बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) | Bitcoin (Cryptocurrency)

 

Bitcoin

जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा है, हमारी दुनिया वास्तविकता से आभासी संसार में सिमटती जा रही है। मोबाइल और इंटरनेट क्रांति ने हमें एक छोटे से संसार में समेत दिया है। शॉपिंग हो, शिक्षा हो, बैंकिंग हो या फिर नाते-रिश्ते ही क्यों ना हो सब कुछ वर्चुअल हो रहा है।

इसी की अगली कड़ी है वर्चुअल करेंसी कुछ साल पहले बिटकॉइन नाम की एक ऐसी वर्चुअल करेंसी ने रातों-रात लोगों का ध्यान खींचा। यह कोई नहीं जानता था कि यह वर्चुअल करेंसी कहां से आई है, इसे किसने बनाया है, यह कैसे चलती है। लेकिन इसको पाने की एक अजीब होड़ सी लोगों में दिखी।

एक समय तो ऐसा भी आया कि एक बिटकॉइन की कीमत 12 लाख रूपये पहुंच गई। दुनिया के कई देशों ने इसे हाथों हाथ लिया लेकिन भारत ने समय रहते इससे जुड़े तमाम जोखिमों को भाप लिया। हालांकि डिजिटल ट्रेडिंग की दुनिया में सक्रिय लोग बिटकॉइन को लेकर सपने बुनते रहे। एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब ५० लाख लोग बिटकॉइन और दूसरी वर्चुअल करेंसी में ट्रेडिंग कर रहे हैं, जो कि करीब 2 अरब डॉलर का कारोबार है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद बिटकॉइन और दूसरी वर्चुअल करेंसी की ट्रेडिंग भारत में लगभग नामुमकिन हो चुकी है।

आज के इस लेख के माध्यम से हम बिटकॉइन (Bitcoin) के बारे में विस्तार से जानेंगे। और साथ ही जानेंगे बिटकॉइन की माइनिंग कैसे होती है ? और बिटकॉइन क्या है ? (What is Bitcoin?) cryptocurrency क्या है ? How is Bitcoin made ? process of Bitcoin | बिटकॉइन के जोखिम | Risks of Bitcoin 

 

बिटकॉइन एक झलक 

 

बिटकॉइन (Bitcoin) का नाम आपने जरूर सुना होगा। बीतेकुछ वर्षों में बिटकॉइन की बढ़ती कीमतों ने लोगों को खूब ललचाया है। यह कोई करेंसी नहीं है, इसका कोई भौतिक वजूद नहीं है, सब कुछ वर्चुअल है। डिजिटल लेनदेन पर आधारित बिटकॉइन को क्रिप्टो करेंसी कहा जाता है। दस साल पहले जब बिटकॉइन की शुरुआत हुई तो दुनिया के लिए यह बिल्कुल नयी चीज़ थी, लेकिन धीरे-धीरे बिटकॉइन की तर्ज पर कई करेंसी बाजार में आ गई है।

बिटकॉइन की कीमतों में भारी उछाल की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। बीते 1 साल में इसकी कीमत करीब 21 गुना बढ़ गई। दुनिया भर के बाजार में इसकी बढ़ती कीमतों को लेकर सट्टेबाजी हो रही है। बीते कुछ वर्षों में एक बिटकॉइन की कीमत $17000 को पार कर गई है। पिछले कुछ वर्षों में इसकी औसतन कीमत में 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। अगर रुपए से तुलना करें तो एक समय आया था जब एक बिटकॉइन की कीमत करीब 12 लाख रुपए पहुंच गयी थी।

भारत में बिटकॉइन को लेकर चर्चा तेज होने पर सरकार सतर्क हो गई है। वित्त मंत्रालय ने बिटकॉइन जैसे क्रिप्टो करेंसी को लेकर समिति का गठन किया है। समिति आने वाले दिनों में बिटकॉइन की दिशा में सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। केंद्र सरकार को आशंका है कि बिटकॉइन में निवेश के नाम पर देश में ठगी का बड़ा खेल चल रहा है। इसकी बढ़ती कीमतों पर सरकार ने पैनी नजर रखी है। आशंका इस बात की भी है कि बिटकॉइन के चक्कर में निवेशक कहीं अनजाने में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से जुड़े कानूनों को ना तोड़ दे।

