Black Fungus (Mucormycosis)

वर्तमान में कोरोना महामारी के अलावा एक और बीमारी बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है जिसका नाम है Black Fungus (ब्लैक फंगस) अथवा Mucormycosis ।
इस लेख में हम आपको ब्लैक फंगस के बारे में विस्तार से बताएगें क्योंकि यह वर्तमान समय में बहुत तेजी से पूरे देश में फैल रहा है।

Black Fungus (Mucormycosis) क्या है ?

यह एक प्रकार का इन्फेकशन है जो एक प्रकार के फंगस से होता है। फंगस एक प्रकार का आर्गेनिस्म है जैसे हमारे आस-पास पेड़-पौधे, जानवर, बैक्टीरिया, वायरस होते है उसी प्रकार फंगस भी है।

मशरुम भी एक प्रकार का फंगस है परंतु उसे हम खा सकते है। कुछ फंगस ऐसे होते है जिन्हें हम खा सकते है, वो नुकसान नहीं करते लेकिन कुछ फंगस ऐसे होते है जो टाॅक्सिन रिलीज करते है, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते है। उन्हीं में से एक है ब्लैक फंगस। इससे जब इंफेक्शन होता है तो वह शरीर के लिए काफी घातक होता है।

ब्लैक फंगस कैसे होता है ? कोविड-19 में क्यों फैल रहा है?

ब्लैक फंगस कोरोना महामारी के कारण ज्यादा फैल रहा है क्योंकि कोरोना महामारी ने हमारी इम्युनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर दिया है और हमारे ब्लड सेल्स को भी कमजोर कर दिया है। जिस कारण कोरोना मरीजों और कोरोना से ठीक हुए लोगों को ब्लैक फंगस ज्यादा हो रहा है या होने का ज्यादा खतरा है।
ज्यादातर खतरा उन लोगों को है जिनको पहले से डायबिटिज अथवा कोई अन्य बीमारी है क्योंकि हमारी इम्युनिटी कम होने के कारण बहुत सी बिमारियां हमें हो सकती है, जिनमें ब्लैक फंगस भी शामिल है।
पूरे देश में कोरोना महामारी के साथ-साथ ब्लैक फंगस भी खतरा बन रहा है।

राजस्थान एवं उत्तराखंड सरकार ने इसे महामारी घोषत कर दिया है। डायबिटीज के मरीज स्टेरोईडस का इस्तेमाल करते है इसलिए उन्हें इस फंगस का खतरा ज्यादा है।BLACK FUNGUS2

Black Fungus के प्रकार –

(1). Rhino-cerebral (राइनोसेरेब्रल) Mucormycosis –

यह सामान्यतया उनको होता है जिनको डायबिटीज हो या जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई हो। इसमें चेहरे के एक साइड में दर्द होता है, नेजल ब्रिज में काली धारियां दिखती है, सिर दर्द एवं बुखार भी आता है। यह फंगस काफी सामान्य है और अभी इसके ही ज्यादा मरीज सामने आ रहे है।

(2). Pulmonary (पलमोनेरी) Lung Mucormycosis –                                                                                                                                                                                                                                                                                                 यह सामान्यत: कैंसर के रोगियों एवं जिनका अंग प्रत्यर्पण (Organ transplant) या Stem cell transplant हुआ हो उनको होता है। इसमे सीने में दर्द (Chest pain), सांस लेने में तकलीफ, कफ वाली खांसी, बुखार आता है।

(3). Gastrointestinal Mucormycosis –

यह सामान्यत: नये जन्में बच्चे नवजात बच्चों को होता है। जिन नवजात बच्चों का वजन कम होता है या जिनकी उम्र एक महीने से कम होती है उनको होता है।
इसमें एब्डाॅमिनल पेन (पेट दर्द), एब्डाॅमिनल ब्लीडिंग, उल्टी और जुकाम होता है।

(4). Cutaneous (क्यूटेनियस) Mucormycosis –

यह कहीं पर स्किन में ब्रेक्स, चोट होगी वहां पर होता है। इसमें स्किन में उन जगहों पर Black spots बन जाते है। इससे बचने के लिए हमें अपना hygiene नियंत्रण में रखना होता है।

(5). Disseminated Mucormycosis –

इसमें ब्लड स्ट्रीम में इंफेक्शन होता है जिस वजह से यह शरीर में कहीं पर भी जा सकता है। वो ब्लड स्ट्रीम आपके ब्रेन में जा रहा होगा तो वहां इंफेक्शन हो जाएगा, आपके फेफडो़ मे जा रहा होगा तो वहां इंफेक्शन हो जाएगा। यह सबसे खतरनाक होता है और सामान्यत: उनको होता है जो अभी-अभी किसी बीमारी से ठीक हुए हो। इसको ठीक करना बहुत मुश्किल होता है।

कोविड-19 में ब्लैक फंगस –

कोविड-19 महामारी में अगर कोई मरीज लंबे समय तक ICU में रहा हो, उसे किसी प्रकार के स्टेरॉइड्स का इलाज दिया गया हो, उसका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्याद हो इन तीनों केस में इम्युन सिस्टम ठीक से कार्य नहीं करता है, उस वजह से Mucormycosis (Black Fungus) होने के बहुत ज्यादा चांस होते है। इसलिए कोरोना मरीजों को ब्लैक फंगस होने का बहुत ज्यादा खतरा है। ब्लैक फंगस सामन्यत: जमीन या मिट्टी में रहता है।

उपचार –

अगर प्राथमिक दौर में इसका पता लग जाता है तो यह दवाई के इस्तेमाल से ठीक हो सकता है लेकिन दवाई पूरे तरीके से लंबे समय तक चल सकती है। लेकिन अगर प्रारंभिक दौर में पता नहीं लग पाया तो इसके लिए सर्जरी करानी पड़ती है। अगर यह ज्यादा फैल जाता है तो आंख भी निकालनी पड़ सकती है।

बचाव –

इस बीमारी में death rate बहुत ज्यादा है पर इसकी संक्रमण दर उतनी नहीं है।
हमें अगर ऐसे कोई लक्षण लगें तो खुद से उपचार नहीं करना चाहिए। स्टेरॉइड्स खुद से कभी नहीं लेना है। समय-समय पर अपना ब्लड शुगर लेवल नापते रहना है अगर उसमें उतार-चढ़ाव ज्यादा आता है तो डाॅक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

 

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