नैनो तकनीक क्या है व इसके उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में। What is Nano Technology and its importance in different fields For UPSC in Hindi | Nano Technology UPSC in Hindi

 

नैनोटेक्नोलॉजी का परिचय ( Nano Technology UPSC in Hindi  )

आज तकनीक के युग में हमे इस क्षेत्र में दिन प्रतिदिन अनेक तरह की तकनीकों के विषय में सुनने या पढ़ने को मिल जाता है।  ऐसी ही एक तकनीक है जो अकसर खबरों में बानी रहती है जिसका नाम है नैनो तकनीक।  इस लेख में नैनो तकनीक के विषय में विस्तार से जानने  का प्रयास  करेंगे जैसे कि नैनो तकनीक क्या हैं / what is Nano Technology in hindi ? नैनो  तकनीक का सर्वप्रथम उपयोग या अविष्कार ? नैनो तकनीक के अलग अलग क्षेत्रो में उपयोग क्या है/Uses of nano  technology in different fields ? आदि

नैनो  तकनीक (Nano Technology UPSC )  क्या है – 

नैनो  तकनीक (Nano Technology)  वह तकनीक है जिसके द्वारा किसी भी पदार्थ में परमाणु, आणविक और सुपरमॉलीक्यूलर स्तर पर परिवर्तन किया जा सकता है।
नैनो टेक्नोलॉजी अणुओं व परमाणुओं की एक इंजीनियरिंग है, जो की भौतिकी, बायो इन्फॉर्मेटिक्स व बायो टेक्नोलॉजी जैसे अन्य कई विषयों को आपस में जोड़ती है। “नैनो टेक्नोलॉजी” शब्द प्रोफेसर नोरियो तानिगुची ने दिया था।            इसमें 1 से 100 नैनोमीटर तक के कण शामिल होते हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी / नैनो  तकनीक (Nano Technology UPSC) की ऐतिहासिक पृष्ठ्भूमि – 

नैनो टेक्नोलॉजी के पीछे के विचारों और अवधारणाओं को 29 दिसंबर, 1959 को कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अमेरिकन फिजिक्स सोसाइटी की एक बैठक में भौतिक विज्ञानी द्वारा गढ़ा गया था। जिसे “There’s Plenty of Room at the Bottom” शीर्षक दिया गया था| जिसमे कहा गया था कि – भविष्य में वैज्ञानिक परमाणुओं और अणुओं में हेरफेर करने और नियंत्रित करने में सक्षम होंगे।

आधुनिक नैनो टेक्नोलॉजी की शुरुआत स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप के आविष्कार के साथ 1981 में हुई। स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप में परमाणुओं को देखा जा सकता है।

एरिक ड्रेक्सलर ने 1986 में अपनी पुस्तक Engines of Creation: The Coming Era of Nanotechnology “नैनो टेक्नोलॉजी” शब्द का इस्तेमाल किया|

1986 में, ड्रेक्सलर ने Foresight Institute की स्थापना की जिसका उद्देश्य नैनो टेक्नोलॉजी अवधारणाओं के बारे में सार्वजनिक जागरूकता और समझ बढ़ाना था । ड्रेक्सलर ने अपने सैद्धांतिक, प्रायोगिक और सार्वजनिक कार्यों के माध्यम से एक क्षेत्र के रूप में उभरने वाले नैनो-टेक्नोलॉजी को भी विकसित किया| इन्होने नैनो टेक्नोलॉजी के लिए एक वैचारिक ढांचे को विकसित और लोकप्रिय बनाया और परमाणु नियंत्रण की संभावनाओं पर व्यापक पैमाने पर लोगो का ध्यान आकर्षित किया।

नैनो टेक्नोलॉजी / नैनो  तकनीक (Nano Technology UPSC )  में मौलिक अवधारणाएँ

एक नैनोमीटर (nm) एक मीटर का एक बिलियन (10-9 मीटर) हिस्सा होता है, इसलिए इसकी कल्पना करना बहुत कठिन है कि नैनोमीटर कितनी छोटी इकाई है।
एक इंच में 25,400,000 नैनोमीटर होते हैं।
अखबार की एक शीट लगभग 100,000 नैनोमीटर मोटी होती है।

नैनो टेक्नोलॉजी और नैनोसाइंस में परमाणुओं और अणुओं को देखने और नियंत्रित करने की क्षमता होती है। पृथ्वी पर सब कुछ परमाणुओं और अणुओं से बना है –  भोजन , कपड़े ,  इमारते और घर, सब कुछ परमाणुओं और अणुओं से बना है।  परमाणु इतनी छोटी इकाई है की इसे नग्न आंखों से देखना संभव नहीं है।
विद्यालयों मे आमतौर पर विज्ञान कक्षाओं में उपयोग किए जाने वाले सूक्ष्मदर्शी (microscopes) से भी परमाणुओं को देखना संभव नहीं है। अत्यन्त सूक्ष्म चीजों को देखने के लिए आवश्यक सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार भी अपेक्षाकृत लगभग 30 साल पहले ही हुआ।

