गुस्सा क्यों आता हैं ?  कैसे काबू या निंयत्रित करें ? / How to Control Anger / Anger Management Tips in Hindi

गुस्सा प्रबंधन / Anger Management Tips in Hindi

बाद पछताए क्या हो  जब चिड़िया चुग गई खेत

यह कहावत हमारे गुस्से की प्रवृत्ति पर बिल्कुल सटीक सिद्ध होती है। कई बार हमने खुद अनुभव किया होगा या समाज में आसपास अन्य लोगों के ऐसे उदाहरण देखे होंगे कि गुस्से में या उत्तेजना में वह कुछ ऐसा कर जाते हैं। जिसको बाद में सुधारा नहीं जा सकता और जिससे हमारे जीवन पर या अन्य किसी के जीवन पर या समाज पर अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे अनेक सवाल उठते है जैसे कि गुस्सा होता क्या है ? गुस्सा आता क्यों हैं ? गुस्से का प्रबंधन / Anger Management Tips in Hindi या गुस्सा कैसे नियंत्रित करे ? गुस्से से होने वाले नुक्सान आदि। अनेक सवालों के जवाब जानने का हम प्रयास करेंगे।

 

गुस्सा की अवस्था क्या होती हैं?  

 

गुस्सा एक ऐसी अवस्था है जिसमें मनुष्य अपनी सोचने समझने की क्षमता खो देता है तथा उसका अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं रहता है। अतः हम कह सकते हैं कि गुस्सा एक वह अवस्था हैं जिसमे मनुष्य जो कार्य कर रहा होता है। वह कार्य उसके मस्तिष्क के पूर्णतः नियंत्रण में नहीं रहता है। या कहे की गुस्से में मनुष्य को अपने भले बुरे का एहसास नहीं रहता हैं।

गुस्सा क्या होता है इसके विषय में हम ऊपर थोड़ा पढ़ ही चुके हैं और शायद ही यह किसी को बताने की जरूरत होगी कि गुस्सा क्या होता है क्योंकि अपने जीवन में प्रत्येक व्यक्ति गुस्से का अनुभव अनेक बार करता है और छोटी-छोटी बातों पर खुद को गुस्से के अधीन करता रहता हैं।

गुस्से से होने वाले नुकसान :

 

ऊपर हमने पढ़ा है कि गुस्से की अवस्था में व्यक्ति को  इस बात का एहसास नहीं रहता है कि जो वह कार्य कर रहा है। उससे उसे और अगले  व्यक्ति  को क्या नुकसान हो सकते है।  यहाँ ये सभी को मालूम होगा की उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में कैसे कैसे नुकसान सहने पड़े होंगे। अतः गुस्से से जीवन में बड़े व छोटे , व्यक्तिगत व सामाजिक सभी प्रकार के नुक्सान हो सकते हैं।

गुस्सा क्यों आता है?

 

१. सहनशीलता का कम होना –

 

सबसे पहले तो गुस्सा आने का जो सबसे बड़ा कारण है।  वह यह है कि जब कोई व्यक्ति हमें कुछ ऐसी बात कह देता है।  जो हमें पसंद नहीं होती है यदि हमारी सहनशीलता कम है या किसी ने जो बात कही है उसका स्तर हमारी सहनशीलता से कम है।  तो हमें गुस्सा आता है जिससे हम जिसके द्वारा हम दूसरे व्यक्ति को अपना प्रतिरोध व्यक्त करने का प्रयास करते हैं।

 

२. परिपक्वता का स्तर कम होना- 

 

यदि हमारा परिपक्वता का स्तर एक उच्च स्तर पर काम नहीं करता है।  और जो हमारी विचारधारा है हमारे मूल्य हैं अगर कोई उनके खिलाफ बोलने का प्रयास करता है या उनसे असहमति प्रकट करने का प्रयास करता है तब भी हमें गुस्सा आ सकता है।

यदि हमारा परिपक्वता का स्तर  एक उच्च स्तर पर कार्य करता है और हम एक अच्छे तरह की सहनशीलता रखते हैं तो हम अपने गुस्से को नियंत्रित कर भी जाते हैं परंतु आज के भौतिकवादी युग में दौड़ भाग के युग में अनेक व्यक्तियों के देखा गया है कि जहां उनका सहनशीलता का स्तर अत्यंत कम होता जा रहा है।   वही हम यह देख सकते हैं कि अनेक कारणों के कारण अत्यधिक लोग एक परिपक्वता के बहुत नीचे लेवल पर जीवन व्यतीत करते हैं।  ऐसे व्यक्तियों को गुस्सा आना बहुत ही आसान होता है।