भारतीय रिजर्व बैंक एवं सेबी समेत कई एजेंसियां पूरे मामलों की निगरानी कर रही हैं। आयकर विभाग में बीते दिनों बिटकॉइन के लेनदेन में टैक्स चोरी के आशंकाओं के मद्देनजर एक अभियान चलाया था। आईटी विभाग के कई टीमों ने बेंगलुरु इन्वेस्टिगेशन टीम के साथ देश के 9 बड़े बिटकॉइन एक्सचेंजो में सर्वे ऑपरेशन किया। बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी को लेकर भारत में कोई नियम नियामक नहीं बना है। ऐसे में बिटकॉइन सरकुलेशन ने रिजर्व बैंक की चिंता भी बढ़ा दी है। वर्तमान समय में देश में बिटकॉइन जैसी किसी भी वर्चुअल करेंसी को कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं है। रिजर्व बैंक का कहना है कि अगर कोई भी निवेशक इन वर्चुअल करेंसी में निवेश करता है तो इसमें हुए फायदे नुकसान की पूरी जिम्मेदारी निवेशक की होगी।

भारत समेत दुनिया के कई देशों में सरकार अब क्रिप्टो करेंसी को लेकर कानून बनाने की कोशिश में है। अमेरिका में डिजिटल करेंसी को मनी लॉन्ड्रिंग कानून की जद में लाने की चर्चाएं तेज है। आने वाले दिनों में अमेरिका क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स भी लगा सकता है। लेकिन डिजिटल करेंसी से जुड़े लोग ऐसे कानून का तीखा विरोध कर रहे हैं।

क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती कीमतों के बाद अमेरिका में भी समिति का गठन किया गया है। और एशिया के कई देशों में भी इसको लेकर कानून बनाने की मांग हो रही है। इन सब चर्चाओं के बीच ” जीएमओ इंटरनेट ” नाम की एक जापानी कंपनी ने ऐलान किया है कि फरवरी 2018 से वह अपने कर्मचारियों को बिटकॉइन में भी भुगतान करेगी। ” जीएमओ इंटरनेट ” नाम की कंपनी वेब, वित्त और ऑनलाइन विज्ञापन के व्यवसाय में है। इस ऐलान के बाद 4000 कर्मचारियों वाली इस कंपनी की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है।

बिटकॉइन को लेकर दुनिया भर की सरकार सतर्क हो गई है कहीं इसे प्रतिबंधित करने की मांग उठ रही है तो कहीं बिटकॉइन करेंसी को बढ़ावा देने की मांग हो रही है जापान बिटकॉइन को वैद्य करेंसी मानता है लेकिन आज भी ज्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि दरअसल बिटकॉइन है क्या ?

 

 

बिटकॉइन है क्या ? What is Bitcoin ?

 

इंटरनेट की दुनिया में कई चीजें हैं जिनका भौतिक वजूद नहीं है इंटरनेट ने दुनिया को बदल कर रख दिया है धीरे-धीरे असली और आभासी दुनिया का अंतर कम होता जा रहा है पैसों का डिजिटल लेनदेन तो पूरी दुनिया में काफी पहले से आम है, लेकिन अब धीरे-धीरे डिजिटल करेंसी भी वजूद में आने लगी है यह ऐसी करेंसी होती है जो भौतिक रूप से मौजूद नहीं होती लेकिन उस करेंसी का मूल्य होता है बिटकॉइन ऐसी ही वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी है

करीब 12 साल पहले जनवरी 2009 में बिटकॉइन की शुरुआत हुई यह किसने बनाई, कोई नहीं जानता बिटकॉइन की शुरुआत करने वाले व्यक्ति को पूरी दुनिया सतोशी नाकामोतो के नाम से जानती है लेकिन इस नाम के किसी व्यक्ति को आज तक किसी ने नहीं देखा कुछ लोगों का मानना है सतोशी नाकामोतो किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं है बल्कि बिटकॉइन की शुरुआत करने वाला समूह खुद को इस नाम से पुकारता है कुछ लोग यह भी कहते हैं कि सतोशी नाकामोतो वास्तविक नाम है और वह जापान के किसी शहर में छुप कर रहता है इंटरनेट पर सतोशी नाकामोतो की उम्र 42 साल बताई गई है यानी बिटकॉइन जितना रहस्यमई है, उतना ही रहस्य इस बात में भी है किसे सच में किसने शुरू किया

अक्टूबर 2008 में नाकामोतो ने इंटरनेट पर एक पर्चा छापा, जिसमें क्रिप्टोग्राफी मेलिंग लिस्ट थी इसमें उन्होंने बिटकॉइन नाम की वर्चुअल करेंसी की खूबियों के बारे में दुनिया को बताया जिसका शीर्षक था ” बिटकॉइन : ए पीअर टू पीअर  इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम ” इसके 3 महीने बाद 3 जनवरी 2009 को बिटकॉइन की शुरुआत हुई 9 जनवरी 2009 को नाकामोतो ने इसके 0.1 वर्जन की शुरुआत की

