उत्तराखंड भूकंप अलर्ट  ऐप | Uttarakhand Earthquake Alert App | Uttarakhand Bhookamp Alert App in Hindi

 

 

Uttarakhand Earthquake Alert App 

उत्तराखंड राज्य अपनी अलौकिक सुंदरता एवं शांत वातावरण के लिए विश्व भर में अपना एक खास अलग ही स्थान रखता है। पहाड़ी एवं हिमालयी क्षेत्र की रमणीक वादियां हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।

पहाड़ी इलाका होने के कारण रमणीक सुंदरता के साथ-साथ कुछ विषम भौगोलिक परिस्थियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है। जिनमें भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना आदि है।

इन्हीं विषम भौगोलिक परिस्थितियों से निपटने के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तराखंड सरकार और आईआईटी रुड़की (IIT ROORKEE) की टीम के द्वारा ” उत्तराखंड भूकंप अलर्ट “ ऐप बनाया गया है। ” उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप ” ( ” Uttarakhand Earthquake Alert App ” ) लाॅन्च करने वाला पहला राज्य बन गया है

पुरे देश में पहली बार किसी ने इस तरह की विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु प्रयास किया है (एक ऐप) बनाई है। जिसका नाम है ” उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप ” ( ” Uttarakhand Earthquake Alert App ” )  यह ऐप भूकंप आने से 20 सेकंड पहले न सिर्फ चेतावनी देगा, बल्कि भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की लोकेशन भी बताएगा।

 

 

 

कैसे काम करती है उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप (Uttarakhand Earthquake Alert App) | Uttarakhand Bhookamp Alert App in Hindi

 

 

‘ उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ‘ नाम से भूकंप अलर्ट ऐप लॉन्च करने वाला पहला राज्य बन गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार ४ अगस्त २०२१ को यह ऐप लॉन्च किया और यह एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।

इस ऐप को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT ROORKEE) द्वारा विकसित किया गया है। यह ऐप भूकंप से पहले लोगों को पूर्व चेतावनी संदेश भेजेगा और भूकंप के दौरान फंसे लोगों के स्थान (Location) का पता लगाने में भी मदद करेगा और संबंधित अधिकारियों को अलर्ट भी भेजेगा।

आईआईटी रूड़की (IIT Roorkee) के वैज्ञानिकों की टीम ने त्तराखंड भूकंप अलर्ट एप (Uttarakhand Earthquake Alert App) बनाया है, जो 5.5 तीव्रता का भूकंप आने पर अलर्ट करेगा।

देश में पहली बार इस प्रकार का कोई मोबाइल ऐप उत्तराखंड में बनाया गया है। यह भूकंप आने से 20 सेकंड पहले न सिर्फ चेतावनी देगा, बल्कि भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की भी लोकेशन बताएगा।

आईआईटी रुड़की इस पर पिछले चार साल से काम कर रहा था। उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप मोबाइल पर डाउनलोड करके कोई भी व्यक्ति रजिस्ट्रेशन कर सकता है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भूकंप आने से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके।

यह ऐप भूकंप के बारे में ऐप वॉइस अलर्टनेस देगा। यह 5.5 इंटेंसिटी (तीव्रता) का भूकंप आने पर एक्टिवेट होगा। लगभग छह करोड़ रुपये की लागत से बने इस ऐप से भूकंप प्रभावित क्षेत्र में फंसे व्यक्ति की भी लोकेशन मिल सकेगी। 500 मीटर तक के इलाके में रह रहे लोगों को 5.5 तीव्रता का भूकंप आने पर यह ऐप एक्टिवेट होते ही काम करेगा।

आईआईटी रुड़की (IIT ROORKEE) की टीम ने चार साल की मेहनत के बाद इसे तैयार किया है। उत्तराखंड में समय-समय पर भूकंप आते रहते हैं, ऐसे में उम्मीद है कि इस ऐप के माध्यम से लोगों को अपनी सुरक्षा करने में काफी सहूलियत होगी।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ पीयूष रौतेला के अनुसार उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप के लिए प्राधिकरण ने वित्तीय सहायता दी है। अब ऐप की लांचिंग के बाद इसके संचालन पर सालाना एक से डेढ़ करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसे सरकार वहन करेगी।

उत्तराखंड यह ऐप बनाने वाला देश का पहला राज्य है। इससे जन सुरक्षा में मदद मिलेगी। भूकंप अलर्ट के माध्यम से भूकंप से क्षतिग्रस्त इलाकों में फंसे होने पर सूचना प्राप्त की जा सकती है।

 

 

 

उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप के फायदे | Benefits of Earthquake Alert Application

 

उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप राज्य में 5.5 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर आपको चेतावनी देगा कि कुछ सेकेंड के बाद भूकंप आपके क्षेत्र में भी आ सकता है और जान-माल की हानि कर सकता है तो आप अपने आप को सुरक्षित कर लेना चाहिए।

अब आपके मन में ये सवाल जरूर आएगा कि आखिर 5.5 से अधिक ही क्यों तो यहां आपको बता दें कि छोटे भूकंप उतना नहीं करते बस थोड़ी हलचल करते है जो महसूस भी बहुत कम ही किये जाते हैं साथ ही उनसे किसी प्रकार का नुकसान या भवनों के गिरने की संभावना ना के बराबर होती है। ऐसे में बड़े भूकंप आने पर ऐप अलर्ट करता है।

इस ऐप के माध्यम से लोगों को भूकंप पूर्व चेतावनी मिल सके, इसके लिए इस ऐप की लोगों को जानकारी दी जानी चाहिए। विभिन्न माध्यमों से व्यापक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करा जाना चाहिए।

आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा इसकी लघु फिल्म बनाकर जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर लोगो को इसके फतादे बताने का प्रयास किया जाये। स्कूलों में भी बच्चों को लघु फिल्म के माध्यम से इस ऐप के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।

 

 

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