ब्लॉकचेन तकनीक | Blockchain Technology in Hindi

 

 

Blockchain Technology

हाल ही के दिनों बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी काफी लोकप्रिय हुई। हालांकि क्रिप्टोकरंसी को लेकर कई तरह की शंकाएँ जताई जा रही है। लेकिन इसके लेन-देन से जुड़ी तकनीक ” ब्लॉकचेन तकनीक ” (Blockchain Technology), जिसे आधुनिक समय का एक क्रांतिकारी अविष्कार माना जा रहा है।

यह एक तरह का आभासी बही खाता है जिसमें सूचना के लेनदेन को सबसे पहले ब्लॉक यानी सोर्स से लेकर आखिरी ट्रांजैक्शन तक का हिसाब-किताब जुड़ जाता है अर्थात सूचनाओं के ब्लॉकस की एक चेन। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे की ब्लॉकचेन तकनीक है क्या (Blockchain Kya Hai ?), (What is Blockchain?), Blockchain Technology और यह कैसे काम करती है (How Block Chain Technique work?), Blockchain technology challenges, Cryptography और ब्लॉकचेन तकनीक के बारे में विस्तार से बताने का प्रयास करेंगे।

 

 

Blockchain Technology क्या है ?

 

ब्लॉकचेन अर्थात डिजिटल केंद्रीकृत सार्वजनिक खाता, इसका इस्तेमाल बिटकॉइन समेत किसी भी क्रिप्टोकरेन्सी के लेनदेन में किया जाता है। दरसल ब्लॉकचेन आंकड़ों के ब्लॉक की एक श्रृंखला होती है। हर ब्लॉक में उस समय हुए सभी लेनदेन का लेखा जोखा होता है। यह पूरी तरह से सार्वजनिक होती है, और ब्लॉकचेन का इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति इसे देख सकते हैं और पिछले तमाम लेन-देन का हिसाब भी जान सकता हैं। इससे लेनदेन का कोई केंद्रीय रिकॉर्ड रखे बिना किसी भी डिजिटल लेनदेन को ट्रैक करने की सहूलियत मिलती है। Blockchain Technology

ब्लॉकचेन तीन अलग-अलग तरीकों का समायोजन है जिसमें इंटरनेट, निजी कुंजी की क्रिप्टोग्राफी अर्थात सूचना को कोड में बदलना और प्रोटोकोल पर नियंत्रण रखने की तकनीक शामिल है

 

 

क्रिप्टोग्राफी का इतिहास | History of Cryptography

 

क्रिप्टोग्राफी की सुरक्षित श्रृंखला पर पहला काम 1991 में स्टुअर्ट हेबर और डब्लू स्कॉट स्टोरनेटा ने किया 1992 में बायर, हेबर और स्टोरनेटा ने इसके डिजाइन में सुधार किया जिससे कई ब्लॉकों को एक ब्लॉक में इकट्ठा करने की अनुमति दी जा सकती है

ब्लॉकचेन को पहली बार सन 2008 में सतोषी नाकामोतो के किसी व्यक्ति या समूह ने क्रिप्टो करेंसी के लिए इस्तेमाल किया 2016 में रूस रूसी संघ की केंद्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी ने ब्लॉकचेन प्लेटफार्म पर आधारित एक पायलट परियोजना की घोषणा की जिससे ब्लॉकचेन का इस्तेमाल स्वचालित मतदान प्रणाली के लिए किया जा सकता था

 

 

डिजिटल युग / लेनदेन  :

 

दरअसल इंटरनेट और डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल ने लेनदेन और सूचनाओं के आदान-प्रदान के तरीके बदल दिए हैं इससे तमाम तरह के सवाल भी खड़े हुए हैं जैसे डिजिटल भुगतान या सूचना का लेनदेन कब हुआ ? कैसे हुआ ? किसे हुआ ? और हुआ भी या नहीं हस्तांतरण की सुरक्षा, उसकी वैधता यह सब कैसे पता किया जाए ? और कैसे जाँचा जाए ? ब्लॉकचेन इन सब सवालों का जवाब हो सकता है ये ब्लॉक नाम के अभिलेखों की लगातार बढ़ती सूची है, जो क्रिप्टोग्राफी के जरिए आपस में जुड़ी है