बिटकॉइन एक ऐसा पेमेंट सिस्टम है जिस पर किसी देश का अधिकार नहीं है यह एक ऐसी करेंसी है जिसका कोई भौतिक वजूद नहीं है बिटकॉइन को इस्तेमाल करने वाले लोग इसे वैश्विक मुद्रा का नाम देते हैं बिटकॉइन के लिए किसी बैंक की जरूरत नहीं है, दो लोग आपस में इसका सीधे इस्तेमाल कर सकते हैं बिटकॉइन को एक खास तरीके से बनाया जाता है जिसे इंटरनेट की दुनिया में माइनिंग कहते हैं बिटकॉइन को बेचकर असली करेंसी खरीदी जा सकती है इससे कोई सामान भी खरीदा जा सकता है

फरवरी 2015 तक एक लाख से ज्यादा मरचेंट्स और वेंडर ने भुगतान के लिए बिटकॉइन को मान्यता दी माना जा रहा है कि इसके बाद बिटकॉइन को मान्यता देने वाले कंपनियों की संख्या में और इजाफा हुआ है यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के मुताबिक इस वक्त पूरी दुनिया में ३ करोड़ से लेकर 6 करोड़ के आसपास ऐसे लोग हैं, जो क्रिप्टो करेंसी वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं इनमें सबसे ज्यादा बिटकॉइन का ही इस्तेमाल होता है

बिटकॉइन का मूल्य स्थिर नहीं है, एक लिहाज से देखें तो यह सोने की तरह है जिसकी कीमत घटती या बढ़ती रहती है बिटकॉइन की खरीदारी एक क्रिप्टो वॉलेट से दूसरे क्रिप्टो वॉलेट में होती है कई लोग बिटकॉइन खरीद कर इस उम्मीद में छोड़ देते हैं कि आने वाले दिनों में इसकी कीमत बढ़ने पर बेच देंगे

कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, टेबलेट या क्लाउड जैसी जगहों पर इसे रखा जा सकता है बिटकॉइन के लेनदेन में किसी का नाम सार्वजनिक नहीं होता दुनिया सिर्फ उसकी वॉलेट आईडी जान सकती है इसी गोपनीयता ने दुनिया-भर की सरकारों की नींद उड़ा रखी है सरकारों को लगता है कि बिटकॉइन के जरिए ड्रग्स, मनी-लॉन्डरिंग और आतंकवाद जैसी गतिविधियों को तेजी से बढ़ाया जा सकता है मुश्किल यह भी है बिटकॉइन पर सरकार अंकुश कैसे लगाएं

बिटकॉइन सिर्फ वर्चुअल तौर पर मौजूद है कुछ महीने पहले जब पूरी दुनिया में रैंसमवेयर साइबर हमला हुआ था तो इसकी चपेट में १५० से ज्यादा देश आए थे उस वक्त हैकर्स ने बिटकॉइन में ही भुगतान मांगा थाबिटकॉइन की कीमत तब से लेकर अब तक बहुत ज्यादा बढ़ गई है लेकिन बिटकॉइन का भविष्य क्या है इसे कोई नहीं जानता इसी अनिश्चितता ने कई निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है बाजार में बिटकॉइन जैसी कई क्रिप्टो करेंसी आ गई है बाजार में बढ़ती प्रतियोगिता के चलते बिटकॉइन की कीमत पिछले 1 वर्ष में थोड़ी नीचे आ गई है

 

 

बिटकॉइन की माइनिंग अर्थात बिटकॉइन कैसे बनता है ? Process of Bitcoin | How is Bitcoin made ?

 

क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण टर्म है : माइनिंग इंटरनेट के आभासी संसार या वर्चुअल वर्ल्ड में बिटकॉइन बनाने की बनाने की प्रक्रिया को बिटकॉइन माइनिंग कहते हैं जैसे खुदाई अर्थात माइनिंग से धरती के भीतर छिपे चीजों को खोजा जाता है ठीक उसी तरह इंटरनेट पर माइनिंग के जरिए बिटकॉइन निकाले जाते हैं माना जाता है कि वर्चुअल दुनिया में 21 करोड़ बिटकॉइन ही उपलब्ध हैं और इनमें से अब तक एक करोड़ बिटकॉइन बनाए जा चुके हैं अर्थात एक करोड़ बिटकॉइन की माइनिंग की जा चुकी है

बिटकॉइन (Bitcoin) माइनिंग दरअसल दो तरह की होती है :

