पिता पर कविता | POEM ON FATHER IN HINDI

poem on father
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तेरी ज़िन्दगी में बापू बहुत झमेले थे।
तब भी दिखाए तूने कंधों पर मेले थे।।

खुद नहीं लाता हैं , लेकिन मुझे दिलवाता हैं।
खुद के कपड़े फटे हुए , मेरे हर साल सिलवाता हैं।

तुमनें हमारे लिए बहुत काम किए थे ,
मैंने एक रुपया माँगा था, तूने दो रुपए दिए थे।

जब बचपन में मैंने साईकल चुराई
तुमनें मेरी की थी पिटाई
लेकिन बाद में तुमने मुझे नई साईकल थी दिलाई।

मैं भी तेरे जैसा बनना चाहता हूँ
ज़िन्दगी में कुछ करना चाहता हूँ।

मुझे दो आशीर्वाद अपना
मुझे पूरा करना तुम्हारा सपना।

मेरा भी मन करे तुझे कंधे पर बिठाऊ
कंधे पर बैठाकर ये दुनिया घुमाऊ।

मुझको भी अब मन लगाना हैं
ज़िन्दगी में कुछ करके दिखाना हैं।

तेरा आशीर्वाद बापू मेरे साथ हैं
फिर टेंशन वाली क्या बात हैं।

हाँ तेरा आशीर्वाद जब साथ हैं।
फिर किसी की क्या बात हैं।।

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