 

 

ब्लॉकचेन (Block chain) | Blockchain Technology UPSC in Hindi : 

 

ब्लॉकचेन तमाम लेनदेन के ब्लॉक का कड़ी दर कड़ी रिकॉर्ड है इसमें कई लोग एक साथ जानकारी के रिकॉर्ड में कई प्रविष्ठियां लिख सकते हैं सूचनाओं को भी यूजर्स का एक ग्रुप नियंत्रित कर सकता है सूचना का रिकॉर्ड संशोधित कर सकता है या फिर बदल सकता है

यह लगभग विकिपीडिया प्रविष्ठियों की तरह है जो किसी एक प्रकाशक या किसी एक व्यक्ति की जानकारी पर आधारित या किसी एक व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं हो तमाम यूजर्स जिनके पास सूचना जोड़ने की अनुमति है इसमें अपना योगदान कर सकते हैं हालांकि केंद्रीय डेटाबेस पर विकिपीडिया का  नियंत्रण रहता है

ब्लॉकचेन एक करेंसी नहीं है, बल्कि एक आधुनिक तकनीक है जिसके जरिए क्रिप्टो करेंसी का लेनदेन मुमकिन हो पाया बिना ब्लॉकचेन के वर्चुअल करेंसी का लेनदेन मुमकिन नहीं है

 

 

ब्लॉकचेन तकनीक काम कैसे करता है ? How Block Chain Technique work ?

 

आप जब कभी किसी दुकान पर जाते हैं तो दुकानदार को सामान की एवज में पैसा देते हैंलेकिन यही खरीदारी जब आप ऑनलाइन करते हैं, तो लेनदेन अर्थात ट्रांजैक्शन के लिए आपको एक प्लेटफार्म की जरूरत पड़ती है जैसे कि पेटीएम वगैरह-वगैरह इसी तरह जब आप किसी के खाते में पैसे भेजते हैं तो बीच में बैंक होता है बैंक आपके खाते से पैसा दूसरे के खाते में ट्रांसफर करता है और लेनदेन से जुड़ी जानकारी का हिसाब या बही खाता मेंटेन करता है

ब्लॉकचेन दरअसल इसी तरह का वर्चुअल बही खाता है ब्लॉकचेन तकनीक में बैंक और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाती है और P२P अर्थात एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सीधे ट्रांजैक्शन हो जाता है ब्लॉकचेन दरसल एक डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर डेटाबेस है, जिसकी जानकारी लेन-देन से जुड़े हर इंसान, कंप्यूटर तक होती है आमतौर पर पर बही खाते या रजिस्टर में दर्ज़ जानकारियां सिर्फ बैंक के पास होती हैं लेकिन ब्लॉकचेन तकनीक में लेनदेन की हर जानकारी उससे जुड़े नोट्स या यूजर्स के पास होती है लेकिन कोई भी लेनदेन तभी मुमकिन होता है जब चेन से जुड़े लोग ऐसा करने की परमिशन दें इस तरह से यह जानकारी सबके लिए सार्वजनिक होते हुए भी बेहद गोपनीय रहती है

ट्रांज़ैक्शन को पूरा करने के लिए ब्लॉक्स को सॉल्व करना बहुत जरुरी है। लेकिन इसमें एक बहुत जटिल गणितीय प्रणाली होती है जिसे प्रूफ करने के लिए आपको लाखों कैलकुलेशन प्रति सेकंड करने पड़ते है।उसके बाद ही ट्रांजैक्शन कन्फर्म होता है। इसीलिए इसे बेहद सुरक्षित माना जाता है।

इंटरनेट पर blockchain.info जैसी कई वेबसाइट मौजूद है जहाँ लॉगिन कर आप ब्लॉकचेन से जुड़ सकते है। और अपना वर्चुअल वॉलेट बना सकते है। ट्रांसफर की गयी रकम आपके वर्चुअल वॉलेट में ही आएगी। उसके लिए आपको एक एड्रेस (पता) भी जनरेट करना होता है।

ब्लॉकचेन तकनीक केवल क्रिप्टो करेंसी तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके जरिये वित्तीय प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य, रियल एस्टेट जैसे तमाम क्षेत्रों को बेहतर बनाया जा सकता है।

 

 

ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology) का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ और कैसे किया जा सकता है ? 