नैनो तकनीक को समृद्ध करने में नए उपकरणों का भी विशेष योगदान हैं।  अतः हम कह सकते है कि नैनो तकनीक के नए युग के आरम्भ करने में अन्य उपकरणों का भी विशेष योगदान हैं।

नैनो विज्ञान और नैनो तकनीक काफी नए हैं, लेकिन नैनोस्केल पर इसका उपयोग सदियों से किया गया जा रहा हैं।  आज के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने इस क्षेत्र में बहुत अधिक तरक्की कर ली है, तथा निरंतर प्रयोग कर रहे है|

आधुनिक युग में नैनो  तकनीक (Nano Technology)  – 

नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में किये गये विभिन्न आविष्कारों ने आधुनिक युग में नैनो टेक्नोलॉजी के विकास को बढ़ावा दिया| इसमें दो आविष्कार मुख्य है।

पहला, आईबीएम ज्यूरिख रिसर्च लेबोरेटरी में गर्ड बिन्निग(Gerd Binnig) और हेनरिक रोहर(Heinrich Rohrer) द्वारा स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप का आविष्कार, जिससे परमाणुओं और उनके बॉन्डस को देखा जा सका, और इसके उपयोग से व्यक्तिगत परमाणुओं में सफलतापूर्वक हेरफेर भी किया गया। जिसके लिए उन्हें 1986 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला। बाद में उन्होंने एनालॉग एटॉमिक फोर्स माइक्रोस्कोप का भी आविष्कार किया।

दूसरा, हैरी क्रुटो(Harry Kroto), रिचर्ड स्मली(Richard Smalley) और रॉबर्ट कर्ल(Robert Curl) द्वारा “फुलरेंसेस” (Fullerenes: C60) की खोज, जिसके लिए इन तीनो को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 1996 का नोबेल पुरस्कार मिला। शुरुआत में C60 को नैनो टेक्नोलॉजी के रूप में वर्णित नहीं किया गया था; इस शब्द का उपयोग ग्राफीन ट्यूब (जिसे कार्बन नैनोट्यूब कहा जाता है) के साथ किया गया। कार्बन नैनोट्यूब की खोज का श्रेय  सुमियो इजीमा को दिया गया, इसके लिए इजीमा को नैनोसाइंस के क्षेत्र में 2008 में कावली पुरस्कार दिया गया।

2000 की शुरुआत में, नैनो टेक्नोलॉजी ने वैज्ञानिक, राजनीतिक और वाणिज्यिक क्षेत्र की तरफ लोगों का ध्यान बढ़ाया, जिसके कारण विवाद और प्रगति दोनों हुई।

 

अलग अलग देशो की सरकार ने भी नैनो टेक्नोलॉजी के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए, जैसे कि अमेरिका में नेशनल नैनो टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव ने नैनोटेक्नोलॉजी की परिभाषा को औपचारिक रूप दिया और अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए यूरोप में यूरोपीय फ्रेमवर्क के माध्यम से अनुसंधान की स्थापना की।

2006 में, कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAIST) और नेशनल नैनो फैब सेंटर के कोरियाई शोधकर्ताओं की एक टीम ने दुनिया का सबसे छोटे नैनो डिवाइस 3nm MOSFET विकसित किया। यह डिवाइस गेट-ऑल-अराउंड (GAA) FinFET तकनीक पर आधारित था।

2001 और 2004 के बीच साठ से अधिक देशों ने नैनो अनुसंधान और विकास (R & D) कार्यक्रमों का निर्माण किया। 1970 और 2011 के बीच नैनो टेक्नोलॉजी पर सबसे अधिक पेटेंट दायर करने वाले शीर्ष पांच संगठन तोशिबा (1,298 पेटेंट), आईबीएम (1,360 पेटेंट), कैनन (1,162 पेटेंट), निप्पॉन स्टील (1,490 पेटेंट), और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स (2,578 पेटेंट) थे। 1970 और 2012 के बीच नैनो टेक्नोलॉजी अनुसंधान पर सबसे अधिक वैज्ञानिक शोधपत्र प्रकाशित करने वाले शीर्ष पांच संगठन थे- सेंटर नेशनल डे ला रीचार्च साइंटिफिक ,चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज, रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो और ओसाका यूनिवर्सिटी।

