Zero से UPSC की तैयारी कैसे करें। How to prepare for UPSC from Zero level । How to prepare for competitive exam from zero level in Hindi

 

 

How to prepare for UPSC from Zero level

इस लेख में UPSC Civil Services Exam की तैयारी के विषय में एक सामान्य रणनीति की चर्चा की गई हैं। परंतु ये पहले ही स्पष्ट करना सही रहेगा कि प्रत्येक अभ्यर्थी की प्रकृति के अनुसार उसे अपनी रणनीति का निर्धारण खुद करना चाहिए।

यहाँ जो भी तरीके या step बताएं जाएंगे वो UPSC ही नही बल्कि सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी पर लागू हो सकते है। क्योंकि प्रत्येक परीक्षा की प्रकृति व सिलेबस ही बदलता है । जिसके कारण प्रत्येक परीक्षा की तैयारी की रणनीति में भी थोड़ा बदलाव आ जाता हैं। परंतु तैयारी करने के तरीके में ज्यादा कोई अंतर नही आता हैं। How to prepare for UPSC

इस लेख के माध्यम से हम आपको परीक्षा की तैयारी के विषय में एक सामान्य रणनीति के बारे में बताएँगे, जिस रणनीति को कुछ भाग में विभाजित करेंगे-

1. परीक्षा की प्रकृति को समझना ( Know to nature of examination)
2. परीक्षा के सिलेबस का अच्छे से विश्लेषण करना ( Analyze the syllabus properly)
3. पूर्व के वर्षों में पूछे गए प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करना। ( Analyze the previous year question papers )
4. पाठ्यसामग्री का निर्धारण करना। ( Choose the study material )
5. सिलेबस को समय के अनुसार छोटे छोटे भागो में विभाजित करना। ( Divide the syllabus into small parts )
6. समय समय पर प्रैक्टिस पेपर देना ( Practice papers , analyse level of preparation )
7. पढ़ने के साथ रिविशन को भी समय देना। ( Revision must necessary )

 

(1). परीक्षा की प्रकृति को समझना ( Know to nature of examination) :-

 

किसी भी कार्य को करने से पहले उसके विषय में भी सब कुछ जान-समझ लेना अति आवश्यक होता है। जैसे किसी सफर पर निकलने से पहले उसके विषय मे सब कुछ जान लिया जाता हैं। उसी प्रकार किसी परीक्षा की तैयारी रूपी सफ़र पर निकलने से पहले उसके विषय मे जानना भी अति आवश्यक हैं। यहाँ जानने से तात्पर्य है कि परीक्षा का पैटर्न क्या हैं। जैसे हमे मालूम है कि ये परीक्षा तीन चरणों मे सम्पन्न होती हैं। How to prepare for UPSC

 

(2). परीक्षा के सिलेबस अच्छे से विश्लेषण करना ( Analyze the syllabus properly) :-

 

सिलेबस एक ऐसा माध्यम होता है जो हमारी तैयारी को सही दिशा दिखाने का तो काम करता ही है। साथ ही ये भी तय करने में सहायता करता है कि हमें क्या पढ़ना है और कितना पढ़ना हैं।

सिलेबस को अच्छे से समझना और उसका अच्छे से विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक होता हैं।

(3). विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करना ( Analyze the previous year question papers ) :-

 

जिस प्रकार सिलेबस का विश्लेषण अत्यंत आवश्यक होता है । उसी प्रकार पिछले सालों में आएं सवालो को भी अच्छे से पढ़ना और समझना जरूरी होता है। इससे भी तैयारी को सही दिशा प्रदान करने में सहायता मिलती हैं।
इतने बड़े सिलेबस और बड़ी परीक्षा की तैयारी में अनेक बार ऐसा हो सकता है कि हम तैयारी कर रहे होते है परंतु अनेक बार तैयारी सही दिशा में है या नही यही मालूम नहीं हो पाता है। ऐसे में सिलेबस और पुराने पेपर का विश्लेषण अत्यंत आवश्यक हो जाता हैं।

 

(4). पाठ्यसामग्री का निर्धारण करना ( Choose the study material ) :-

 

इस तैयारी में एक अन्य समस्या यह रहती है कि किसी एक विषय के एक से अधिक माध्यम या सोर्स को पढ़ने लगते है। ये एक ऐसी गलती है जो अनेक विद्यार्थियों में आमतौर पर नज़र आती है। अतः इस तरह की किसी भी गलती से बचने के लिए ये कर सकते है कि प्रत्येक विषय के लिए सीमित माध्यम निर्धारित करें। और उन्ही माध्यमों से बार बार पढ़े। ये कहा भी जाता है कि 10 माध्यमों को 1 बार पढ़ने से बेहतर है कि एक  माध्यम को 10 बार पढ़ा जाए। How to prepare for competitive exam

(5). सिलेबस को समय के अनुसार छोटे छोटे भागो में विभाजित करना ( Divide the syllabus into small parts ) :-

 

ये सब करने के बाद अब अगला स्टेप यह होना चाहिए कि हम ये देख ले कि हमे कब एग्जाम देना है ।
उसके लिए अभी कितना समय शेष हैं।
उसके बाद सम्पूर्ण सिलेबस को कुछ भागों में विभाजित करके समय के अनुसार एक लक्ष्य निर्धारित करें। जैसे कि सिलेबस का कितना भाग कितने दिन में पूरा करना हैं। उसके बाद उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ प्रयास करे। और कैसे भी करके निर्धारित सिलेबस को पूरा करें।

 

(6). समय-समय पर प्रैक्टिस पेपर लगाना ( Practice papers , analyse level of preparation ) :-

 

पढ़ने के साथ-साथ तैयारी का मूल्यांकन करना भी बहुत जरूरी होता हैं। इसका एक तरीका ये होता है कि जो भी पढ़ा है । उसके प्रैक्टिस पेपर या पुराने पेपर को हल किया जाए। अतः समय समय पर प्रैक्टिस भी करते रहें।  प्रैक्टिस पेपर देने के बाद ये देखे कि किस तरह की गलती हो रही है जैसे कि –

  • अगर सवाल इस वजह से गलती हो रहे है कि तुम सही से याद नहीं कर पा रहे तो इसमें बार बाररिविशन करना होगा।  
  • अगर कांसेप्ट सही से समझ न आने के कारन सवाल गलत होते है तो कांसेप्ट को दुबारा समझे।
  • कुछ सवाल समय न बचने के कारण जल्दबाजी की वजह से भी गलत हो सकते हैं।  ऐसे में समय के अनुसार प्रैक्टिस करे।  और समय को मैनेज करने का प्रयास करे।

How to prepare for competitive exam

 

(7). पढ़ने के साथ रिविशन को भी समय देना ( Revision must necessary ) :-

 

इस परीक्षा में सबसे बड़ी गलती जो आमतौर पर होती है । यह है कि पढ़ने के साथ रिविशन न करना।
अगर रिविशन नही किया जाए तो पढ़ने का कोई अर्थ नही रह जाता हैं।

 

अतः एक रिविजन का तरीका निर्धारित करके समय समय पर रिविशन करते रहे।

 

ये ऐसे सामान्य तरीका है जो किसी भी परीक्षा की तैयारी करने में सहायक होता है। इसकी सहायता से प्रत्येक विद्यार्थी अपनी प्रकृति के अनुसार अपनी रणनीति तैयार कर सकते हैं।

 

 

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