सोलो माइनिंग और पूल माइनिंग अर्थात ग्रुप माइनिंग

सोलो माइनिंग के लिए कोई भी व्यक्ति अकेले माइनिंग करता है लेकिन उसके लिए उसे बेहद शक्तिशाली कंप्यूटर की जरूरत होती है और इसमें काफी खर्च भी आता है

जबकि पूल माइनिंग में आप किसी ग्रुप से जुड़ कर कार्य करते हैं और बहुत सारे कंप्यूटर एक पूल बनाकर माइनिंग करते हैं

माइनिंग के लिए आपको एक वर्चुअल वॉलेट बनाना होता है, जिसमें आप अपना पैसा पाएंगे और उसके लिए आपको एक एड्रेस भी जनरेट करना होता है माइनिंग करने के लिए कई कंपनियां सॉफ्टवेयर भी देती हैं, जिन्हें डाउनलोड करके आप माइनिंग कर सकते हैं माइनिंग करने वाले लोगों को माइनर्स कहा जाता है, जो बिटकॉइन ट्रांजैक्शन या लेन-देन में मदद करते हैंमाइनर्स को इस प्रक्रिया में ब्लॉकस सॉल्व करना पड़ता है इसमें बहुत ही जटिल गणितीय प्रणाली होती है, जिसे प्रूफ करने के लिए लाखों कैलकुलेशन प्रति सेकेंड करने पड़ते हैं उसके बाद ही ट्रांजैक्शन कंफर्म होता है जब वह ब्लॉक्स का हल निकाल लेते हैं तो उन्हें आखिर में रिवॉर्ड या फीस मिलती है जो बिटकॉइन में होती है इस तरह माइनर्स को बिटकॉइन कहीं से खरीदने नहीं पढ़ते और वो खुद कंप्यूटर या अपने हुनर से बिटकॉइन पा लेते हैं

माना जाता है कि माइनिंग से करीब 25 से 30 फ़ीसदी बिटकॉइन कमाए जा सकते हैं जिनकी कीमत आज करोड़ों में है बिटकॉइन माइनिंग का मुख्य उद्देश्य बिटकॉइन नोट को सुरक्षित बनाना और नेटवर्क को छेड़छाड़ से दूर रखना होता हैमाइनर्स इसी काम की फीस लेते हैं  बिटकॉइन माइनर्स कंप्यूटिंग पावर का इस्तेमाल कर ट्रांजैक्शन प्रोसेस करते हैं इस नेटवर्क को बेहद सुरक्षित रखा जाता है साथ ही नेटवर्क को सिंक्रोनाइज भी किया जाता है माइनिंग का काम वही लोग करते हैं जिनके पास विशेष गणना वाले कंप्यूटर और गणना करने की उचित क्षमता हो इस प्रक्रिया में काफी बिजली की भी जरूरत होती है

 

 

बिटकॉइन के जोखिम | Risks of Bitcoin 

 

बिटकॉइन के रातों-रात बढ़ती कीमतों ने कई लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया है पेशेवर निवेशकों के साथ-साथ यह आम आदमी के लिए भी बेहद आकर्षक हो गया है जिन्होंने बिटकॉइन नहीं खरीदा वह पछता रहे हैं कि समय पर अगर उनके पास यह करेंसी होती तो आज वह करोड़पति होते लेकिन  जिनके पास बिटकॉइन है वह इस बात से परेशान है कि इसके भविष्य की गारंटी कोई एजेंसी नहीं ले रही अगर बिटकॉइन अचानक बंद हो गया तो खरीदारों का सारा पैसा डूब जाएगा

दरअसल उनके आशंकाये जायज है जानकार मानते हैं कि निवेशक इससे जुड़ी तकनीकी जानकारी रखे बिना और जोखिम का आकलन किए बगैर ही इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं जो उनकी जमा पूंजी रातों-रात स्वाहा कर सकता है

बिटकॉइन में निवेश से जुड़े कई जोखिम है:

  • बिटकॉइन दरअसल एक मार्केट बबल की तरह है जो कभी भी आपकी पूंजी शून्य कर सकता है
  • बिटकॉइन कौन चलाता है इसका कोई पता नहीं है
  • मान्यता नहीं होने के कारण अगर आपका पैसा डूबता है तो इसकी शिकायत आप कहीं नहीं कर सकते
  • इससे जुड़े निवेश के जोखिम का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है

बिटकॉइन में सिर्फ निवेश को लेकर ही जोखिम नहीं है बल्कि जानकर पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह मानते हैं