नैनो  तकनीक (Nano Technology)  के विभिन्न क्षेत्रो में उपयोग – 

1. ऊर्जा क्षेत्र में नैनो तकनीक

नैनो टेक्नोलॉजी ऊर्जा के उत्पादन और भंडारण के लिए अधिक कुशल और टिकाऊ तकनीक है। राइस यूनिवर्सिटी के डॉ. वेड एडम्स कहते हैं, “अगले 50 वर्षों में ऊर्जा मानवता के सामने बड़ी समस्या होगी और नैनो टेक्नोलॉजी में इस मुद्दे को हल करने की क्षमता है”। विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में लोगो ने पहले से ही उत्पादों के विकास के लिए नैनो तकनीक के उपयोग के तरीको को विकसित करना शुरू कर दिया हैं।
नैनोफैब्रिकेशन, नैनोस्केल पर उपकरणों को डिजाइन करने और बनाने की एक प्रक्रिया है, जो नैनो-ऊर्जा से संबंधित उप-क्षेत्र है। यह तकनीक 100 नैनोमीटर से भी छोटे उपकरण बनाने में सक्षम है। यह तकनीक ऊर्जा को संग्रहीत करने और स्थानांतरित करने के नए तरीकों के विकास के कई दरवाजे खोलती है।
ईंधन की ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने के लिए नैनो मीटर सामंग्री बहुत उपयोगी है, लेकिन इसके उपयोग का एक दोष है, पर्यावरण पर नैनोकणों का प्रभाव। ईंधन में उपस्थित सेरियम ऑक्साइड नैनोपार्टिकल एडिटिव्स के साथ मिलकर पर्यावरण में विषाक्त कणों को बढ़ा सकते हैं।

2. नैनो बायोटेक्नोलॉजी

नैनो बायोटेक्नोलॉजी और नैनो बायोलॉजी, नैनो टेक्नोलॉजी और बायोलॉजी के ही हिस्से हैं। नैनो बायोटेक्नोलॉजी हाल ही में उभरा है| जीव विज्ञान के लिए यह तकनीकी दृष्टिकोण है जो वैज्ञानिकों को जैविक अनुसंधान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रणालियों की कल्पना करने और उन्हें विकसित करने की अनुमति देता है। जैविक रूप से प्रेरित नैनो तकनीक जैविक प्रणालियों का उपयोग करती है|

3. पर्यावरणीय क्षेत्र में

पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए नैनो तकनीक उपयोगी साबित हो सकती है, पर्यावरणी स्थिरता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है की नैनो टेक्नोलॉजी के उत्पादों का उपयोग किया जाये। इसमें ग्रीन नैनो-उत्पादों को बनाना और उन उत्पादों का उपयोग करना शामिल है। नैनो-उत्पादों का निर्माण और उपयोग करके विभिन्न संभावित पर्यावरणीय और मानव स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सकता है| नैनो टेक्नोलॉजी के प्रयोग से बढ़ते प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है|

4. युद्ध में नैनो तकनीक

नैनोसाइंस और तकनीक का उपयोग युद्ध में भी किया जाता है| इसमें आणविक प्रणालियों को नैनो-स्केल (1-100nm) पर फिट करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इस तरह की तकनीक के अनुप्रयोग, विशेष रूप से युद्ध और रक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है|
नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग युद्ध क्षेत्र में बहुत ही उन्नत किस्म के हथियार बनाने में किया जाता है| जिनमे छोटे रोबोट मशीन, हाइपर-रिएक्टिव विस्फोटक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सुपर-मटेरियल जैसे हथियार शामिल है। नेनो तकनीक द्वारा बनाये गये हथियार बहुत ही विनाशकारी होते है| तथा इन्हे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है| इस तकनीक के विकास के साथ-साथ, इसके प्रभावों तथा उस से सम्बंधित संबंधित जोखिमों और नतीजों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है । ये प्रभाव वैश्विक सुरक्षा, समाज की सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित कई मुद्दों को जन्म देते हैं। इसके उपयोग के संभावित लाभों या खतरों को ध्यान में रखते हुए, नैनो-विज्ञान के गतिशील विकास पर निरंतर निगरानी करने की आवश्यकता है।

