भारत का पहला क्रिप्टोगैमिक उद्यान | India’s First Cryptogamic Garden 

 

 

India’s First Cryptogamic Garden

11 जुलाई 2021 को उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले के देवबंद क्षेत्र जो चकराता में स्थित है, में लगभग 50 विभिन्न प्रजातियों के साथ भारत के पहले क्रिप्टोगैमिक उद्यान (India’s First Cryptogamic Garden) का शुभारम्भ किया गया है।

यह उद्यान 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और 3 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। जिले के चकराता कस्बे में स्थित इस उद्यान का शुभारम्भ सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने किया।

क्रिप्टोगैम पादपों की ७६ प्रजातियाँ एक ही स्थान पर देखने को मिल जाएंगी, जो वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियों औषधि महत्व से भी परिपूर्ण है।

चकराता वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले इस गार्डन को वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने तैयार किया है।  समुद्र तल से करीब 2700 मीटर की ऊंचाई पर 3 एकड़ क्षेत्र में फैले इस गार्डन को ६ लाख रूपये में तैयार किया गया है। देवबन इलाके में देवदार और ओके प्राचीन जंगल हैं प्रदूषण मुक्त क्षेत्र होने के कारण यह क्षेत्र क्रिप्टोगैमिक उद्यान की परिस्थितियों के लिए बिलकुल अनुकूल है।

 

 

 

क्रिप्टोगैमिक पौधे क्या होते है? What is Cryptogamic Plant ?

 

क्रिप्टोगैमिक पौधे बिना बीज के तैयार होते हैं। यह बिना बीज वाले पौधों की प्रजातियां होती हैं। क्रिप्टोगैम का अर्थ है-” छिपा हुआ प्रजनन ” इस तथ्य का जिक्र है कि ना तो कोई बीज ना ही कोई कोई फूल पैदा होता है। इस प्रकार क्रिप्टोगैम गैर बीज वाले पौधों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

शैवाल, ब्रायोफाइट्स (मॉस, लिवरवार्टस), लाइकेन, फ़र्न और कवक क्रिप्टोगैम के सबसे प्रसिद्ध समूह है जिन्हें जीवित रहने के लिए नम परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी की पहल से इसकी शुरूआत की गई। India’s First Cryptogamic Garden

 

 

 

क्रिप्टोगैमिक गार्डन (Cryptogamic Garden)

 

उत्तराखंड में देहरादून जिले में ११ जुलाई, रविवार को भारत के पहले क्रिप्टोगैमिक गार्डन (Cryptogamic Garden) का शुभारम्भ किया गया। देहरादून जिले में चकराता क्षेत्र के देवबन में इस गार्डन का उद्घाटन किया गया। भारतीय वन सेवा के मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने कहा, ” यह भारत का पहला क्रिप्टोगैमिक गार्डन है, इन प्रजातियों के पारिस्थितिक महत्व को देखते हुए और इनके बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण पौधों का यह गुप्र स्थापित किया गया है। ”

क्रिप्टोगैम लोअर प्लांट (lower plants) हैं, जो जुरासिक युग (Jurassic era) से पृथ्वी पर मौजूद हैं। ये पौधे अच्छे जैव-संकेतक (Bio-Indicator) हैं क्योंकि प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में लाइकेन जैसी प्रजातियां नहीं आती हैं। इन प्रजातियों का आर्थिक मूल्य भी बहुत अधिक है। India’s First Cryptogamic Garden

इनका उपयोग खाने में तड़के के रूप में भी किया जाता है।

देउबन के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि, यह जगह प्रदूषण रहित और देवदार और ओक के जंगलों से घिरी है। इसीलिए इस परियोजना के लिए देवबन को चुना गया है क्योंकि यह इन पौधों के समूह का एक अच्छा प्राकृतिक आवास है, जो पॉल्यूशन से मुक्त है और इन पौधों के लिए उपयुक्त नमी की स्थिति भी प्रदान करता है। India’s First Cryptogamic Garden

इसके अलावा उन्होंने कहा कि, वातावरण में थोड़ा बदलाव भी अगर होता है तो ये पौधे खत्म हो जाते हैं। यहां लाइकेन, शैवाल जैसे प्रजातियां हैं, जो प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने में मददगार साबित होते हैं।  उत्तराखंड में करीब 539 लाइकेन, 346 शैवाल की प्रजातियां हैं।

 

 

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