 

ब्लॉकचेन तकनीक का संसार काफी बड़ा है। आमतौर पर यह माना जाता है कि यह सिर्फ क्रिप्टोकरेन्सी से जुड़ा लेकिन ऐसा नहीं है। क्रिप्टो करेंसी और वित्तीय लेनदेन के अलावा ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कानूनी कागजात, स्वास्थ्य आकड़े, नोटरी और निजी दस्तावेज सुरक्षित रखने में भी किया जा सकता है। इसके अलावा ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल सब्सिडी वितरण, भू-रिकॉर्ड नियमन और सरकारी योजनाओ का हिसाब किताब रखने में भी किया जा सकता है।

इस तकनीक का उपयोग क्लाउडेड स्टोरेज, डिजिटल पहचान, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और डिजिटल मतदान में भी किया जा सकता है। कई ऐसे विचार एवं योजनाएं जो ढांचागत कमियों, उच्च लागत, केन्द्रीकरण और धीमे नेटवर्क की वजह से अभी तक कारगर नहीं मानी जाती थी, ब्लॉकचेन तकनीक ने उन्हें काफी हद तक आसान बना दिया है।

  • दुनिया में कई जगह वाणिज्य संपत्ति को किराये पर देने के लिए प्रॉपर्टी डीलर्स ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है
  • क्लाउड होस्टिंग प्लेटफार्म में उपयोग।
  • सका इस्तेमाल शैक्षिक जानकारियों के लिए कर रहे है।
  • अमेरिका जैसे देशो में छात्रों, अध्यापको और कंपनियों को पारदर्शी एवं सुरक्षित प्लेटफार्म, इसकी सहायता से मुहैया कराये जा रहे है
  • वित्तीय क्षेत्र से जुडी कंपनिया ब्लॉकचेन तकनीक से जुड़े तमाम कामकाज में तेजी से अपना प्रसार कर रही है

विकेन्द्रीकरण और पारदर्शिता की वजह से ब्लॉकचेन तकनीक काफी कारगर साबित है। लेकिन जहां निजी सूचना का मामला हो और जानकारिया सार्वजानिक होने पर नुकसान का डर हो वहां इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता। फिर भी पारदर्शिता बढ़ाने और साफ लेनदेन एवं लेनदेन का इतिहास जानने के उद्देश्य से ये काफी लोकप्रिय है।

 

 

ब्लॉकचेन तकनीक की चुनौतियाँ | Blockchain technology challenges

 

देश में सरकार का रुझान डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने पर है। हालांकि बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का नजरिया साफ है। सरकार ऐसी किसी भी करेंसी या भुगतान के तरीके को मान्यता नहीं देती जो सरकारी नियंत्रण और नियमन से बाहर है। ऐसे में ब्लॉकचेन तकनीक की कानूनी वैधता पर सवाल उठना लाजमी है।

हालांकि सरकार ने माना है की ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल को जायज कामों में बढ़ावा दिया जा सकता है। Blockchain Technology

दुनियाभर में तकनीक के दम पर वित्तीय कारोबार तेजी से डिजिटल हुए है। लेकिन भारत में इसकी रफ़्तार थोड़ी धीमी है। इसकी कई सुरक्षा वजहें है और साथ ही जरुरी कानूनों की कमी भी है। डिजिटल लेनदेन बढ़ने के साथ ही देश में अवैध शुल्क वसूली, अतिरिक्त शुल्क, धनराशि गायब होने की शिकायते भी बड़ी है। नागरिक सूचनाओं की चोरी, साइबर उत्पीड़न, फ्रॉड भुगतान, गैरकानूनी लेनदेन के मामले भी बड़े है।

