तालिबान क्या हैं व भारत की चिंताए । TALIBAN KYA HAI ?
पिछले कुछ दशको से तालिबान (TALIBAN) का खतरा अफ़ग़ानिस्तान पर बना हुआ हैं। परन्तु पिछले कुछ दिनों से अफ़ग़ानिस्तान में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए है , जिनके कारण तालिबान का ख़तरा मात्र अफ़ग़ानिस्तान में न होकर पुरे मध्य एशिया में लगने लगा हैं। अमेरिकी सेना के वापिस लौटने के कारण तालिबान (TALIBAN) अब मजबूत स्तिथि में दिखने लगा हैं।
इस लेख तालिबान (TALIBAN) से संबंधित अनेक तथ्यों घटनाक्रमों तथा इसके उभार की उत्पत्ति आदि के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
तालिबान क्या है ? / WHAT IS TALIBAN
- तालिबान (TALIBAN) आंदोलन एक सुन्नी इस्लामिक चरमपंथी आंदोलन है या संगठन है।
- तालिबान को तालेबान के नाम से भी पुकारा जाता है ।
तालिबान (TALIBAN) का उदय
- तालिबान (TALIBAN) का उदय 90 के दशक में उत्तरी पाकिस्तान में तथा दक्षिणी अफगानिस्तान के हिस्से में हुआ था। तालिबान का उदय तब हुआ था जब सोवियत संघ की सेना अफगानिस्तान से वापिस लौट गई थी।
- उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान (TALIBAN) ने मजबूत पकड़ बनाई थी।
- साथ ही तालिबान ने पश्तूनो के नेतृत्व में अफगानिस्तान में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई।
- तालिबान की स्थापना में सबसे अधिक योगदान धार्मिक संस्थाओं एवं मदरसों का था।
- इस आंदोलन का मानना था / या उद्देश्य था कि लोगों को धार्मिक मदरसों में जाना चाहिए।
- इन मदरसों का खर्च सऊदी अरब द्वारा उठाया जाता था।
प्रारंभ में तालिबान ( TALIBAN) को सफलता मिलने के कारण
- 80 के दशक के अंत में सोवियत संघ के अफगानिस्तान से वापस लौटने के बाद वहां की परिस्थितियों में अनेक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए थे।
- जिनमें वहां अनेक गुटों में आपसी संघर्ष भी मौजूद था। वहां पर मौजूद अनेक गुटों में आपसी संघर्ष उत्पन्न हो गया था तथा अराजकता का माहौल था। जिससे अफगानिस्तान के नागरिक भी परेशान थे।
- ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। ऐसे में जब तालिबान का उभार अफगानिस्तान में हुआ तो राजनीतिक स्थिरता को देखते हुए अफगानिस्तान में भी तालिबान का स्वागत किया गया था।
- तालिबान के प्रारंभिक दौर में तालिबान को लोकप्रियता मिलने के कुछ कारण थे । जैसे कि अफगानिस्तान में मौजूद अस्थिरता की स्थिति में तालिबान ने भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम कसने का कार्य किया था तथा तालिबान ने व्यवस्था पर अंकुश लगाने तथा विवादित क्षेत्र में अपना नियंत्रण स्थापित कर शांति स्थापित करने जैसी गतिविधियां की थी। जिसके कारण शुरू शुरू में तालिबान को लोकप्रियता प्राप्त हुई थी।
तालिबान ( TALIBAN ) की विभिन गतिविधियां
- तालिबान ने दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के बाद इसने आगे बढ़ते हुए 1995 में दक्षिण पश्चिमी अफगानिस्तान, ईरान की सीमा से लगी है हेरात पर कब्जा कर लिया था।
- 1996 में तालिबान ने तत्कालीन राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को बेदखल कर कबूल पर अपना कब्जा जमा लिया।
- 1998 तक अफगानिस्तान के 90% हिस्से पर तालिबान ने अपना कब्जा जमा लिया था।
- तालिबान पर अनेक मानवाधिकार उल्लंघन और सांस्कृतिक दुर्व्यवहार के आरोप लगने लगे थे तथा तालिबान ने अनेक सामाजिक प्रतिबंध भी आरोपित किए थे।
तालिबान (TALIBAN) द्वारा आरोपित सामाजिक प्रतिबंध
- पुरुषों के लिए बढ़ी हुई दाढ़ी और महिलाओं के लिए बुर्का पहनने का फरमान जारी किया गया।
- टीवी सिनेमा संगीत आदि पर पाबंदी लगाई गई थी।
- 10 साल की उम्र के बाद लड़कियों के लिए स्कूल जाने पर पाबंदी लगयी गयी थी।
- तालिबान ने लिंग के आधार पर भी अनेक कड़े कानून आरोपित किए थे ।
- तालिबान के अधिकतर कानून महिलाओं को प्रताड़ित करने वाले थे ।
- तालिबान ने महिलाओं को नौकरी करने की इजाजत प्रदान नहीं की थी।
- महिला को बिना किसी अपने रिश्तेदार या पुरुष के घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध था। अगर महिला ऐसे करती थी तो महिला का बहिष्कार किया जाता था।