  • बिटकॉइन माइनिंग में बहुत ज्यादा उर्जा की खपत होती है अनुमान है कि हर बिटकॉइन ट्रांजैक्शन के लिए 237 किलो वाट बिजली की खपत होती है
  • इससे हर घंटे बोइंग 747 के बराबर ९२ किलो कार्बन निकलता है, जो पर्यावरण के लिए सीधा खतरा है
  • इसमें लगने वाली ऊर्जा के भार के चलते विश्व में बिजली की कमी आ सकती है

शेयर की तरह बिटकॉइन की एक्सचेंज में ट्रेडिंग होती है इसमें कम से कम 1000 रुपए में ट्रेडिंग की जाती है भारत में 10 से ज्यादा एक्सचेंज में बिटकॉइन की ट्रेडिंग होती है लेकिन यह बेहद जोखिम भरा है और अगर आप सोच रहे हैं कि इसमें छुपकर ट्रेडिंग की जा सकती है, तो आप गलत हैं क्योंकि इसमें निवेश के बाद जब आप उसे बेचने जाएंगे तो आपको स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा यही नहीं आपके खाते मैं पैसे आने के बाद ट्रांजैक्शन आसानी से ट्रेस हो जाएंगे

 

 

बिटकॉइन (Bitcoin) के अलावा अन्य क्रिप्टो करेंसी

 

2009 में जब बिटकॉइन की शुरुआत हुई तो पूरी दुनिया के लिए यह एक नई चीज थी यह पहली क्रिप्टोकरंसी थी लेकिन तब से लेकर अब तक कई क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आ चुकी है क्रिप्टो करेंसी का बाजार पिछले 2 वर्षों से काफी फैल रहा है बिटकॉइन की तर्ज पर कई क्रिप्टोकरंसी बाजार पर आ गई है

 

  • क्रिप्टोकरंसी लाइट कॉइन :

2011 में लाइट कॉइन की शुरुआत हुई गूगल के पूर्व इंजीनियर चार्लिली ने इसे बनाया यह काफी हद तक बिटकॉइन से मिलता जुलता है लेकिन लेनदेन की प्रक्रिया बिटकॉइन से तेज है हजारों मर्चेंट ने इसे मान्यता दे रखी है क्रिप्टोकरेन्सी की दुनिया में एक कहावत मशहूर है कि अगर बिटकॉइन सोना है तो लाइट कॉइन चांदी

 

  • क्रिप्टोकरंसी इथेरियम :

साल 2015 में इटेरियम की शुरुआत हुई  2014 में जब इसके प्री-सेल की घोषणा हुई तो लोगों ने इथेरियम में काफी दिलचस्पी दिखाई इसको चलाने के लिए इथर नाम की क्रिप्टोग्राफिक टोकन प्लेटफार्म है  2016 में साइबर हमले के बाद यह दो हिस्सों में बँट गया आप यह इथेरियम के अलावा इथेरियम क्लासिक नाम से भी मौजूद है मोटे तौर पर इसका कुल बाजार मूल्य 4150 करोड डॉलर का है मूल्य के मामले में यह बिटकॉइन के बाद दूसरी सबसे बड़ी करेंसी है

 

  • क्रिप्टोकरंसी ज़ेडकैश :

साल 2016 में ज़ेडकैश नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई ज़ेडकैश का दावा है कि अगर बिटकॉइन पैसों के लिए http है तो ज़ेडकैश खुद http है इसका लेनदेन ज्यादा पारदर्शी है लेन-देन का पूरा विवरण यह ब्लॉकचेन पर छापती है लेकिन इसमें व्यक्तियों के नाम नहीं होते  हाल के महीनों में इस तरह की नई क्रिप्टो करेंसी बनकर तैयार हो रही है

 

  • क्रिप्टोकरंसी डैश :

डैश नाम की क्रिप्टोकरेंसी और ज्यादा गोपनीयता का दावा करती है जनवरी 2014 में डार्क कॉइन नाम से इसकी शुरुआत हुई इवन डफ़ील्ड की बनाई इस करेंसी को सीपीयू या जीपीयू के जरिए माइंड कर सकते हैं मार्च 2015 में डार्क कॉइन का नाम बदलकर डैश कर दिया गया

 

  • क्रिप्टोकरंसी रिपल :

रिपल नाम की क्रिप्टो करेंसी भी आजकल खूब लोकप्रिय हो रही है इसकी खासियत है कम कीमत पर रीयलटाइम अंतरराष्ट्रीय भुगतान 2012 में शुरू इस करेंसी का अनुमानित बाजार मूल्य 126 करोड डॉलर का है रिपल के इस्तेमाल के लिए माइनिंग की दरकार नहीं होती इसलिए इसे वह लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो कंप्यूटर में माहिर नहीं है

 

 

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