अतः हमने यह तो देख लिया कि गुस्सा क्या होता है और गुस्सा क्यों आता है अब हम देखेंगे कि गुस्से को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है या ऐसे क्या उपाय हो सकते हैं जिससे हम गुस्से को काबू या नियंत्रित कर सकते हैं

 

 

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गुस्से को नियंत्रित करने के उपाय / गुस्से का प्रबंधन /Anger Management Tips in Hindi – 

 

१. खुद के बारे में जाने / आत्मबोध आवश्यक- 

गुस्से को नियंत्रित ( Anger Management Tips in Hindi ) करने का सबसे पहला कदम यह होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को यह प्रयास करना चाहिए कि वह खुद के बारे में जाने   – कि वह क्या है ?अगर वह ऐसा करेगा तो व्यक्ति को आत्मबोध अधिक होगा।  जिससे वह खुद पर संयम रखने पर भी प्रयास कर सकता है।  और जब व्यक्ति खुद को जानने का प्रयास करता है , आत्मबोध प्राप्त करने का प्रयास करता है तो कहीं ना कहीं किसी ना किसी स्तर पर उसके परिपक्वता स्तर में भी अत्यंत वृद्धि होती है।  साथ ही उसकी सहनशीलता में वृद्धि होती है।  जिससे गुस्से को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।

 

२. गुस्से दिलाने वाले कारको से  बचा जाए- 

दूसरे कार्य किया जा सकता है कि आत्मबोध से ऐसे अनेक कारको के विषय में जानकारी  जायेगी जिनके कारन गुस्सा आता है।  हमको कोशिश करनी चाहिए कि हम उन वजह से या  उन कारणों से दूर ही रहे।  जैसे कि यदि हम को पता है कि हमारी विचारधारा क्या है ? हमारी सोच क्या है ? और एक ऐसा व्यक्ति है जो आपसे अधिक समय बहस करने का प्रयास करता है ।  आप की विचारधारा पर विरोध करने का प्रयास करता है। तो सही रहेगा अनावश्यक बहस से बचे। यदि आप एक स्वस्थ वाद विवाद संवाद की प्रक्रिया को नहीं खेल सकते तो यही बेहतर रहता है कि आप उस स्थिति से खुद को बचाने का प्रयास करें। गुस्से का प्रबंधन / Anger Management Tips

 

३. परिपक्वता का स्तर –

व्यक्ति को अपने सोचने , समझने , परिपक्वता का स्तर ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए।  इसके लिए अच्छी अच्छी पुस्तकों को पढ़ सकता है।  ऑनलाइन आर्टिकल पढ़ सकता है। आपको धीरे धीरे ज्ञात होगा कि जैसे जैसे आपके सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है तो आपमें सहनशीलता भी बढ़ती है।  जीवन में समझदारी होना अत्यंत आवश्यक है।

 

४.  वाद – विवाद – संवाद- 

किसी भी मुद्दे पर पहले बात होती है अर्थात वाद होता है। फिर विवाद होता है मतलब की सभी पक्ष अपने अपने मत रखते है।  जी मतों को असहमति का भी सामना करना पढता है।

फिर संवाद होता है अर्थात कुछ ऐसे मत या विचार निकल कर आते है जिनसे सभी को सहमति होती है या कहे कि कुछ सकारात्मक विचार प्राप्त होते हैं।  जिससे हम को भी कुछ नया सीखने की वजह से सीखने को मिलता है। अतः एक स्वस्थ चर्चा करने का प्रयास करे।

 

५.  बात बिगड़ने पर सुधारने से बेहतर है कि बात संभाल ली जाए (PREVENTION IS  BETTER THAN CURE) –

आपने एक कहावत सुनी होगी कि PREVENTION IS  BETTER THAN CURE अर्थात जब स्थिति बिगड़ जाती है उसको सुधारने से अच्छा होता है कि स्थिति बिगड़ने से पहले उसको संभाल ली जाए।  अतः यह आवश्यक है कि आप ऐसे कारणों से दूर रहने का प्रयास करे।