5. उद्योगों में नैनो तकनीक

अनुमान यह है नैनोटेक्नोलॉजी को इस सदी में टेक्नोलॉजी और व्यवसाय का मुख्य चालक होगी | नैनो टेक्नोलॉजी उपभोक्ता वस्तुओं के 6क्षेत्र को बहुत प्रभावित कर रही है, इसमें कई तरह के उत्पाद शामिल हैं जिनमें नैनोमैटिरियल्स का उपयोग किया गया हैं| जो लोग इन उत्पादों का उपयोग करते हैं वे भी यह नहीं जानते हैं, ये उत्पाद नैनो पार्टिकल के बने है।
जिसके कुछ उदाहरण निम्न हैं- कार के हलके बंपर, विकिरण-प्रतिरोधी सनस्क्रीन, सेलफोन की कम वजन वाली और मजबूत स्क्रीन, विभिन्न खेलों के लिए बनाई जाने वाली गेंदें, इत्यादि|

6. नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स

नैनो टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग को नैनोइलेक्ट्रॉनिक द्वारा संदर्भित किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरणों को शामिल किया गया है, इन उपकरणों की विशेषता यह है कि वे आकार में बहुत छोटे होते है| इन्हे समझने के लिए अंतर-परमाणु और क्वांटम यांत्रिक गुणों का बड़े पैमाने पर अध्ययन करने की आवश्यकता है।
नैनोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में आकार सीमा 1nm और 100nm के बीच हैं।

नैनो  तकनीक (Nano Technology)  के प्रभाव

तकनीक के क्षेत्र में ऐसा नहीं हैं कि केवल लाभ ही हो अनेक तकनीकों के बहुत लाभ भी है साथ ही साथ कुछ हानि या कहे कि प्रभाव भी अवश्य होते ही है।  ऐसे ही  नैनोटेक्नोलॉजी एक लाभप्रद तकनीक है, लेकिन इसके कई बुरे प्रभाव भी हैं, जो इंडस्ट्रियल-स्केल मैन्युफैक्चरिंग और नैनो मैटिरियल्स के इस्तेमाल से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा असर डालेंगे।

कुछ सामाजिक समूहों द्वारा समय समय पर यह मांग भी जोर पकड़ती है कि नैनोटेक्नॉलॉजी को सरकारों द्वारा विनियमित किया जाना चाहिए| नैनो टेक्नोलॉजी के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ते है इसके लिए अनेक संस्थान रिसर्च भी कर रही है।

शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि पैरों की गंध को कम करने के लिए मोजे में इस्तेमाल किए जाने वाले बैक्टीरियोस्टेटिक सिल्वर नैनोपार्टिकल्स मोजे धोते समय जल में धुल जाते हैं और फिर अपशिष्ट जल की धारा में बह जाते हैं, ये नैनोपार्टिकल्स उन बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है जो प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र और अपशिष्ट उपचार प्रक्रियाओं के महत्वपूर्ण घटक हैं।

एक शोध में पाया गया कि एक पेंट फैक्टरी में काम करने वाले वर्कर्स को फेफड़ों की गंभीर बीमारी हो गई जाँच करने पर पाया गया कि उनके फेफड़ों में नैनो पार्टिकल मौजूद थे।

एयरबोर्न नैनोकणों और नैनो फिबर्स को साँस लेने से कई फुफ्फुसीय (pulmonary) रोग हो सकते हैं, उजैसे कि  फाइब्रोसिस।

वुड्रो विल्सन सेंटर के इमर्जिंग नैनोटेक्नोलोजीज के प्रोजेक्ट के मुख्य विज्ञान सलाहकार डॉ एंड्रयू मेनार्ड ने निष्कर्ष निकाला है कि मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा अनुसंधान के लिए धन पर्याप्त नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप, वर्तमान में मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिमों से संबंधित समझ सीमित है।

सरकारी पहल :

  • नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मिशन (Nano Science and Technology Mission- NSTM)
    •  एक अम्ब्रेला कार्यक्रम है , यह वर्ष 2007 में शुरू किया गया था।  इसका उद्देश्य नैनो प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।
  • नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी पहल (Nano Science and Technology Initiative- NSTI)

इस प्रकार हम देख सकते है नैनो तकनीक या नैनो टेक्नोलॉजी का अनेक क्षेत्रो में अनुप्रयोग उपलब्ध है।  यह मानव कल्याण में एक बड़े स्तर पर सहायता या योगदान प्रदान कर सकती है।  वही दूसरी और हमे इसके  कुप्रभावों को भी नज़रअंदांज नहीं करना होगा।  भविष्य में यह आवश्यक है कि नैनो तकनीक या नैनो टेक्नोलॉजी के दुष्प्रभावों को कम करते हुई इसको मानव कल्याण में आगे बढ़ाना चाहिए।  यहाँ ये बात ध्यान में रखनी होगी कि विज्ञान दो धरी तलवार है इसको सतर्कता से प्रयोग करना अत्यंत  आवश्यक है।

Nano Technology  For UPSC in Hindi

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