसरी ओर उस समय तिब्बत भी एक शक्तिशाली साम्राज्य के तौर पर स्थापित था।

इन्होंने कश्मीर पर 37 वर्षों तक शासन किया था। ललितादित्य ने मध्य एशिया और बंगाल तक युद्ध लड़े थे। ललितआदित्य की सेना अरण्यक वर्तमान के ईरान तक पहुंच गई थी।

 

सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड की सेना अभियान :-

  • सम्राट ललितादित्य ने मध्य एशिया तक फतेह प्राप्त की थी।
  • ललितादित्य ने अपनी बहादुरी के दम पर तिब्बतियों कम्बोजो और तुर्कों को पराजित किया था।
  • सम्राट ने अपनी सैन्य अभियानों का विस्तार करते हुए उड़ीसा, बंगाल , बिहार तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया था।
  • सम्राट ललितादित्य ने उत्तर की ओर अपने अभियानों के अंतर्गत भारत से चीन तक के मार्गों को नियंत्रित करने वाली पर्वत श्रंखला काराकोरम के आगे के स्थल तक अपना साम्राज्य विस्तार किया था।
  • सम्राट ललिता मुक्तापीड ने मुस्लिम आक्रमणकारियों को भी मुंह तोड़ जवाब दिया था । इन्होंने कश्मीर पर आक्रमण करने वाले अरब हमलावर मोमिन के खिलाफ चार युद्ध लड़े और उन्होंने चारों बार मोमिन को बुरी तरह पराजित किया ।
  • अरब आक्रमणकारियों के विरुद्ध सम्राट ललितादित्य को उस समय के मेवाड़ के राजपूत शासक बप्पा रावल का साथ प्राप्त हुआ था। और इन दोनों ने मिलकर अरब आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया और इन मुस्लिम आक्रांता की कमर तोड़ दी थी।
  • सम्राट ललितादित्य की सहायता से ही बप्पा रावल ने अरब के मुस्लिम शासक सलीम को पराजित किया था और सिंध और गजनी पर अपना अधिकार कर लिया था।
  • सम्राट के सफल नेतृत्व में कश्मीरी सेना के द्वारा मध्य एशियाई के अनेक नगरों पर विजय प्राप्त की गई ।
  • सम्राट ललितादित्य ने कलिंग और गौड़ का अभियान किया , गौड़ा से उनकी सेना में अनेक हाथी शामिल हुए।
  • सम्राट ललितादित्य ने दक्षिण में कावेरी नदी तक अभियान किया था।

 

  • सम्राट ललितादित्य का कन्नौज नरेश यशोवर्मन के विरुद्ध अभियान :- 

ललितादित्य ने अंतर्वेदी देश पर आक्रमण किया, जिसकी राजधानी गढ़ीपुरा (कन्याकुब्ज) में स्थित थी। एक लम्बे युद्ध के पश्चात यशोवर्मन ने  एक शांति संधि की पेशकश की। “यशोवर्मन और ललितादित्य की संधि” नामक शीर्षक से एक दस्तावेज तैयार किया । ललितादित्य के मंत्री मित्रशरमन ने इस शीर्षक पर आपत्ति जताई, और दबाव सहित कहा कि ललितादित्य का नाम शीर्षक में यशोवर्मन के नाम से पहले आएगा  । ललितादित्य के सेनापतियों, जो युद्ध की लंबी अवधि के बारे में असहज थे, ने मित्रशरमन को संधि में देरी के लिए दोषी ठहराया। लेकिन ललितादित्य स्वयं मित्रशरमन से सहमत थे। जिस कारण उन्होंने इस शांति वार्ता को तोड़ दिया, और यशोवर्मन को ” उखाड़ ” फेंका। यमुना नदी और कालिका नदी (संभवतः आधुनिक काली नदी) के बीच स्थित कन्याकुब्ज की भूमि ललितादित्य के नियंत्रण में आ गई। वाक्पति और भवभूति जैसे दरबारी कवि जो यशोवर्मन के दरबार में थे। इस हार के परिणामस्वरूप, ललितादित्य के संरक्षण में आ गए।

 

ललितादित्य मुक्तापीड को कहा जाता है कश्मीर का सिकंदर

 