 

६. खुद को नियंत्रित करने का प्रयास करें –

एक अन्य प्रयास यह किया जा सकता है कि हमको दिन प्रतिदिन खुद को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए और हमें यह सोचना चाहिए कि जब भी कोई हमें ऐसी बात करेगा जो हमें पसंद नहीं हैं।  तो हम एकदम से तुरंत गुस्सा ना करने की वजह थोड़ा और रुकने का प्रयास करेंगे।  थोड़ा खुद पर नियंत्रण करने का प्रयास करेंगे।  जिससे यह होगा कि हम एक बुरी से बुरी आने वाली स्थिति को टाल सकते हैं और आगे बढ़ने का प्रयास कर सकते हैं।

 

७. आपमें और अगले में क्या अंतर- 

और जो हम खुद से बात करें तो हमें यह सोचना चाहिए कि अगर किसी की छोटी बात पर मैं तुरंत गुस्सा कर दूंगा और उसको उसके बदले छोटी बात दूंगा तो मुझ में और अगले व्यक्ति में क्या अंतर रह जाएगा।  यहां पर अगर किसी व्यक्ति ने पशु वाला व्यवहार किया है और आप भी पशु आहार करते हैं।  तो आप भी इंसान कहलाने लायक नहीं रहेंगे। अगर आपने दूसरे के अनुसार व्यवहार किया तो वह अपनी योजना में  सफल हो गया।  इसका मतलब वह आपको नियंत्रण कर रहा हैं।

 

८. ऊर्जा को परिवर्तित करे- 

विषय में आपने एक बार सुना होगा कि बहुत बार  कहा जाता है कि हमें अपनी उर्जा को परिवर्तन करना आना चाहिए । यह सत्य भी है कि एक इंसान के अंदर अनेक प्रकार की अच्छी बुरी संवेदनाएं उठती रहती हैं। परंतु सफल व्यक्ति और असफल  व्यक्ति में सबसे बड़ा अंतर यही होता है कि जो सफल व्यक्ति होता है वह अपने अंदर उठने वाली नकारात्मक संवेदना को नियंत्रित कर सकता है।  उनका स्तर कम करके उनको सकारात्मक संवेदना में परिवर्तित करने का प्रयास करता है। जिससे वह अपनी उर्जा का प्रयोग  एक सही दिशा में  कर पाता है। हमें भी यही करने का प्रयास करना चाहिए जब भी हमारे अंदर ऐसी संवेदनाएं उठे तो  व्यक्ति को यह प्रयास करना चाहिए कि हम उस समय ऊर्जा व्यर्थ ना करें  क्योंकि हमें यह मालूम होना चाहिए कि अभी हमें  अन्य कार्य करने हैं। तो अगर हम अपनी इस ऊर्जा का वहां पर प्रयोग करें तो बहुत अच्छा होगा।

 

९. ध्यान और योग करे- 

योग और ध्यान हमारी प्राचीन संस्कृति से मिले हुए । ऐसे वरदान हैं जिनके आधार पर हम अपनी चेतना का स्तर ऊंचा उठा सकते हैं। और खुद को एक निम्न स्तर पर जीने की जगह उच्च स्तर पर जीने का प्रयास कर सकते है। जो व्यक्ति दिन प्रतिदिन योग और ध्यान का अभ्यास करता हैं।  वह खुद में दिन-प्रतिदिन कुछ ना कुछ बदलाव अवश्य देखता हैं।  अतः खुद को नियंत्रित करने के लिए अपनी ऊर्जा का सही दिशा में इस्तेमाल करने के लिए हमको दिन प्रतिदिन योग और ध्यान का थोड़ा-थोड़ा अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

१०. दुसरो की सहायता ले – 

दूसरों की सहायता ले सकते हैं यदि आपको यह लगता है कि आपने सभी काम करके देख लिए हैं जैसे योग ध्यान और अन्य प्रयत्न भी तब भी खुद पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। तो यह आवश्यक होगा कि आप एक विशेषज्ञ से बात करें, काउंसलिंग करें ,उनसे सुझाव ले ।  उनके द्वारा बताए गए नियमों और सुझावों  को माने क्योंकि ज्यादा स्थिति बिगड़ने से अच्छा होता है कि हमें पहले ही कदम उठा लेना चाहिए।

 

 

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