भारत में 10 नए रामसर स्थल घोषित । India Designates 10 New Ramsar Sites | New Ramsar Sites in India
New Ramsar Sites in India
भारत में 10 नई रामसर साइटें 2022 :
भारत ने पांच नए रामसर स्थलों को नामित किया है।
भारत में नए रामसर स्थलों में तमिलनाडु में तीन आर्द्रभूमि, मिजोरम में एक और मध्य प्रदेश में एक शामिल है।
इससे पहले, भारत में रामसर स्थलों की संख्या 49 थी।
इससे भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 54 हो जाती है।
नए रामसर स्थल निम्न हैं ( New Ramsar Sites in India ) -:
कूनथनकुलम पक्षी अभयारण्य : (तमिलनाडु)
- यह दक्षिण भारत में निवासी और प्रवासी जल पक्षियों के प्रजनन के लिये सबसे बड़ा रिज़र्व है।
- यह मध्य एशियाई फ्लाईवे का हिस्से वाला एक महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्र है।
मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व : (तमिलनाडु)
- यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है।
- यह भारत में सबसे अधिक जैविक रूप से विविध क्षेत्रों में से एक है।
वेम्बन्नूर आर्द्रभूमि कॉम्प्लेक्स : (तमिलनाडु)
- यह मानव निर्मित अंतर्देशीय झील है।
- यह प्रायद्वीपीय भारत का सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है, साथ ही यह महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्र (IBA) का हिस्सा है, इसलिये यह बर्डलाइफ इंटरनेशनल डेटा ज़ोन का भी हिस्सा है।
वेलोड पक्षी अभयारण्य : (तमिलनाडु)
- आर्द्रभूमि का मूल्यांकन करने हेतु आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकी, पक्षियों की संख्या, प्रजनन के रिकॉर्ड और बसने वाली कॉलोनियों जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता दी गई है।
वेदंतंगल पक्षी अभयारण्य : (तमिलनाडु)
- यह तमिलनाडु के सबसे पुराने पक्षी-संरक्षित क्षेत्रों में से एक है।
- इस साइट को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य : (तमिलनाडु)
- यह स्थल जलपक्षियों की कई प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण स्थल और प्रजनन स्थल है।
- साइट पर देखी जाने वाली उल्लेखनीय प्रजातियाँ ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी आइबिस, ग्रे हेरॉन और यूरेशियन स्पूनबिल हैं।
सतकोसिया गॉर्ज : (ओडिशा)
- यह महानदी नदी के ऊपरी क्षेत्र में शानदार घाटी के साथ फैली हुई है।
- इसे वर्ष 1976 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करता है, जो पुष्प और जीव प्रजातियों की विविध आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
- सतकोसिया भारत के दो जैव-भौगोलिक क्षेत्रों का मिलन बिंदु है; दक्कन प्रायद्वीप और पूर्वी घाट, विशाल जैवविविधता में योगदान करते हैं।
नंदा झील : (गोवा)
- इसे स्थानीय समुदायों और बड़े पैमाने पर समाज के लिये अपनी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं तथा जैवविविधता मूल्यों हेतु गंभीर रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य : (कर्नाटक)
- इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा कर्नाटक और भारत में महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (आईबीए) में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- यह भारत की पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण नदी तटवर्ती आर्द्रभूमि है, जो जैवविविधता में समृद्ध है।
सिरपुर वेटलैंड : (मध्य प्रदेश)
- यह न केवल अपने सौंदर्य के लिये बल्कि यह जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत तथा डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में भूजल पुनर्भरण में मदद करने जैसी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करता है।
उद्देश्य :
भारत में रामसर आर्द्रभूमि का मुख्य उद्देश्य आर्द्रभूमि के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना और बनाए रखना है जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रामसर कन्वेंशन क्या है ? What Is Ramsar Convention in Hindi ?
रामसर सम्मेलन एक अंतर सरकारी पर्यावरण संधि है जिसे यूनेस्को द्वारा 2 फरवरी, 1971 को स्थापित किया गया था।
कन्वेंशन का नाम ईरान के रामसर शहर से पड़ा, जहां संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। रामसर सम्मेलन 1975 में लागू हुआ।
यह आर्द्रभूमि के संरक्षण और उनके संसाधनों के सतत उपयोग के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रीय कार्रवाई का प्रावधान करता है।
रामसर सम्मेलन दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमियों की पहचान करता है, विशेष रूप से वे जो विविध जैव विविधता के घर हैं।
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