वित्तीय क्षेत्र की तकनीकी कम्पनियाँ, प्रौघोगिकी अधिनियम के दायरे में आती है जिस वजह से किसी भी अनियमितता से निपटने के लिए कानून का बुनयादी ढांचा नदारद है। मौजूदा क़ानूनी व्यवस्था में साइबर कानून के दायरे में कंप्यूटर, इंटरनेट और साइबर स्पेस आते है। इससे निपटने के लिए सन २००० में आईटी एक्ट बनाया गया। इसके जरिये भारतीय दंड संहिता, १८६० , भारतीय साक्ष्य अधिनियम, १८७२ , बैंकिंग साक्ष्य कानून, १८९१ और रिज़र्व बैंक अधिनियम, १९३४ में भी जरुरी बदलाव किये गए है। २००८ में आईटी एक्ट में संसोधन किया गया। फ़र्ज़ी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का इस्तेमाल रोकने के लिए आईपीसी की धारा ४६३ है। फ़र्ज़ी वेबसाइट या साइबर फ्रॉड को धोखाधड़ी से जुडी आईपीसी की धारा ४२० में लाया गया है। वेब जैकिंग को आईपीसी की धारा ३८३। ईमेल के गलत इस्तेमाल को आईपीसी की धारा ५०० के दायरे में लाया गया है। लेकिन तकनीक की दुनिया में काफी बदलाव आ चुके है और यह सब कानून नाकाफी है।

बैंक के डिजिटल लेनदेन कई वजहों से गलत हो सकते है। इनमे से अधिकांश मामलो में ग्राहकों की कोई गलती नहीं होती। डेबिट कार्ड और बैंक खाते का हैक होना कोई नयी बात नहीं है। इसके अलावा गलत कैश ट्रांसफर और ट्रांजैक्शन हुए बिना पैसे काट जाने के मामले भी है। इन सब मामलो में भुगतान के रिकॉर्ड की सही जांच या चोरी पकड़ पाना आसान नहीं है।  

ब्लॉकचेन तकनीक इस पर लगाम लगा सकती है। इसमें हर भुगतान का रिकॉर्ड ब्लॉक में दर्ज हो जाता है और भुगतान की जानकारियों की एक चेन बन जाती है। लेकिन इससे पहले ब्लॉकचेन को क़ानूनी वैद्यता जरुरी है। साथ ही यह भी जानना जरुरी है कि इसमें गड़बड़ी की कितनी गुंजाईश है।

दो दशक पहले तक हम वित्तीय लेनदेन में सिर्फ नकदी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन जैसे जैसे वित्तीय सेवाओं का स्वरुप बदला लेनदेन के तौर तरीकों में भी क्रन्तिकारी बदलाव हुए। इंटरनेट की सुपर कनेक्टिविटी ने वित्तीय सेवाओं में नयी तकनीक के इस्तेमाल के नए अवसर खोले और दुनिया के तमाम देशो के साथ-साथ भारत ने भी कैशलेश इकॉनमी बनने की ओर कदम बड़ा लिए है। Blockchain Technology

 

 

अर्थव्यवस्था और नयी तकनीक में डिजिटल लेनदेन के तरीके :

 

  • डेबिट या क्रेडिट कार्ड
  • मोबाइल वॉलेट
  • मोबाइल ऍप्स
  • नेट बैंकिंग
  • इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस (ECS)
  • नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर (NEFT)
  • तत्काल भुगतान सेवा (IMPS)
  • ई-रूपी
  • भीम ऍप आदि

इन सभी लेनदेन प्रक्रियाओं से डिजिटल लेनदेन काफी बदल गया है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षो में डिजिटल लेनदेन को बहुत ज्यादा तवज्जो दी है। 

 

 

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