एक विदेशी इतिहासकारों द्वारा महान सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड को कश्मीर का सिकंदर या भारत का सिकंदर उपाधि से संबोधित किया गया है। वहीं दूसरी ओर देखे तो भारतीय इतिहासकारों ने ललितादित्य को इतिहास में जगह देना भी उचित नहीं समझा।

Sun temple martand indogreek

 

साहित्य और विद्ववानों के संरक्षक के तौर पर ललितादित्य मुक्तापीड –

सम्राट ललितादित्य ने व्यापार मूर्तिकला चित्रकला और अनेक विद्वानों को संरक्षण तो प्राप्त किया ही साथ ही उन्हें अनेक सुविधाएं और प्रोत्साहन भी प्रदान किया । सम्राट एक सफल लेखक और वीणा वादक के रूप में भी जाने जाते हैं ।

ललितादित्य के काल में ही कश्मीर का प्रसिद्ध मंदिर मार्तंड मंदिर का निर्माण भी किया गया था । जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले मे केराबल गांव में मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहर आज भी मौजूद हैं।

 

martand surya mandir Kashmir Ruler Lalitaditya Muktadipa in Hindi
martand surya mandir

 

जहां इतिहासकारों ने तो सम्राट के साथ न्याय करना उचित समझा ही नहीं वही शासन ने भी भारत के प्राचीन धरोहरों जैसे कि  मार्तण्ड सूर्य मंदिर का संरक्षण करना भी उचित नहीं समझा। जिससे आज वह मंदिर खंडहर में बदल चुका है।

सम्राट ललितादित्य ने कई बौद्ध मठ भी बनवाये | सम्राट ललितादित्य द्वारा बनवाये गए मंदिर और मठ या तो समय के सांथ नष्ट हो गए या फिर मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा नष्ट कर दिए गए |

वाक्पति और भवभूति जैसे दरबारी कवि जो यशोवर्मन के दरबार में थे।  यशोवर्मन की हार के  परिणामस्वरूप, ललितादित्य के संरक्षण में आ गए।

 

:-ALSO READ -:

 

वीर सावरकर : जीवन परिचय । विनायक दामोदर सावरकर जी । BIOGRAPHY OF VEER SAVARKAR IN HINDI । VINAYAK DAMODAR SAVARKAR । 1857 का स्वातंत्र्य समर । The INDIAN WAR of Independence 1857

 

डॉ० भीमराव आंबेडकर  जीवनी | BIOGRAPHY OF Dr. BHIMRAO AMBEDKAR IN HINDI | BHIMRAO AMBEDKAR KI JEEWANI

 

अजर….अमर…..अटल , सदैव अटल | BIOGRAPHY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI | BIRTH ANNIVERSARY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI

 

रविदास जयंती का इतिहास और महत्व। SANT RAVIDAS JAYANTI IN HINDI। SANT RAVIDAS DOHE IN HINDI

 

BIOGRAPHY OF SWAMI VIVEKANANDA IN HINDI | स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी |

 

बाल गंगाधर तिलक एक निर्भीक , उग्र राष्ट्रवादी नेता और समाज सेवक। BAL GANGADHAR TILAK In Hindi

 

राष्ट्रीय खेल दिवस : मेजर ध्यानचंद जयंती | National Sports Day in Hindi | Major Dhyanchand Jayanti | Current challenges in sports

 

शिक्षक दिवस : डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती | शिक्षक दिवस का महत्व | Teachers Day in Hindi | Sikshak Diwas Ka Mahtw | Essay On Teachers Day in Hindi

 

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का भारत के युवाओं और देश को लेकर सपना व विचार | Dr. A.P.J. ABDUL KALAM VISION AND THOUGHTS in Hindi |

 

अभियन्ता दिवस (ENGINEERS DAY) | इंजीनियर्स डे | एम. विश्वेश्वरैया | ENGINEERS DAY IN HINDI | M. Visvesvaraya

 

HKT BHARAT YOUTUBE CHANNEL

FACEBOOK

KOO APP

INSTAGRAM

TWITTER

PINTEREST

HKT BHARAT YOUTUBE CHANNEL

lalitaditya empire lalitaditya upsc lalitaditya meaning lalitaditya muktapida in hindi lalitaditya of kashmir lalitaditya conquest lalitaditya empire ma lalitaditya muktapida empire area lalitaditya ka ithihas lalitaditya  kon the lalitaditya ki kahani 

कश्मीर के राजाओं की सूची कश्मीर का इतिहास ललितादित्य मुक्तपीड