- अगर महिला तालिबान की आदेशों का उल्लंघन करती थी तो उसे निर्दयता से पीटा वह मारा जाता था।
इतिहास महिलाओं पर अत्याचार के मामलों से भरा पड़ा हैं। रूढ़िवादी समाज मे महिला उत्पीड़न करने के लिए एक सरल माध्यम मानी जाती हैं। ऐसा ही तालिबान ने भी किया।
किन देशों ने तालिबान ( TALIBAN ) शासन को मान्यता प्रदान की थी
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात
- पाकिस्तान
अमेरिका का दख़ल
- वर्ष 2001 में न्यूयॉर्क में आतंकी हमला हुआ था जिसके बाद तालिबान दुनिया की नजरों में आ गया था। तत्पश्चात 7 अक्टूबर 2001 को अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया तथा अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बेदखल करने का काम किया था ।
- इस हमले के बाद तालिबान नेता महमूद उमर और अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पकड़ने में अमेरिकी सैनिक सफल नहीं हो पाए थे।
- 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका की मदद से हामिद करजई को अफगानिस्तान का प्रशासनिक प्रमुख बनाया गया था।
- 2004 में अफगानिस्तान का संविधान अस्तित्व में आया था । तत्पश्चात संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलते हुए अफगानिस्तान ने अक्टूबर 2004 में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार अपने पहले राष्ट्रपति का निर्वाचन किया था।
- 2009 में बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। तथा उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अफगानिस्तान में अधिक संख्या में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की गई थी।
- 2011 में ओसामा बिन लादेन को अमेरिका सेना द्वारा मार गिराया था तथा 2011 में ही राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की सीमित संख्या में वापसी का एक रोड में प्रस्तुत किया था।
- जून 2013 में अफगानिस्तान सेना ने पूरी तरीके से सुरक्षा अपने हाथों में ले ली थी, अब वहां अमेरिकी सैनिक केवल सहयोग के रूप में कार्य कर रहे थे।
- जनवरी 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बनने के बाद अफगान नीति के संदर्भ में प्रमुख बिंदु अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी पर रहा।
भारत के सन्दर्भ में
- भारत अफगानिस्तान में अरबों डॉलर की लागत से अनेक परियोजनाएं पूरी कर चुका है। इनमें से अनेक परियोजनाओं पर काम चल रहा है ऐसे में भारत को सबसे बड़ा खतरा अपनी परियोजनाओं को बचाने का ही है।
- अफगानिस्तान में संसद भवन का निर्माण, सड़कों का निर्माण , बांधो का निर्माण किया गया है तालिबान की सत्तारूढ़ होने से इन सभी परियोजनाओं पर एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।
- भारत ने ईरान देश के चाबहार पोर्ट पर भारी निवेश किया है । जिससे अफगानिस्तान , मध्य एशिया, रूस और यूरोप के देशों के साथ व्यापार को बढ़ाया जा सके तथा संबंधों को मजबूती प्रदान की जा सके परंतु तालिबान की शक्तिशाली होने के कारण भारत की इस परियोजना पर भी भारी संकट उत्पन्न हो गया है। जिससे भारत की पहुंच अन्य देशों पर बाधित होगी।
- एक अन्य सबसे बड़ी चिंता भारत की यह है कि तालिबान के अफगानिस्तान में शक्तिशाली होने के कारण भारतीय क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं के बढ़ने की संभावना को देखा जा रहा है । अतः तालिबान का उभार भारत के लिए सामाजिक अशांति उत्पन्न हो सकती हैं।
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शिवेंद्र सिंह चौहान
शिवेंद्र सिंह चौहान -
शिक्षा - बी. टेक. मैकेनिकल इंजीनियरिंग / समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर ( Post Graduation ) किया हैं।
कार्यानुभव - 9 साल कॉर्पोरेट सेक्टर में - क्वालिटी इंजीनियर , डिज़ाइन इंजीनियर , ऑपरेशन मैनेजर के पदों पर कार्य करने का अनुभव प्राप्त है।
ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भी 4 वर्ष का अनुभव प्राप्त है।